शनिवार, 29 अप्रैल 2017

संत रामपाल के समर्थक किसकी CBI जांच की मांग कर रहे हैं

जंतर मंतर पर 588 दिन से बैठे रामपाल के समर्थक। फोटो: इनसाईट स्टोरी 
संत रामपाल जो पिछले 2 सालों से हिसार जेल में बंद हैं, उनके समर्थक अब सीबीआई जांच की मांग कर रहें हैं, जुलाय 2006 में करोंथा आश्रम में हुए एक व्यक्ति की मौत के मामले में रामपाल और उनके अनुयायिओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. असल में आर्य समाजियों और संत रामपाल के बीच विवाद होते रहें हैं.
यह घटना भी आर्यसमाजियों और रामपाल के समर्थकों के बीच हुयी झडप का परिणाम बताया जाता रहा है. इसी केस में हाई कोर्ट चण्डीगढ़ के द्वारा बार बार संत रामपाल के खिलाफ समन जारी होने के बाद भी कोर्ट में पेश में ना होने के बाद हरियाणा पुलिस को जबरन बरवाला आश्रम खाली करवाना पडा था, इस कार्रवाई में पुलिस के अनुसार हजारों भक्तों को मुक्त करवाया गया और आश्रम से काफी मात्रा में हथियार भी मिले, इस दौरान कुछ लोग भी मारे गए. तब से अपने कई समर्थकों के साथ रामपाल हिसार जेल में बंद हैं और उनके ऊपर कई नये केस भी दर्ज किये गये हैं. अब पिछले करीब डेढ़ साल से उनके समर्थक जन्तर मन्तर दिल्ली में धरने पर बैठे हैं,
समर्थक खुद को रामपाल का अनुयायी बताते हैं, उनका आरोप है कि पुलिस और न्याय पालिका दोनों ने रामपाल के खिलाफ आर्यसमाज की शह पर ये मुकदमे दर्ज किये हैं, समर्थक कई जजों को भी कठघरे में खडा कर रहे हैं उनका कहना है कि जज पहले से रामपाल के खिलाफ विचार बना कर बैठे हैं और उसी अनुसार फैसले ले रहें हैं, उनके ये आरोप सेसन जज से लेकर हाई कोर्ट के जज तक के खिलाफ हैं.
देश के कोने कोने से आये अनुयायी: सीबीआई जांच की मांग करते। फोटो: इनसाईट स्टोरी 

रामपाल द्वारा स्वामी दयानन्द पर टिप्पणी
अब संत रामपाल के समर्थक सभी केसों में सीबीआई जांच की मांग कर रहें हैं, उनका मानना है कि बिना सीबीआई जांच के सच सामने नहीं आ सकता है. यहाँ समर्थक न्यायपालिका के साथ प्रधानमंत्री मोदी और हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर पर भी संत रामपाल के खिलाफ षड्यंत्र का आरोप लगा रहें है.
सत्यार्थ प्रकाश पर रामपाल के विचार
रामपाल के द्वारा सत्यार्थ प्रकाश के खिलाफ खुल कर मोर्चा खोला गया था कई उदाहरणों के द्वारा वे स्वामी दयानन्द सरस्वती की रचना को झूठलाने का प्रयास किया है. जंतर मन्तर पर उनके समर्थक लोगों को रामपाल साहित्य और CD बाँट कर उन्हें निर्दोष बता रहें हैं.
संतों के खिलाफ कई आरोप पहले भी लगते रहें हैं और उनके भक्त हर बार उन्हें निर्दोष बताते रहें हैं, चाहे मामला आसाराम का हो या रामपाल का. बड़े आश्रम और लाखों भक्त बना लेने के बाद भी इन संतों पर आरोप लगते रहें हैं. चाहे मामला अवैध कब्जे का हो या फिर व्यभिचार का इन तथाकथित संतों पर अंगुलियाँ उठती रही हैं. लेकिन रामपाल के समर्थक इसके उलट उनको तत्वदर्शी बताते हैं और उनके समर्थन में कड़ी धूप में भी जंतर मंतर पर बैठे हैं, इन समर्थकों में देश के कोने कोने से आये लोग हैं जिसमें पुरुषों के साथ महिलाएं भी शामिल हैं. समर्थक इस संदर्भ में राष्ट्रपति से भी हस्तक्षेप की मांग कर रहें हैं. वे बिना सीबीआई जांच धरना छोड़ने को तैयार नहीं दिख रहें हैं. लेकिन ना ही हरियाणा सरकार या केंद्र सरकार उनकी किसी बात को तव्वजो दे रही है.
मामला न्यायालय में है और सीबीआई जांच इस मामले में कराई जाए ऐसी आवश्यकता ना ही हाई कोर्ट  चंडीगढ़ मानता है और ना ही हरियाणा सरकार, और बिना इन पक्षों की की आज्ञा या हस्तक्षेप के सीबीआई जांच संभव नहीं है.

शनिवार, 22 अप्रैल 2017

चाय के ठेले पर वाई फाई हॉटस्पॉट

फोटो: गूगल साभार 
आपके लिए एक बड़ा अपडेट आ रहा है, सेंटर फॉर डेवेलपमेंट ऑफ टेलेमैटिक (C-DoT) की ओर से उसने एक पब्लिक डेटा ऑफिस सॉल्यूशन डेवेलप किया है. इस तकनीक को डेवेलप करने में 50,000 रुपये तक की लागत आयी है. इस तकनीक के जरिये किराने की दुकान या फिर चाय के ठेले पर आपको वाई फाई सुविधा मिलेगी, दस रूपये से कम की कीमत पर इन जगहों पर डाटा बेचा जाएगा. ये सर्विस e-KyC (जैसे आधार वेरिफिकेशन), ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) ऑथेंटिकेशन और साथ ही वाउचर के रुप में भी मिलेगी. यहाँ अभी ये सपष्ट नहीं है कि किस प्रकार ये ठेले वाले या किराने की दुकान चलाने वाले इस सुविधा को ग्राहकों तक पहुंचा पायेंगे और इसके एवज में उनको कितना कमीशन मिलेगा. लेकिन ये तय है कि ये अधिक से अधिक लोगों को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म से जोड़ने में कामयाब होगा. 
Tech Master 

शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017

भीम एप ने 2 करोड़ डाउनलोड का आकड़ा पार किया

नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री ने ऑनलाइन पेमेंट के लिए भीम (BHIM) भारत इंटरफ़ेस फॉर मनी एप 30 दिसम्बर 2016 को जारी किया था. अब तक इस एप को 2 करोड़ से ज्यादा लोग डाउनलोड कर चुके है, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कान्त ने ये जानकारी दी . भीम एप के द्वारा UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफ़ेस) के जरिये आप अपने सभी लेनदेन बिना बैंक अकाउंट की जानकारी दिए कर सकते हैं. इसके लिए आपका बैंक के साथ रजिस्टर्ड मोबाइल न. UPI एड्रेस की तरह काम कर सकता है, इसके अतिरिक्त आप अपना कोई विशेष UPI एड्रेस भी बना सकते हैं. किसी को पैसा भेजना हो या मंगाना हो दोनों काम इससे बिना किसी परेशानी के कर सकते हैं, स्मार्टफोन पर ऑनलाइन या फीचर फोन पर यूएसएसडी के जरिये भी आप इस एप का इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन एक समय में इस एप के जरिये केवल एक बैंक अकाउंट को चला सकते हैं. इस एप के इस्तेमाल के लिए शर्त ये है कि इसका इस्तेमाल उस मोबाइल से ही कर सकते हैं जिसमें बैंक अकाउंट के साथ रजिस्टर्ड सिम हो और सिम में पर्याप्त बैलेंस हो. स्मार्टफोन पर इसके इस्तेमाल के लिए एक UPI पिन बनाना होता है, इस पिन को जनरेट करने के लिए आपको अपने डेबिट कार्ड के डिटेल जैसे कार्ड संख्या और एक्सपायरी डेट की जानकारी देनी होती है. इस एप का प्रयोग एंड्राइड, आईओएस प्लेटफॉर्म के जरिये किया जा सकता है.

Tech Master 
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रविवार, 26 मार्च 2017

नोकिया के चाहने वालों के लिए नया नोकिया 150

नोकिया अपने चाहने वालों के लिए एक नया मोबाइल फोन लाया है, लेकिन ये कोई स्मार्टफोन नहीं है बल्कि एक बेसिक कीपैड मोबाइल फोन है लेकिन ख़ास बात ये है कि मोबाइल 32 जीबी इन्टरनल स्टोरेज के साथ आ रहा है. इसे आप ऐमज़ॉन इंडिया से खरीद सकते हैं जहाँ इसकी कीमत 1950 है, ये ड्यूल सिम मोबाइल अपने शानदार बैटरी बैकअप 1020 mAh बैटरी के साथ आ रहा है. इसमें आपको एक LED फ़्लैश के साथ VGA  कैमरा भी मिल रहा है. ये मोबाइल सिंगल सिम  साथ भी उपलब्ध है. ब्लूटूथ के साथ इसमें एफ एम रेडियो भी है, इसमें 2.4 इंच की स्क्रीन है  जिसका डिस्प्ले 240X320 पिक्सल रिजॉल्यूशन के साथ आ रहा है. नोकिया का ये कीपैड फोन अब कितना पसंद किया जाएगा ये तो आने वाले समय में ही पता चलेगा लेकिन नोकिया के शौक़ीन के लिए ये एक विकल्प हो सकता है. 
अगर आप नया नोकिया बेसिक फोन खरीदना चाहते हैं तो आप नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर खरीद सकते हैं. 
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बिना आधार मोबाइल ठप्प

सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद आपका मोबाइल बंद हो सकता है यदि आपने अपने आधार नम्बर को मोबाइल नम्बर के साथ नहीं जोड़ा है तो जल्दी ही आपको अपने मोबाइल ऑपरेटर से इस संदर्भ में SMS या कॉल भी जल्द आयेगी जहाँ आपको केवाईसी के पुन:प्रमाणन के लिए आपसे आधार कार्ड वेरिफिकेशन के लिए कहा जा सकता है.
टेलीकॉम सर्विस के संगठन सीओएआई ने कहा कि उसकी सदस्य कंपनियां इस हफ्ते बैठक कर मौजूदा एक अरब से भी अधिक मोबाइल उपभोक्ताओं की प्रमाणन प्रक्रिया की रूपरेखा पर चर्चा करेंगी.
दूरसंचार विभाग की एक अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘सभी लाइसेंसधारकों (मोबाइल कंपनियों) को सारे मौजूदा मोबाइल उपभोक्ताओं (प्रीपेड और पोस्टपेड) का आधार आधारित ई-केवाईसी माध्यम से पुन:प्रमाणन करना चाहिए.’’ अधिसूचना में कहा गया है कि सभी कंपनियों को अपने मौजूदा ग्राहकों को प्रिंट, इलैक्ट्रॉनिक और एसएमएस के माध्यम से उच्चतम न्यायालय के पुनप्रमाणन के आदेश की सूचना देनी होगी. उन्हें इस प्रक्रिया की जानकारी अपनी वेबसाइट पर देनी चाहिए.
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने इस साल फरवरी में आदेश दिया था कि, ‘‘नये उपभोक्ताओं के साथ-साथ सभी मोबाइल फोन उपभोक्ताओं का पता और पहचान सुनिश्चित करने के लिए प्रमाणन की एक प्रभावी प्रक्रिया विकसित हुई है. निकट भविष्य में विशेषकर आज से एक साल के भीतर मौजूदा उपभोक्ताओं के मामले में इसी तरह की प्रमाणन प्रक्रिया को पूर्ण कर लिया जाना चाहिए.’’

जिओ का प्राइम ऑफर ठंडा पडा

कुछ ही महीनों में 10 करोड़ कस्टमर जोड़ लेने वाले जिओ के 1 अप्रैल से आरम्भ हो रहे प्राइम ऑफर से जुड़ने वालों की संख्या काफी कम है, काफी प्रचार और विज्ञापन के बाद भी जिओ के प्राइम ऑफर को आशा के अनुरूप रिस्पांस नहीं मिल रहा है, कम्पनी को आशा थी कि कम से 2.5 करोड़ कस्टमर के प्राइम से जुड़ने की आशा थी. पिछले महीने ही जिओ अपने 10 करोड़ सब्सक्राइब पूरे कर चुका है. जिओ का फ्री डाटा और कालिंग ऑफर 31 मार्च को खत्म हो रहा है, लेकिन अभी तक करीब आशा से आधे कस्टमर ही प्राइम से जुड़ सके हैं. प्राइम ऑफर से जुड़ने के लिए आपको 99 रूपये का एक रिचार्ज करवाना होगा, इसके बाद कम से कम 303 रूपया प्रति माह के रिचार्ज पर प्रति माह 28 जीबी डाटा मिलेगा इसके अलावा 5 जीबी का अतिरिक्त डाटा भी हर महीने मिलेगा, ये उस स्थिति में प्रयोग लाया जा सकेगा जब आप प्रतिदिन 1 जीबी का डाटा प्रयोग कर चुके होंगें. इसके अलावा भी जिओ कई आकर्षक ऑफर दे रहा है. लेकिन इन ऑफर्स के बाद भी जिओ को मनमुताबिक रिस्पांस नहीं मिलना कम्पनी के लिए चिंता की बात हो सकती है, जबकि प्रतिद्वंदी कम्पनियां भी तमाम आकर्षक प्लान के साथ मैदान में उतर चुकी हैं. ऐसे में मुकेश अम्बानी प्राइम ऑफर को 30 अप्रैल तक बढ़ा सकते हैं. वैसे बिना प्राइम ऑफर से जुड़े भी आप फ्री कालिंग  सुविधा पा सकते हैं. 

Jio Prime Plans

जिओ प्लान्स की अधिक जानकारियों के लिए यहां क्लिक करें. 

गुरुवार, 23 मार्च 2017

कमजोर होती मर्दानगी का सच:टेस्टोस्टेरोन

मर्दानगी का हार्मोन  

टेस्टोस्टेरोन एक ऐसा हॉर्मोन है जो पुरुषों के अंडकोष में पैदा होता है. आमतौर पर इसे मर्दानगी की पहचान के रूप में देखा जाता है. इस हार्मोन का पुरुषों की आक्रामकता, चेहरे के बाल, मांसलता और यौन क्षमता से सीधा संबंध माना जाता है. चाहे शारीरिक हो या फिर मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य के लिए यह आवश्यक है. टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन उम्र के साथ कम होने लगता है.

एक अनुमान के मुताबिक 30 और 40 की उम्र के बाद इसमें हर साल दो फ़ीसदी की कमी आने लगती है. वैसे इसमें लगातार होने वाली कमी सेहत से जुड़ी कोई समस्या नहीं है, लेकिन कुछ ख़ास बीमारियों, इलाज या चोटों के कारण सामान्य से कम हो जाता है. टेस्टोस्टेरोन हार्मोन में कमी को हाइपोगोनडिज़म कहा जाता है. ब्रिटिश पब्लिक हेल्थ सिस्टम की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ 1000 में से पांच लोग इस बीमारी से  पीड़ित हैं.

टेस्टोस्टेरोन सामान्य से कम है इसे ऐसे जानें


  1.  थकान और सुस्ती होना 
  2. अवसाद, चिंता और मिजाज में चिड़चिड़ापन
  3. यौन संबंध बनाने की इच्छा कम होना या फिर नपुंसकता की शिकायत
  4. ज़्यादा देर तक एक्सरसाइज नहीं कर पाना और शक्ति में गिरावट महसूस होना 
  5. दाढ़ी और मूंछों के बालों का बढ़ना या कम होना
  6. ज़्यादा पसीना निकलना
  7. यादाश्त और एकाग्रता कम होना
  8. लंबे समय तक हाइपोगोनडिज़म से हड्डियों को नुक़सान पहुंचने का जोखिम रहता है. इससे हड्डियां कमज़ोर होती जाती हैं और फ्रैक्चर की आशंका भी बढ़ जाती है.
हाइपोगोनडिज़म एक ख़ास तरह की चिकित्सकीय अवस्था है जो उम्र बढ़ने के साथ पैदा होने वाली सामान्य स्थिति से अलग है. इसका सीधा संबंध मोटापा और टाइप 2 डायबिटीज से है. मोटापे से ग्रसित लोगों में ये समस्या ज्यादा देखी गयी है.

टेस्टोस्टेरोन टेस्ट  

 टेस्टोस्टेरोन का टेस्ट  ख़ून जांच से करा सकते हैं. इसका स्तर हर दिन एक जैसा नहीं होता है. यदि टेस्ट रिपोर्ट में इसमें गिरावट मिलती है तो मरीज़ को एन्डोक्राइन स्पेशलिस्ट के पास भेजा जाता है.

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सोमवार, 20 मार्च 2017

शाओमी का REDEMI 4 A अब अमेज़न और Mi स्टोर पर उपलब्ध

शाओमी का REDEMI 4A भारत में लांच 

शाओमी ने भारत में अपना नया स्मार्टफोन Redmi 4A लॉन्च कर दिया है. यह स्मार्टफोन शाओमी की Redmi 4 सीरीज का सबसे बेसिक वेरियंट है. कंपनी ने इसे पिछले साल नवंबर, 2016 में चीन में Xiaomi Redmi 4 और Xiaomi Redmi 4 Prime के साथ लॉन्च किया था.

आइये जानते हैं इस फोन के फीचर्स. 

यह ऐंड्रॉयड 6.0 मार्शमैलो पर आधारित कंपनी के अपने यूजर इंटरफेस MIUI8 पर रन करता है. स्मार्टफोन में 5 इंच का HD डिस्प्ले लगा है जिसका रेजलूशन 720 x 1280 पिक्सल्स है.
इसमें 1.4GHz के क्वॉड-कोर स्नैपड्रैगन 425 प्रोसेसर के साथ अड्रीनो 708 जीपीयू और 2 जीबी रैम लगी है. स्मार्टफोन की इंटरनल मेमरी 16 जीबी है. 128 जीबी तक का माइक्रोएसडी कार्ड भी इसमें लगाया जा सकता है.
Redmi 4A का बैक कैमरा 13 मेगापिक्सल है. इसमें PDAF, 5 लेंस सिस्टम, f/2.2 अपर्चर और एक LED फ्लैश है. फ्रंट कैमरा 5 मेगापिक्सल है.
पॉलिकार्बोनेट बॉडी वाले शाओमी रेडमी 4A में हाइब्रिड ड्यूल सिम कार्ड स्लॉट लगाया गया है. कनेक्टिविटी की बात करें तो यह 4G VoLTE, वाई-फाई, जीपीएस, ब्लूटूथ और माइक्रो-यूएसबी सपॉर्ट करता है. इसमें 3120 mAh बैटरी लगी है जो फास्ट चार्जिंग सपॉर्ट करती है.
शाओमी रेडमी 4A की कीमत 5,999 रुपये रखी गई है. वैसे ये कीमत थोड़ा ज्यादा लगती है. गुरुवार दोपहर 12 बजे से यह ऐमजॉन इंडिया और Mi.com से खरीदा जा सकता है. यह डार्क ग्रे और गोल्ड कवर्स में उपलब्ध होगा. इसका रोड गोल्ड कलर ऑप्शन भी है जिसकी बिक्री 6 अप्रैल को Mi.com पर होगी.

Tech Master 

अब वाई फाई की स्पीड सौ गुनी हो जायेगी

 इन्टरनेट की सबसे तेज दुनिया 

43 जीबी प्रति सेकंड
की स्पीड से इन्टरनेट ये आपको मजाक लग रहा होगा लेकिन ये सच है, अब आप इन्फ्रा रेड किरणों के जरिये 100 गुना तेज इन्टरनेट कनेक्टिविटी और डाउनलोड और अपलोड स्पीड पा सकते हैं. विशेष बात ये हैं कि ये इन्फ्रारेड किरणें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी नहीं हैं और एक से ज्यादा डिवाइस को आसानी से पूरी स्पीड से चलाया जा सकता है. कई बार वाई फाई की कम स्पीड दिमाग का प्रोसेसर गर्म कर देती है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
नीदरलैंड्स में इंडोफेन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नॉलजी के रिसर्चर्स ने जो नया इन्फ्रारेड बेस्ड नेटवर्क  डिवेलप किया है, उसकी कैपेसिटी बहुत ज्यादा है.यह 40 गीगाबिट्स प्रति सेकंड की स्पीड दे सकता है. इसमें नेटवर्क कंजेशन इसलिए नहीं होता क्योंकि हर डिवाइस को अलग किरण से कनेक्टिविटी मिल रही होती है.
रिसर्चर्स का कहना है कि नया सिस्टम काफी सिंपल है और सेटअप करने में भी आसान है. वायरलेस डेटा सेंट्रल लाइट एंटीना से आता है. इसमें एंटीना सिस्टम को छत पर लगाया जा सकता है, जहां से आसानी से इन्फ्रारेड किरणों को डिवाइस की तरफ डायरेक्ट किया जा सकता है. जैसे जैसे यूजर एक स्थान से दूसरे स्थान की और चलता है. अलग अलग  इन्फ्रारेड के जरिये वाई फाई कनेक्टिविटी मिलती है. 
Tech Master
(Ashutosh Pandey)  

शुक्रवार, 17 मार्च 2017

उत्तराखंड इन्तजार खत्म होने वाला है

11 मार्च को चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद 8 दिनों में भाजपा उत्तराखंड के लिए मुख्यमंत्री की खोज नहीं कर पाई है, दरअसल कई दावेदारों के होते भाजपा के लिए मुख्यमंत्री को खोजने में पापड़ बेलने पड़ रहें हैं. अभी भी भाजपा में तीन नामों में घमासान जारी है. सतपाल महाराज, त्रिवेंद्र सिंह पंवार और प्रकाश पन्त इन तीनों में से एक नाम के चयन में ही भाजपा हाईकमान की हवाइयां उड़ रहीं है. इसके अलावा राज्य भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट भी एक हड्डी के रूप में अटके पड़ें हैं. भारी बहुमत मिलने के बाद मुख्यमंत्री और मंत्री बनने के लिए करीब 30 विधायक अड़े हैं, लेकिन भाजपा के लिए सबको संतुष्ट कर पाना संभव नहीं है, कांग्रेस छोड़ कर गये विधायक बने कई नेता भी अपने लिए मंत्रालय की चाहत रखें हैं. इसके अलावा विधान सभा अध्यक्ष पद के लिए भाजपा हाई कमान किसी पुराने भरोसेमंद भाजपाई को ढूंढ रहा है.
आज कभी भी उत्तराखंड को अपने मुख्यमंत्री का नाम पता चल सकता है. ऐसे में जनता के बीच भी कई कयास लगाए जा रहें हैं, सोशल मिडिया में भी लोगों के बीच चर्चा गर्म है. 

धोनी बाल बाल बचे

नई दिल्ली एक होटल में लगी आग में महेंद्र सिंह धोनी बाल बाल बच गए है. अब आग पर काबू पा लिया गया है. ताजा समाचार मिलने तक आग लगने के कारणों का सही पता नहीं चल सका लेकिन इसे एक बड़ी लापरवाही के रूप में देखा जा रहा है. सुरक्षा चूक कहाँ हुयी ये जांच का विषय हो सकता है.
इस होटल में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के साथ झारखण्ड की राज्य क्रिकेट टीम ठहरी थी. टीम के खिलाड़ियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया लेकिन इस दौरान खिलाड़ियों की किट जल गई. झारखंड टीम विजय हजारे ट्रॉफी का सेमीफाइनल मुकाबला खेलने के लिए दिल्ली आई हुई है. यह मुकाबला बंगाल के खिलाफ शुक्रवार को पालम मैदान में खेला जाना था. आग लगने के कारण अब मुकाबला शनिवार तक के लिए टाल दिया गया है. 

दुर्घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. दिल्ली फायर सर्विस का कहना है कि उन्हें सुबह करीब 6:30 बजे वेलकम होटल में आग लगने की खबर चली. यह होटल द्वारका के सेक्टर 10 इलाके में स्थित है. आग पर काबू पाने के लिए फायर बिग्रेड के 30 कर्मचारी भेजे गए. सुबह करीब 7:50 पर आग पर काबू पा लिया गया.

शनिवार, 6 अगस्त 2016

गौ रक्षक गुमराह करते हैं: मोदी


(वक्त के साथ बदलते सुर) 
आज लोगों से सीधी बात के नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गौ रक्षा के नाम पर चल रही तथाकथित दुकानों को बंद करने के लिए कहा. उन्होंने कहा कुछ लोग अपनी बुराइयों को छिपाने के लिए गौ रक्षा के नाम पर लोगों को गुमराह कर रहें हैं. पीएम मोदी ने टाउनहॉल कार्यक्रम में कहा कि असामाजिक कामों में लिप्त रहने वाले ऐसे लोग गौरक्षक का चोला पहन लेते हैं. राज्य सरकारें ऐसे लोगों का डॉजियर तैयार करें. प्रधानमंत्री ने कहा कि अधिकतर गायें कत्ल नहीं की जातीं, बल्कि पॉलीथिन खाने से मरती हैं. अगर ऐसे समाजसेवक प्लास्टिक फेंकना बंद करा दें, तो गायों की बड़ी रक्षा होगी. उन्होंने कहा उन्हें ऐसे लोगों पर काफी गुस्सा आता है. मोदी का ये वक्तव्य ऐसे वक्त आया है जब देश में गौ रक्षा के नाम पर कई दलितों और अल्पसंख्यकों के साथ मारपीट और उत्पीडन की खबरें आम हैं. अभी गुजरात के उना में भी कुछ गौ रक्षकों के द्वारा दलित उत्पीडन का मामला सामने आया था. यहाँ गौरतलब बात ये है कि अधिकांश गौ भक्त खुद को भाजपा से जुड़ा बताते हैं. हालिया दयाशंकर का मायावती को अपमानित करने के मामले में भी भाजपा की हालत खराब हो चुकी है, इन घटनाओं के चलते दलित वोट भाजपा से दूर होता दिखने लगा है, पार्टी के अन्दर भी बगावत के सुर सुने जाने लगे हैं. उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में जहां दलित और अल्पसंख्यक दोनों ही निर्णायक भूमिका में हैं, भाजपा को अपनी छवि को सुधारने के लिए कुछ ठोस कदमों की दरकरार थी. मोदी के इस बयान से उनकी पार्टी के कुछ गर्म दल के नेता सकते में हैं. हो सकता है कि मोदी को इसके लिए कुछ कट्टरवादी नेताओं से पार्टी के अन्दर भी निपटना पड़ सकता है. 

गुजरात की कहानी में भाजपा का लोकतंत्र

भाजपा सिर्फ चंद लोगों के हाथों में खेल रही है, इसके सबसे बड़े खिलाड़ी अमित शाह ही साबित हो रहें हैं. कल गुजरात में विजय रूपानी को जिस तरह मुख्यमंत्री बनाने में अमित शाह की भूमिका रही उससे ये साफ़ हो गया है कि पार्टी में खुली राजशाही है. नितिन पटेल को अंतिम क्षणों में उपमुख्यमंत्री का झुनझुना थमा दिया गया. सच कहें तो मोदी और शाह की टीम अपनी जिद के आगे किसी को ना टिकने देने के सिद्धांत पर काम कर रही है. लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या इस सब का कोई फायदा भाजपा को मिलना है, अगले साल होने वाले चुनावों में भाजपा को गुजरात सहित कई राज्यों में अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा. कुछ चुनावी सफलताओं ने मोदी और शाह को अति अभिमानी बना दिया है, बिहार चुनाव में मोदी ने जिस तरह बिहार के डीएनए को ललकारा था उसके चलते बिहार में भाजपा की लोटिया डूब गयी, उत्तराखंड और अरूणांचल में चंद भाजपाइयों की अतिशयता ने पार्टी को बदनाम कर डाला है. गुजरात में रूपानी को अम्बानी और अदानी के साथ जोड़ कर सोशल मीडिया में खासी चुटकियाँ ली जा रही हैं. सोशल मीडिया पर भाजपा समर्थकों की धार काफी कुंद हुयी है, दरअसल महंगाई, आंतकवाद, कश्मीर और दलित उत्पीडन के मुद्दे पर सवालों पर घिरे समर्थक कुछ बोलने की स्थिति में नहीं हैं. यही सोशल मीडिया मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी तक लाने की मुख्य कड़ी था. दिल्ली में राज्य सरकार को परेशान करना भी लोगों को नहीं सुहा रहा है, लोग इसे केंद्र की गुंडागर्दी करार दे रहें हैं, इसका सीधा फायदा "आप" पंजाब में उठायेगी ये तय है. 

शुक्रवार, 5 अगस्त 2016

गुजरात: नितिनपटेल बने नये मोहरे

आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे के बाद से ही गुजरात के नये मुख्यमंत्री को लेकर कयास लगाये जा रहे थे. आनंदीबेन ने भले ही उम्र  का तकाजा दे पद छोड़ा हो लेकिन राज्य में भाजपा के हालात कुछ ठीक नहीं हैं. पहले "पाटीदार आन्दोलन" फिर "ऊना में दलितों की पिटाई" राज्य में भाजपा की किरकिरी कर चुकी है. पिछले कुछ दिनों से राज्य में नये मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कवायद जारी है, खुद अमित शाह मोर्चा सभालें हैं. बिहार चुनावों में हार के बाद गुजरात अमित शाह और मोदी दोनों के लिए नाक का सवाल बन गया है. क्योंकि जिस गुजरात मॉडल की बात कर मोदी प्रधानमंत्री बने थे उसकी हवा अब धीरे-धीरे निकल रही है. शाह की पसंद विजय रूपानी हैं, जो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भी हैं, लेकिन आनंदी बेन को उनके नाम से सख्त ऐतराज है. अब राज्य के स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल के नाम पर सहमति बनती दिख रही है. नितिन पटेल आनंदीबेन पटेल की पसंद बताये जा रहें हैं. वैसे भी नितिन पाटीदार वर्ग से आते हैं, इसीलिये पाटीदार आन्दोलन का डैमेज कंट्रोल भी भाजपा उनके द्वारा करवाना चाहेगी. लेकिन विधायकों का एक बड़ा वर्ग अमित शाह को मुख्यमंत्री देखना चाहता है. आज होने वाली विधानमंडल की बैठक में कुछ विधायक उनका नाम भी प्रपोज कर सकते हैं. भाजपा हाईकमान अमित शाह को उत्तरप्रदेश और अन्य राज्यों में अगले साल होने वाले चुनावों के मद्देनजर उन्हें एक राज्य तक सीमित रखने के मूड में नहीं दिखता है. 

शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015

अब मेरी दिल्ली

मेरी दिल्ली दो पाटों के बीच में पिस रही है। एक ओर केजरीवाल और दूसरी ओर केंद्र में मोदी। लोकसभा में दिल्ली ने भाजपा पर भरोसा जताया लेकिन कुछ महीनों में ही भाजपा से ऐसी दुश्मनी कर ली कि भाजपा 5% सीट भी विधान सभा में नहीं जुटा पाई। मोदी के मैजिक का दिल्ली ने रस निकाल दिया। लेकिन अब केजरीवाल 2 महीने में ही अपनों की लड़ाई से परेशान हैं। अब देखना है ये दो पाट दिल्ली को कितना पीसते हैं।

रविवार, 8 फ़रवरी 2015

दिल्ली चुनाव तीन भाजपा सांसद अब बगावत के मूड में

दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद एग्जिट पोल के नतीजों के साथ भाजपा में बगावत और नाराजगी का दौर शुरू हो गया है, अगर एग्जिट पोल के ये नतीजे ऐसे ही आये मतलब "आप" की सरकार बनी तो दिल्ली भाजपा में बड़ी टूट तय है. पहली बार भाजपा के बड़े नेता मोदी और अमित शाह के खिलाफ दिल्ली भाजपा के साथ धोखे का आरोप लगाते दिखे. ज्यादातर भाजपा नेता इन परिणामों को सहज मान रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि पार्टी लाइन से अलग हट कर बेदी, शाजिया और कृष्णा तीरथ के हाथ भाजपा का भरोसा मोदी ने कैसे बेच दिया, और सतीश उपाध्याय, हर्षवर्धन, विजय गोयल जैसे बड़े पार्टी के वफादारों से क्यों किनारे किया गया? पूरी केजरी टीम के हाथ भाजपा के बड़े नेताओं को कठपुतली बनाया गया. खुद मोदी ने अपनी इज्जत बचाने के लिए किरण बेदी को आगे कर जो दांव खेला वो सब उलटा ही पड़ा और भाजपा को अपने ही लोगों से बेवफाई मिली. आर. एस. एस. का बूथ मैनेजमेंट भी पहली बार बुरी तरह से पिट गया था, दिन में दो बजे के बाद से ही ज्यादातर आर.एस.एस के कार्यकर्ता खिसकते नजर आ रहे थे. अभी भी खिसयानी बिल्ली की तरह कुछ भाजपाई खम्भा तो नोच रहें हैं लेकिन मोदी की लहर का राजधानी में यूं पिटना जबकि कम से कम 80 लोकसभा सांसदों और कूद मोदी और अमित शाह की नाक के नीचे ये सब यूं घटेगा भाजपा को उम्मीद नहीं थी, लेकिन वोटर का मानना कुछ और था त्रिलोकपुरी में हुए साम्प्रदायिक दंगो और उसके बाद मुहर्रम के मौके पर एक भाजपा विधायक द्वारा बवाना में साम्प्रदायिक सन्देश से दिल्ली की कामकाजी जनता काफी विचलित थी. इसके अलावा पिछले आठ महीनों में भाजपा के सांसदों का अपने क्षेत्र में ना दिखना भी एक बड़ी शिकायत थी, रही सही कसर बेदी के मुख्यमंत्री के रूप में सामने आने के बाद पूरी हो गयी और सांसद मनोज तिवारी, सतीश उपाध्याय, जय भगवान जैसे कद्दावर नेताओं के नेताओं के वक्तव्य ने पहले ही ये स्पष्ट कर दिया था कि भाजपा की मुश्किल बढ़ सकती हैं. अब दिल्ली के तीन भाजपा सांसद चुनाव परिणाम के बाद खुल कर बगावत कर सकते हैं.

शुक्रवार, 19 दिसंबर 2014

पहले ओबामा फिर देश: वाह क्या कहने?

पाकिस्तान में पेशावर में आतंकी हमलों के बाद भारत में भी हाई अलर्ट जारी किया गया है. लेकिन ये हाईअलर्ट सिर्फ कुछ वी. आई. पी इलाकों या फिर बड़े होटलों तक दिख रहा है. सरकार की फ़िक्र ओबामा हैं जो गणतन्त्र दिवस पर मुख्य-अतिथि होंगें किसी को आम आदमी की सुरक्षा से क्या लेना? आम आदमी की सुरक्षा में तो रोज सेंध लगती है, कभी उसके साथ लूट होती है, कभी रेप और कभी हत्या! कितने लूट, हत्या या रेप को रोक पाई है सरकार इसका जवाब किसी के पास नहीं है. अब अपनी दिल्ली को ही लें आये दिन लूट, रेप और हत्याएं होती हैं और तमाम दोषी खुले आम घूम रहें हैं और आम आदमी सिर्फ शिकार ही बन रहा है. ऐसे में सरकार और उसका ये तन्त्र किस सुरक्षा की बात कहता है? जिन्होंने आपको चुना है उनको तो सुरक्षा दे दो, ओबामा की बाद में सोचना. लेकिन हमारे प्रधानमंत्री जी हैं उनकी उपलब्धि देश की जनता नहीं अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा हैं, अमेरिका को कर दिखाना है, अमेरिकी पैसे वालों को खुश रखना है.
अब देश की जनता के पास खुद की सुरक्षा का कोई विकल्प है? सारी पुलिस तो गणतन्त्र दिवस की तैयारी में होगी और हम पाकेटमारों और रेपिस्ट की जद में, वैसे जब पुलिस वहां होती भी
पहले ओबामा: फिर देश की जनता 
है तो करती क्या है? बस इतना होता है, अपराध हो जाने के बाद मौक़ा-मुयाना जरूर करती है, कुछ लोगों को हड़काती है, कुछ से कमाती है और कुछ को भगाती है. लेकिन अब कुछ दिन मौक़ा-मुयाना कम होगा वैसे ही थाने में पुलिस स्टाफ का रोना हर एस.एच.ओ का एक बड़ा बहाना है और अब तो ओबामा आने वाले हैं और ओसामा के शागिर्द धमका रहें हैं तो पहले ओबामा फिर देश... क्या यही होगा? हमारे राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री मोदी जी? तो बदला क्या? कम से पहले जो लोग थे उन्होंने राष्ट्रवाद को तो बदनाम नहीं किया था.. और आप तो...?

रविवार, 14 दिसंबर 2014

बेचे जा रहें हैं दिल्ली के स्मारक

दिल्ली में पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित कई स्मारकों पर अवैध कब्जे की खबर मिल रही है.  इन स्मारकों की जमीन 10 हजार रूपया से 50 रूपया प्रति गज तक माफियाओं द्वारा खुले आम बेची जा रही है. दिल्ली पुलिस समेत पुरातत्व विभाग और राजस्व विभाग भी इन माफियाओं को संरक्षण देता दिख रहा है. दिल्ली में तुगलकाबाद के किले में ये अतिक्रमण खुले आम दिखता है. इस अवैध जमीन पर बकायदा बिजली और पानी के कनेक्शन भी दिए गयें हैं और इन लोगों को दिल्ली की वोटर लिस्ट में शामिल भी किया गया है. इस संदर्भ में कुछ मामलों में अवैध निर्माण को हटाने के लिए कई बार भारतीय पुरातत्व विभाग कब्जेदारों को नोटिस भी दे चुका है और कुछ मामले न्यायालय में भी लंबित हैं. लेकिन माफियाओं के जोर के चलते विभाग इन अतिक्रमणों को हटाने में अपनी अक्षमता ही दिखाता है. बड़ा सवाल ये है की माफियाओं, पुरातत्व विभाग और पुलिस की मिलीभगत से आम आदमी जो यहां जमीन खरीद रहा है बुरी तरह से ठगा जा रहा है. इस काम में स्थानीय प्रशासन के साथ नेताओं का भी पूर्ण संरक्षण इन माफियाओं को मिला है.  इनसाईट स्टोरी की टीम इन सभी स्मारकों की कहानी आप तक पहुंचाएगी अगर आपके पास भी किसी ऐसे स्मारक में अवैध कब्जे की जानकारी हो तो हमें भेजें.


गुरुवार, 11 दिसंबर 2014

चोर भाई भाग लो नहीं तो पकड़ना पडेगा: दिल्ली पुलिस

दिल्ली, सड़कें, मेट्रो स्टेशन; दिन या फिर रात कहीं कोई सुरक्षित नहीं दिखता है. कब और कहाँ कोई रेप हो जाए कहाँ आपको लूट लिया जाय इसका कोई अंदाजा किसी को नहीं। दिल्ली किसी भी एंगेल से सुरक्षित नहीं दिखती है. पुलिस तब तक सोती है जब तक कोई बड़ी वारदात ना हो जाय और अपराधी को तब तक मौक़ा देती है जब तक वह खुद को सुरक्षित ना कर लें. इसके लिए उनके पास तमाम बहाने हैं, लेकिन हर बार बहाने काम नहीं आते हैं कई बार भारी जनदबाव के चलते कुछ अपराधियों को पकड़ना भी पड़ता है. इसके बाद पुलिस अफसर खूब गुणगान करते हैं खुद की सफलताओं का, कुछ बिना बारी प्रमोशन भी पा जाते हैं लेकिन ज्यादातर केसों में उनकी ये चपलता नहीं दिखती है.
फोटो साभार: गूगल सर्च 

घटना की सूचना मिलने के बाद मौक़ा-ये-वारदात पर पहुँचनें तक इनके कई एक्सक्यूज़ बनते हैं और उसके बाद अपराधी को खोजने के बजाय कई प्रकार की कागजी कार्रवाई में पीड़ित को उलझाया जाता है फिर ज्यादातर मामलों को वहीं समाप्त करने के लिए तमाम बहानों का सहारा लिया जाता है. मोबाइल या पर्स लुटे जाने पर तो ये कहा जाता है लूट की रिपोर्ट न लिखवाएं और मात्र मोबाइल खो जाने की रिपोर्ट लिखवा लें जिससे नया नंबर एक्टिवेट किया जा सके. ज्यादा जोर पड़ने पर मोबाइल को सर्वलांस में लगाने की बात की जाती है और फिर इस बात के लिए कई अधिकारियों के परमिशन का बहाना होता है. ये सब सिर्फ अपराधी को खुद को सुरक्षित करने का खुला मौक़ा देने का एक तरीका नहीं तो क्या है? चोर भाई भाग लो नहीं तो पकड़ना पडेगा शायद इसी स्ट्रेटेजी पर काम करती है हमारी सबसे काबिल पुलिस।

यहां देखें क्या आपका मोबाइल सर्वलांस पर लगा है या नहीं?
 

दिल्ली पुलिस बनाती फूलिश

कैसा न्याय? कैसी सेवा? 
दिल्ली पुलिस जो खुद को सबसे उत्कृष्ट होने का दावा करती है और सीधे केंद्रीय गृहमंत्रालय के अधीन है. वास्तव में एक पुतला पुलिस है जिसके पास ना कुछ करने के अधिकार हैं, ना ही कुछ करने की तम्मना रिक्शे या पटरी वालों को उत्पीड़ित करना हो या कहीं वैध या अवैध निर्माण को रूकवाना हो तो वहां दिल्ली पुलिस की आमद काफी तेज होती है लेकिन वहीं किसी  अपराधी को पकड़ना हो तो उनके पास समय, संसाधन और स्टाफ सभी का रोना शुरू होता है. वैसे भी देखा जाय तो जब खुली सड़कों में रेप हों और खुलेआम स्नैचिंग की घटनाएँ हो तो दिल्ली पुलिस की कर्मठता पर सवाल उठते ही हैं. किसी भी क्षेत्र में आप खुद को सेफ नहीं पाते हैं. घंटों तक पुलिस तमाम बहाने बनाकर मोबाइल फोन को सर्वलांस पर नहीं लगवाते हैं वे अपराधियों को पूरा समय देते हैं की वे खुद को सुरक्षित कर लें मेरे द्वारा खुद 10 दिसम्बर 2014 को की गयी एफ आई आर 1380
श्री बी. एस बस्सी कोई रिस्पॉन्स नहीं 
(पुलिस स्टेशन बेगमपुर) पर 24 घंटे बीत जाने के बाद भी फोन को सर्वलांस पर नहीं लिया गया है. जबकि इसकी सूचना ए.सी.पी  श्री मीणा को उनके मोबाइल पर भी वारदात के एक घंटे के अंदर दी गई थी. साथ ही पुलिस कमिश्नर श्री बी एस बस्सी जी के निवास पर 011 24602210 पर श्री योगेन्द्र सिंह को भी 9:00 बजे दी गई और करीब आधे घंटे बाद उन्होंने बताया की उन्होंने आई.ओ  को निर्देश दिए हैं. इस सन्दर्भ में ए.सी.पी  श्री मीणा के हस्तक्षेप के बाद लोकल एस.एच.ओ  श्री रमेश सिंह भी मौका-ये-वारदात पर आये और मुझे इस पर कार्रवाई का भरोसा दिया और तुरंत लोकल गस्त बढ़ाने की बात भी की. लेकिन 24 घंटे बाद भी फोन को सर्वलांस पर नहीं लिया गया. ऐसा क्यों है इस संदर्भ में जब मैंने 11 दिसंबर 2014, 8  बजे श्री मीणा से पूछा तो उनका कहना था की फॉर्म तो कल ही भर दिया गया था लेकिन अभी तक फोन ट्रैकिंग पर क्यों नहीं लगा तो इसका जवाब उनके पास नहीं था. पुलिस ए.एस.आई श्री सतवीर सिंह ने बताया की उनके पास स्टाफ और साधनों की कमी है. लेकिन ये सच है की कहीं कोई पानी का नया कनेक्शन लिया जाता है तो वहां तमाम स्टाफ तुरंत पहुंच जाता है. तब पता नहीं स्टाफ कहाँ से आता है? मैंने खुद श्री बी एस बस्सी जी को उनके मोबाइल पर 100 से ज्यादा बार फोन करने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने फोन उठाना गँवारा नहीं समझा क्या किसी आपात स्थिति में उनसे कोई संपर्क कर पायेगा। क्या यहीं राजनाथ साहब की गुड गवर्नेन्स है? दिल्ली पुलिस का शान्ति, सेवा और न्याय का स्लोगन सही अर्थों में अपराधियों को शान्ति से काम करने दें, माफियाओं को सेवा दें और आम आदमी को न्याय से महरूम रखें यही लगता है.
 

गुरुवार, 9 अक्तूबर 2014

मिड डे मील: रसोइये को निवाला नहीं

मिड डे मील सरकार की शिक्षा योजना का बड़ा हिस्सा है, जिसके द्वारा  जहां बच्चे को पोषण का लक्ष्य किया जाता है वहीं दूसरी ओर उन्हें स्कूल में बनाये रखने का भी ये एक बड़ा तरीका साबित हुआ है. लेकिन कभी गुणवत्ता तो कभी किन्हीं और कारणों से ये योजना अपवादों में बनी रही है. अभी हाल ही में दिल्ली जंतर-मंतर में धरने पर बैठी कई रसोइया जो बिहार के स्कूलों में भोजन बनाने का करती हैं से रूबरू होने और बात करने का मौक़ा मिला। क्या और क्यों? ये सच है की मिड डे मील एक महत्वाकांक्षी योजना है. लेकिन इन रसोइयों की हालत देख तो लग रहा था की ये सब ढकोसला मात्र है. मात्र एक हजार रूपया महीना पर काम करने वाली ये महिलाएं न्यूनतम निर्धारित मजदूरी भी नहीं प्राप्त कर पा रहीं है. इन महिलाओं से बात कर पता चला की कितनी बदतर हालातों के बीच ये इस योजना को सफलता पूर्वक पूरा करने के लिए अपना पूरा प्रयास कर रहीं हैं. ख़ास बात यह है की इन महिलाओं को मात्र १० माह का पैसा ही मिलता है. मानव संसाधन मंत्रालय की वेबसाइट को काफी रंगीन तो कर दिया गया है लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है. आखिर कब तक बच्चों को खाना परोसने वालों को एक निवाले के लिए तरसना पडेगा। वैसे तो बिहार में स्वयंसेवी संस्थाओं का एक बड़ा समूह है जो शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने और बदलने का दावा कर रहा है लेकिन इस पर उनकी खामोशी उनकी मंशा पर भी सवाल खड़ा करती है.

(इनसाईट स्टोरी)


रविवार, 17 अगस्त 2014

मांझी डुबो ना दें मोदी की नैया


एक ओर दिल्ली में लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री महिलाओं के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के लिए माता-पिता को दोष दे रहें हैं कि माँ-बाप अपने लडकों पर बंधन नहीं लगाते हैं, लोग तालियाँ बजाते हैं. मोदी खुश हैं कि लोग तालियाँ बजा रहें हैं लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री का भी एक लड़का प्रवीण मांझी है जिस पर एक महिला कांस्टेबल के शोषण का आरोप लगा तो उनका कहना है की उनका लड़का क्या अपनी गर्ल फ्रेंड के साथ घूम भी नहीं सकता है जबकि पार्कों में आमतौर पर ऐसे जोड़े दिखते हैं. गौरतलब है की बोध गया के एक होटल में  कर्मचारियों द्वारा होटल का बिल जमा ना करवाने पर मांझी के बेटे और उनके आई साथ महिला कांस्टेबल को भी कमरे में बंद कर दिया था. जिसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ी थी लेकिन बाद में होटल वाले को कुछ पैसा दे मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया गया. इसके बाद राज्य भाजपा के द्वारा भी मोर्चा खोला गया तो जीतन मांझी का महादलित का रोना शुरू हो गया की एक महादलित को मुख्यमंत्री बना देख कुछ नेताओं को बुरा लग रहा है, इसी कारण वे उनके खिलाफ प्रचार कर रहें हैं.
अब सवाल मोदी जी से क्या जीतन मांझी आपके उन तथाकथित बापों में शामिल नहीं जिनका जिक्र लाल किले से किया गया था. क्योंकि आप ना इस विषय पर कुछ बोले हैं और ना ही कोई एक्शन आप की ओर से दिख रहा है. क्या लालकिले से किया प्रलाप एक दिखावा मात्र था वैसे इस प्रकार के भ्रम में आप देश की जनता को डालते आयें हैं. लेकिन लगता है ऐसे मांझी आप की नैया डुबो ही देंगें. इसलिए ज़रा सोचिये लालकिले की प्राचीर से बोलने की एक मर्यादा होती है या होनी चाहिए... खैर अब आप से क्या कहना... आप तो वहीं बोलेंगें जो बोलने को कहा जाएगा... बिना देखे 1 घंटे के जिस प्रलाप पर आपकी तारीफ़ हो रही है उसकी धज्जियां तो 24 घंटे में ही मांझी जैसों ने उड़ा दी. 

सोमवार, 28 जुलाई 2014

सजा सेक्स का बाजार: क्यों ना हों बलात्कार

आज बलात्कार का विषय प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या फिर सोशल मीडिया सबमें सबसे ज्यादा पढ़ा और देखे जाने वाला विषय है. जब भी कहीं बलात्कार की घटना घटती है तो चारों ओर हो-हल्ला मचता है. विशेषकर सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तो बलात्कार को सबसे ज्यादा टीआरपी का विषय मानता है. बलात्कार क्यों होते है? इस बारे में भी तमाम बातें बनती हैं. कोई इसे ड्रेस तो कोई इसे मोबाइल या फिर चाउमीन से जोड़ कर तक बयान देता है. बलात्कार को लेकर बने कानूनों पर भी काफी चर्चा होती है. निर्भया काण्ड के बाद बने नये कानूनों के बाद ये माना जा रहा था कि बलात्कार की घटनाओं में काफी कमी होगी. लेकिन हुआ इसका उल्टा इस प्रकार के अपराधों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. इसका क्या मतलब निकाला जाय? अभी उत्तर प्रदेश में लगातार हो रहे बलात्कारों के लिए अखिलेश सरकार की काफी आलोचना हो रही है. मुलायम सिंह के बयान बच्चों से गलती हो जाती है या फिर इतने बड़े राज्य में बलात्कार को रोक पाना आसान नहीं है पर भी तमाम आलोचनाएँ होती हैं. इससे पहले दिल्ली में भी बलात्कार की कई घटनाएँ एक के बाद एक लगातार सामने आयी थी. इस पर शीला सरकार और मनमोहन सरकार की काफी किरकिरी भी हुयी थी. 

आकड़ों के उलझाव से दूर हम एक विशेष विशलेष्ण प्रस्तुत कर रहें हैं.

जब हमने बलात्कार के कारणों को ढूढना शुरू किया तो कई नये पहलू सामने आये, जिसमें सामाजिक, आर्थिक, नैतिक के साथ सेक्स के लिए तैयार बाजार का बड़ा हाथ दिखा. बलात्कार विषय पर जब भी बहस हुयी ज्यादातर संवेदनाओं के दायरे में ही हुयी है. इस विशेष रपट में हम बलात्कार के लिए जिम्मेदार कुछ कमर्शियल बिन्दुओं पर चर्चा करेंगें. आइये पहले सेक्स के लिए तैयार बाजार पर नजर डालें जो अंततः बलात्कार जैसी वीभस्तता पर जाकर खत्म होता है. सेक्स विषय पर आज समाज बहस जरूर करता है लेकिन सेक्स के इस बाजार के बारे में बात करने में उसकी नैतिकता को चोट पहुचती है. आज सरकारी योजनाओं के साथ मीडिया और बाजार खुले सेक्स की ओर समाज को धकेलने का काम कर रही है. सेक्स के लिए जरूरी या बचने के उपायों का खूब प्रचार किया जाता है. एक बड़ा बाजार जिस पर आम आदमी की नजर भी नहीं पड़ती है एक पानवाडी से लेकर बड़े से बड़े माल तक में सजा दिखता है. क्या ये सब भी बलात्कार के लिए जिम्मेदार हैं? इस विषय पर कोई बहस आज तक नहीं दिखी. देश में गर्भ निरोधकों का एक बड़ा बाजार है. जिसमें अनवांटेड 72, आई-पिल्स, कांडोम खुले आम बिकते हैं. इनके कई पन्नों के विज्ञापन रोज समाचार पत्र और पत्रिकाओं में छपते हैं. टीवी में इनके विज्ञापन काफी आम हैं. जिसमें इनसे मिलने वाली चरम अनुभूतियों के साथ लाभ भी गिनाएं जाते हैं. अब बात करते हैं इनके ग्राहकों की, इसमें तमाम वे लोग हैं जिन्हें इनकी आवश्यकता नहीं है. टीनएजर के साथ अविवाहितों का बड़ा वर्ग भी इसका खुल कर प्रयोग कर रहा है. अविवाहित जोड़ें इनका प्रयोग क्यों कर रहें हैं? इन उत्पादों को उन्हें क्यों बेचा जा रहा है. क्या इनके उपयोगकर्ताओं का कृत्य बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता है? आज बाजार में सेक्स पावर को बढाने के साथ गर्भधारण करने से बचने के तमाम तरीके मौजूद हैं और आसानी से उपलब्ध भी हैं और इन्हें काफी लुभावने विज्ञापनों के साथ बेचा जा रहा है. किसी भी मीडिया की बात कर लें सब जगह इनकी चर्चे आम हैं. विशेषकर इन्टरनेट और मोबाइल की दस्तक ने इसे आम आदमी से जोड़ने में बड़ी मदद की है. पोर्न साइट्स खुलेआम उपलब्ध हैं जहां पर सेक्स खुला बिक रहा है. एक फोन पर मेल या फीमेल एस्कॉर्ट हाजिर, हर छोटे-बड़े शहर में एक बड़ी कम्युनिटी इससे जुडी है. मल्टीमीडिया फोन पर अश्लील क्लिप और फुल लेंथ फ़िल्में कोई भी कहीं भी डाऊनलोड करवा सकता है. ये फ़िल्में 10 रूपये की सीडी या डीवीडी से लेकर 500 रूपये की सदस्यता लेकर भी डाउनलोड करवाई जा सकती हैं. और देश में ही पिछले साल करीब 500 करोड़ का बिजनेस सिर्फ महानगरों में किया गया है वह भी पूर्णतया अवैध तरीके से. कई साइट्स तो खुल्मखुला सेक्स स्टोरी परोस रही हैं जो एक आम मन को विचलित करने के लिए काफी हैं. तमाम भारतीय भाषाओं में इन साइट्स पर उत्तेजक कहानियां उपलब्ध हैं. अन्तर्वासना डॉट कॉम जैसी तमाम साइट्स इन उत्तेजक कहानियों को भारतीय नामों के साथ जोड़कर प्रकाशित करती हैं. रेड ट्यूब डॉट कॉम जैसी साइट्स बिलकुल फ्री में सेक्स फिल्मों को डाउनलोड करने की सुविधा दे रहीं हैं. ये सब जनता और सरकारों के सामने है. लेकिन कोई कुछ नहीं बोलता और फेसबुक और ट्विटर पर बलात्कार या महिलाओं के अधिकारों की बात करने वाले एक्टिविस्ट और संस्थान भी कुछ नहीं बोलते. इस वैश्विक बाजार पर ना ही न्यायपालिका को कुछ गलत नजर आता है और ना ही कार्यपालिका को. आम जनता भी बलात्कार और छेड़खानी घटनाओं पर तो भड़कती है लेकिन इन विषयों के साथ काफी खामोश नजर आती है. तो क्या ये मान लिया जाय की सभी की मौन सहमति इस बाजार के साथ है? जी हाँ कुछ ऐसा ही हम बलात्कारियों की सेक्स भावना भड़काने वाले इन कारणों के साथ अपनी सहमति जताकर कर रहे हैं. अभी एक विश्लेष्ण में सामने आया है की देश में वियाग्रा के 66 सबस्टीट्यूट उपलब्ध हैं जिन की कीमत प्रति गोली Sxx (100 Mg) (Roselabs Healthcare Pvt. Ltd.) 5.73 रूपये से लेकर Viagra (100 Mg) 621.85 रूपये (Pfizer) तक है जो बिना डाक्टरी प्रिस्क्रिप्शन के किसी के लिए भी आसानी से उपलब्ध हैं. कई आनलाइन साइट्स आपको 15% तक छूट के साथ इसकी होम डिलीवरी भी बिना प्रिस्क्रिप्शन के कर देती हैं.

अब आप बताये जब सारा बाजार तैयार है और सभी को सुलभ भी है तो फिर सेक्स भावनाएं भड़कती हैं और उनकी परिणिति बलात्कार के रूप में होती है तो उसे कौन रोक पायेगा. दिल्ली की सबसे बड़ी एसी मार्केट में सेक्स टॉयज बेचने वाले आपको सीधे ऑफर करते हुए मिलते हैं. किसी को उनसे कोई परेशानी नहीं होती है. इस बाजार के साथ उत्तेजना और वह्शीयत के इस इस सच को स्वीकार करना होगा और इससे निपटना भी होगा तभी रेप और रेपिस्ट को रोका जा सकेगा.



(आशुतोष पाण्डेय)

मंगलवार, 1 जुलाई 2014

अगर यशवंत सिन्हा खुद मुख्यमंत्री बने तो

रांची 1 जुलाय 2014, झारखंड में विधान सभा चुनाव में अगर भाजपा जीती तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा इस सवाल के जवाब में भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा अपना आपा खो बैठे. उनका जवाब इतना अशोभनीय था की भाजपा के नेताओं के पास सफाई देने के लिए भी शब्द नहीं बचे हैं. यशवंत सिन्हा रांची स्थित झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स में प्रदेश के बजट पर एक प्रोग्राम को संबोधित कर रहे थे. हाल ही में पूर्व विदेश मंत्री सुर्खियों में थे जब उन्होंने झारखंड में बिजली को लेकर आंदोलन शुरू किया था. इस सिलसिले में वह हजारीबाग में 15 दिनों तक जेल में भी रहे. 
जेल में जब बीजेपी से सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी उनसे मिलने गये थे तो उन्होंने ने कहा था कि यशवंत सिन्हा  झारखंड में नेतृत्व संभालने के लिए बेहद सक्षम नेता हैं. केंद्र की राजनीति से मोदी सरकार से बाहर होने के बाद सिन्हा झारखंड में फिलहाल खुद को सक्रिय रख रहे हैं. सिन्हा के आपत्तिजनक बयान के बाद झारखंड की राजनीति में एक नया बवाल खड़ा हो गया है. राजनीतिक पार्टियों ने तीखी आलोचना की है. बीजेपी के ज्यादातर नेताओं ने इस अशोभनीय कथन पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. झारखंड के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखदेव भगत ने कहा कि इतने सम्मानित और अनुभवी नेता से ऐसी आपत्तिजनक और असंसदीय भाषा की उम्मीद नहीं थी. इससे पहले भी भाजपा के नेता अपनी पार्टी पर ही खीस निकालते रहें हैं. 
यदि कभी सिन्हा खुद मुख्यमंत्री बनते हैं तो क्या खुद को उस अशोभनीय शब्द से ही संबोधित करेंगें? जहां भाजपा के नेता एक ओर आदर्शों का ढोंग खुले आम करते हैं वहीं इन नेताओं की इन भद्दी टिप्पणियों पर चुप्पी साधे बैठे रहते हैं. 

मंगलवार, 1 अप्रैल 2014

वाड्रा के मोदी गान के बाद मोदी ने उन्हें देश का दामाद कहा

अब राबर्ट वाड्रा ने नरेंद्र मोदी का गुणगान किया है कल रात एक बिजनेस सेमीनार में उन्होंने कहा की नरेंद्र मोदी ही भारतीय व्यापार को ऊँचाइयों पर पहुचा सकते हैं, उन्होंने गुजरात माडल की तारीफ़ करते हुए कहा की जिस तरह गुजरात का विकास हुआ है उसी तर्ज पर पूरे देश को विकास के रास्ते पर अग्रसर करने की आवश्यकता है. इसके तुरंत बाद मोदी ने भी कहा "राबर्ट इस देश के दामाद हैं" हम उनकी सोच की तारीफ़ करते हैं. दिल्ली में हुए इस सेमीनार के बाद आयोजकों और मीडिया को इस बारे में तूल ना देने का आग्रह किया है. दस जनपथ या कांग्रेस के किसी वरिष्ठ नेता ने इस पर किसी टिप्पणी से इनकार कर दिया है, लेकिन भाजपा आज इस बारे में एक प्रेस कांफ्रेस करने का मूड बना रही है.

(महामूर्ख मीडिया प्रतिनिधि)
की प्रस्तुति

शनिवार, 29 मार्च 2014

मसूद गिरफ्तार, राहुल नहीं जायेंगे सहारनपुर

उत्तर प्रदेश में सहारनपुर संसदीय सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार इमरान मसूद की शनिवार तड़के हुई गिरफ्तारी के बाद पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी की सहारनपुर रैली रद्द कर दी गई है. राहुल की शनिवार को सहारनपुर, गाजियाबाद और मुरादाबाद में जनसभाएं होनी थी, लेकिन मसूद की गिरफ्तारी के बाद उनकी सहारनपुर रैली स्थगित कर दी गई है. राहुल की बाकी दोनों रैलियां तय समय पर ही होंगी. अपने इस भाषण में मसूद ने नरेंद्र मोदी की बोटी-बोटी अलग कर देने की बात कही थी. इस मामले में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई थी और इस बयान के लिए मसूद के खिलाफ कार्रवाई की मांग हो रही थी. पुलिस ने बताया कि मसूद को आज सुबह गिरफ्तार किया गया. मसूद सहारनपुर से कांग्रेस के लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी हैं. पार्टी ने उनकी टिप्पणी से यह कहते हुए दूरी बना ली थी कि वह हिंसा को अस्वीकार करती है, चाहे वह शाब्दिक हो या कुछ और. वहीं, भाजपा ने इस टिप्पणी को भड़काउ करार देते हुए विवाद में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को घसीट लिया था. इसके बाद राहुल की सहारनपुर रैली को रद्द कर दिया है. मसूद की उम्मीदवारी को लेकर पार्टी में काफी विवाद चल रहा है. वैसे मसूद ने खुद कांग्रेस पार्टी को इससे अलग करते हुए कहा है की ये भाषण उन्होंने तब दिया था जब वे कांग्रेस में शामिल नहीं थे. इस भाषण के वीडियो फुटेज में मसूद मोदी की बोटी-बोटी करने की बात कह रहें हैं. 

(इनसाईट स्टोरी) 
सहारनपुर 
#insightstory 

मंगलवार, 25 मार्च 2014

तहलका कार्टूनिस्ट तन्मय को माया कामथ अवार्ड-2013

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ कार्टूनिंग के द्वारा  माया कामथ मेमोरियल अवार्ड-२०१३ की घोषणा कर दी गयी है. राजनैतिक कार्टून की क्षेणी में प्रथम पुरूस्कार के लिए तहलका दिल्ली के सीनियर कार्टूनिस्ट तन्मय त्यागी को चुना गया है. इस अवार्ड के लिए 95 एंट्री में से प्रथम रू० 25000 का पुरूस्कार वर्तमान राजनैतिक घटनाचक्र पर बनाये गये एक चप्पल कार्टून के लिए तन्मय त्यागी को दिया जाएगा.  इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ कार्टूनिंग के द्वारा जारी नोट में बताया गया है कि ये अवार्ड 100 वीं कार्टून प्रदर्शनी में जून 2014 में प्रदान किये जायेंगें. उनके अलावा मनोज चोपड़ा पंजाब केसरी (जम्मू-तवी ) को दूसरा और आलोक निरंतर (सकल टाइम्स) को तीसरा स्थान मिला है. सर्वश्रेष्ठ फॉरेन कार्टूनिस्ट का अवार्ड बुल्गारिया के वलेंतिन को दिया गया है.
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गुरुवार, 13 फ़रवरी 2014

प्यार और सेक्स क्या जरूरत नहीं है

कल कुछ लोग प्यार करेंगें! प्यार का इजहार करेंगें! और कुछ इन प्यार करने वालों की खिलाफत. पहली बार एक व्यापक आन्दोलन भी शुरू होगा प्यार करने वालों के लिए.. लव धर्मा नाम से एक संस्था पहली बार प्रेम और सेक्स की सर्वमान्यता पर एक आन्दोलन करने जा रही है. इस देश में प्रेम को खाप की नजरों से ही देखा जाता है लेकिन आज इस बदलते समय में तो हमको बदलना ही होगा. प्यार को परिभाषित या कहें तो स्वीकार्य बनाना ही होगा. हर इंसान के अन्दर प्रेम और सेक्स की प्रवृति होती है और ये ही कारण है की हम एक व्यापक सृष्टि को देखतें हैं. इस सच के बाद भी प्यार और सेक्स को लेकर कहीं ना कहीं एक विरोध दिखता है. आज प्यार एक कुंठा के रूप में जन्म ले रहा है, आप देख सकते हैं की दिल्ली के तमाम पार्कों में अश्लीलता की हद से भी ज्यादा काफी कुछ दिखता है. समाज की मान्यता ना मिलने के कारण ये सब काफी संक्रमित स्थिति में दिख रहा है. समाज, स्कूल, कालेज जहां इस प्यार की शुरूआत होती है वहीं इस प्यार पर पाबंदियां हैं. बजाय पाबंदी के इसे प्रोत्साहित किया जाय, प्यार करना जुर्म ना हो... प्यार के इजहार में आनर किलिंग की धमकी ना हो तो ये प्यार सही दिशा में जाएगा. प्यार के अलावा सेक्स को तो और भी गंदी मानसिकता के साथ देखा जाता है, लेकिन जो सेक्स समस्त सृष्टि का कारक है उसे लेकर इतना हल्ला क्यों? कुछ या कहें
ज्यादातर लोग जो कभी ना कभी सेक्स की क्रियाओं में लिप्त रहतें हैं उन्हें दूसरों की लिप्तता पर बैचेनी क्यों होती है. इस प्रश्न पर एक महानुभाव का सवाल था पार्कों में जो हो रहा है, दिख रहा है क्या वह सब ठीक है? उनका ये सवाल काफी अटपटा था... मैंने कहा की क्या आप इन बच्चों को घर में प्यार करने का मौक़ा देंगें तो वे उबल गये और काफी खरी-खोटी सुना निकल गये. ऐसे ही एक कृष्ण भक्त मिले जो कृष्ण की रास लीला के दीवाने थे एक दिन अपनी बिटिया को किसी लडके के साथ काफी पीते देख लिया तो आपा खो बैठे पहले बिटिया की ठुकाई और फिर लडके के घर जा उसे देख लेने की धमकी देकर आये. जब हमने उनके बारे में जाना तो पता चला की 20 साल पहले उन्होंने खुद लव मैरिज की थी. जो चीज 20 साल पहले ठीक थी आज गलत हो गयी कैसे? 

कभी भी आ सकता है केजरीवाल का इस्तीफा

अभी दे सकते हैं केजरीवाल इस्तीफा! विधान सभा के सत्र में 13 फरवरी को जनलोकपाल को लाने की घोषणा के बाद अंत में केजरीवाल ने अपनी आदत के मुताबिक़ फिर इस बात से पलट कर अपना आदर्श कायम रखा है और फिर विधानसभा में सोमनाथ भारती के इस्तीफे की मांग को लेकर भाजपा और कांग्रेस विधायकों ने काफी बबाल काटा है. सोमनाथ पर चूड़ियाँ और लिपस्टिक फेंक विरोध जताया जा रहा है. विश्वस्त सूत्रों के अनुसार केजरीवाल इस बात का फायदा उठा अपना इस्तीफा विधान सभा में ही पेश कर सकते हैं. ऐसा कर वो एक सन्देश देने में कामयाब हो सकते हैं की आज संसद और फिर विधान सभा में जो घटा उसके बाद वे इस सिस्टम से अलग होना ही पसंद करेंगे. तेलंगाना की मांग को लेकर संसद में चाकू तक निकाले जा चुके हैं. ये चाकू कैसे अन्दर पहुचें ये भी एक बड़ा प्रश्न है. क्या वास्तव में हमारी संसद में सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है ये तमाम सवाल हैं जो अब उठने चाहिए. विधान सभा से बाहर कई थिंक टैंकर इस भूमिका को तैयार करने में लगें हैं.

बुधवार, 12 फ़रवरी 2014

वेलेंटाइन प्रेम सन्देश भेजें अपने अजीज को

 
अपने वेलेंटाइन मेसेज भेजें अपने ख़ास को... इस वेलेंटाइन पर कुछ ख़ास मेसेज भेजें जिन्हें पढने वाला सदा याद रखे. 
अपने मैसेज #love2014  लिखकर हिन्दी या अंगरेजी में भेंजें... इसके साथ आप पिक्चर भी भेज सकते हैं लेकिन केवल JPEG Format में... हम आपके मैसेज आपके अजीज तक पहुचायेंगें... 
मैसेज में अपना नाम इमेल के साथ मोबाइल न. भी शेयर कर सकते हैं. 
साथ ही जिसे मैसेज भेजना हो उसका नाम भी लिखें... 
मैसेज editor.insight@hotmail.com पर भेजें... आपके मैसेज तुरंत लाइव किये जायेंगे


गुरुवार, 23 जनवरी 2014

मैं ज़िंदा हूँ क्योंकि ये मेरे साथ हैं

धर्मेन्द्र: एक जीवंत प्रेरणा 
कभी जब लिखने बैठता हूँ तो लगता है ये सब कुछ खाली है, कहीं कुछ बदलना तो नहीं है लेकिन अगले पल ख्याल आता है कोशिश तो कर ले. फिर कोशिश शुरू होती है कहीं अंतहीन एक कोशिश. कल दो लोगों से मिला एक तो मेरे काफी पुराने मित्र हैं जो कल काफी दिनों के बाद मिले और दूसरे कल एक केन्द्रीय विद्यालय के सेवानिवृत प्रधानाचार्य भी मिले जिनसे हुआ वार्तालाप मैंने फेसबुक पर भी पोस्ट किया जरा बानगी देखिएगा.

(क्या आप को भी ऐसे शिक्षक चाहिए?कल एक केन्द्रीय विद्यालय से रिटायर्ड प्रधानाचार्य मिले, उनकी एक अजीब अनुनय थी पाण्डेय जी मैंने आज तक कोई भ्रष्टाचार नहीं किया बड़े ईमानदारी से नौकरी की अब आपसे एक विनती है कहीं अपने सम्बन्धों का प्रयोग कर मेरे बेटे को जिसने केन्द्रीय विद्यालय पी जी टी (इतिहास) का पेपर दिया है पास करवा दो... जितना भी लेना देना पड़े कोई बात नहीं.
एस जी नाथन: खूबसूरत जिन्दगी 
ये व्यक्ति काफी समर्थ हैं और बेटे के पास आरक्षण की ढाल भी है... फिर भी नौकरियां खरीद रहें हैं क्या नौकरियां यूं बिकती हैं? क्या कोई इन के बेटे की मदद करेगा खैर में कल केन्द्रीय विद्यालय संगठन जाकर कोशिश करता हूँ और फिर बताता हूँ की ये संभव है या नहीं...) Post by Ashutosh Pandey. (पूरा पोस्ट देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें). ये तो हाल है हमारे देश को संभालने वाले गुरूओं का. खैर नौकरियां खरीदने के साथ डिग्रियां खरीदने वालों की भी भरमार है. जो ये सब खरीद ले सारा जहां उसका दीवाना.
दूसरे मित्र का उल्लेख भी उनके नाम के साथ करूंगा. एस जी नाथन एक आम लेकिन ख़ास शख्शियत का आदमी जिसके लिए जिन्दगी में मूल्यों का विशेष मूल्य है. जब भी जो किया उस ईश की कृपा मान कर किया और जीवन के हर पल को खूबसूरत बना दिया. इसके साथ एक बड़ा नाम जिसका उल्लेख में कर रहा हूँ एक योगी का है जिसे कर्मयोगी कहूं या फिर एक इंसान (क्योंकि आज करोड़ों की भीड़ में सब मिलते हैं सिवा इंसान के) धर्मेन्द्र कुमार सिंह इस चेहरे पर जो शांत और निश्चल मुस्कान खिली होती है वो जो कहती है वह वास्तव में सम्मोहित करने वाली है. यूपी के कानपुर में साह्वेस के नाम से एक प्राकृतिक आन्दोलन जिसमें अनन्य भक्ति के साथ कई लोगों को जीवन प्रेरणा देकर उन्हें इंसान बना देना ये एक छोटा काम नहीं है. इन सब लोगों से घिरा क्या महसूस करता हूँ क्या कहूं? जब सबसे पहले वाले प्रधानाचार्य मिलते हैं तो लगता है धन ही जीवन है और जब नाथन या धर्मेन्द्र से मुखातिब होता हूँ तो लगता है एक जीवन सुधार दूंगा तो तमाम सम्पत्ति मिल जायेगी. सच कहूं तो उन प्रधानाचार्य के चेहरे पर चिंता चिता बन सुलग रही थी लेकिन ये दो लोग खुल कर मुस्कराते हैं इनके हाथ खुले होते हैं और ऊपर वाला भी इन पर नियामत लुटाता है. बस कोशिश करें की हम भी इन दो जैसे हाथों को फैला सारे जहां को समा लें...
मेरे दोस्त धर्मेन्द्र और नाथन को... शब्द खत्म हो जाते हैं सिर्फ दुआएं निकलती हैं.



गुरुवार, 9 जनवरी 2014

नमो-नमो कहीं केजरी की भेंट ना चढ़ जाय

अजी बस हर ओर एक ही हल्ला है केजरीवाल और "आम आदमी पार्टी". पिछले एक साल से देश में प्रधानमंत्री पद के लिए भाजपा मोदी को आगे कर रही थी और सारा देश नमो-नमो का जाप कर रहा था. लेकिन दिल्ली में केजरीवाल क्या आये? सब कुछ बदलने लगा. मोदी का ग्राफ भाजपा के साथ नीचे आने लगा है कई बीजेपी के नेता जो कि गुजरात से सम्बंधित हैं अब "आप" का जाप कर रहें हैं. मोदी तो प्रधानमंत्री के रूप में पहली पसंद जरूर हैं लेकिन सांसद के लिए वोट का सवाल है तो आप काफी आगे है. जब वोट आप को पड़े तो फिर भाजपा के नमो की प्रसिद्धि का क्या फायदा होगा? शहरों में केजरीवाल जिस तरीके से पकड़ बना रहें है उससे तो ये साफ़ दिख रहा है एक बार फिर आम आदमी के साथ केजरीवाल देश की राजनीति की दिशा को अपने साथ मोड़ने के लिए तैयार हैं. आज आई.बी.एन. 7 से इस्तीफा दे आशुतोष भी आम आदमी पार्टी में  शामिल होने की बात कर रहें हैं. ना सिर्फ शहरों में बल्कि गावों और कस्बों में भी केजरीवाल का जादू सर चढ़ बोल रहा है. ना सिर्फ युवाओं में बल्कि सभी आयु वर्ग में केजरीवाल के चाहने वाले हैं. देश भर में आम आदमी पार्टी की लगातार बढ़ती पॉप्युलैरटी से न सिर्फ बीजेपी, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भी डरा हुआ है. आरएसएस ने दिल्ली में आप की कामयाबी को बीजेपी के लिए बड़ा संकट बताया है. संघ ने कहा है कि राज्यों में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में जीत से बीजेपी को ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है. पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की, वहीं दिल्ली में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आने के बावजूद आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को सरकार बनाने से रोक दिया. असल में आरएसएस की ये चिंता जायज भी है क्योंकि इस समय एक मौक़ा है जब भाजपा केंद्र में सरकार बना सकती है और अभी ये ना हो पाया तो भाजपा को लंबा इन्तजार करना पड़ सकता है. 

केजरी सर-सर-कार ये कैसी सरकार है?


Get your own Wavy Scroller


दिल्ली को काफी ना-नुकर के बाद एक आधी अधूरी सरकार तो मिल गयी लेकिन लगता है ये एक अपरिपक्व सरकार है, जिसका कोई एक केंद्र न हो ये बहुकेन्द्रित सरकार है. ये सरकार किसी नियम या कायदे से बंधी नहीं दिख रही है. तीन फैसलों के अलावा इस सरकार के पास बताने को क्या है? ये तो खुद इन्हें ही नहीं पता होगा. बिजली और पानी के लिए तो सब्सिडी की सीढ़ी चढ़ केजरीवाल ने धमाल कर दिया. भ्रष्टाचार के लिए बनी हैल्प लाइन पर शिकायत नहीं सुनी जायेगी बल्कि स्टिंग आपरेशन करने सिखाये जायेंगें. इसके अलावा पार्टी के बड़े नेता कश्मीर के बारे में एक दुखद रवैया रखते हैं. इसे सरकार ना कह सिर्फ एक दवाब समूह का शासन कहा जाय तो अच्छा होगा. क्योंकि इसके राज में जो भी हो रहा है वह सिर्फ आम आदमी पार्टी के पोर्टल पर दिख रहा है. दिल्ली सरकार के पोर्टल पर कोई भी जानकारियां उपलब्ध नहीं हैं, इसका सीधा मतलब क्या है इस सरकार को अपने ही सरकारी तन्त्र से परहेज है. सत्ता में आने के बाद भी सरकार शब्द से कट कर क्या साबित करना चाहते है "आप" के लोग. कार्यशैली देखिये जीते-हारे सारे विधायक, मंत्री, वालियेंटर सब कुल मिला कर अफसरों की क्लास लेने में उलझे हैं. कहीं किसी को कुछ करने का मौक़ा ही नहीं दे रहें हैं. ऐसे में दिल्ली का क्या होगा ये सवाल काफी बड़ा है. इसके अलावा लोकसभा की 300 से ज्यादा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार कर केंद्र में भी सत्ता सुख का आभास लेना अब इसका अगला टार्गेट है. एलीट क्लास की एक बड़ी भीड़ आजकल इस पार्टी के इर्द-गिर्द दिख रही है. बड़े-बड़े कार्पोरेट घरानों को बाय-बाय कर ये लोग पार्टी से जुड़ रहें हैं. कुछ टिकट के जुगाड़ में तो कुछ किसी और जुगाड़ में. ये देश भी बड़ा अजीब है, कभी किसी को अर्श पर ले आता है तो किसी को फर्श पर. अभी आप का समय चल रहा है. लेकिन कहीं जनता का ये मोह अन्तोत्गत्वा जनता को महंगा साबित ना हो. आने वाले लोकसभा चुनावों में "आप" अपना वजूद जाहिर करेगी ये तो तय है और दिल्ली के तख्त की लड़ाई को मजेदार भी बनायेगी. कहीं ऐसा ना कि अभी तक बिखरे तमाम दल एक छतरी के नीचे आ जाएँ और दक्षिण और वामपंथ जैसे शब्दों की खाई भी पट जाए. वैसे केजरीवाल खुद और अपनी पार्टी को आम जनता के साथ जोड़ कर दिखा रहें हैं लेकिन इस देश में जहां एक धर्म और एक जाति के अन्दर ही ना जाने कितने विभाजन हैं वहां ये नारे कितने काम आयेंगें पता नहीं. स्वराज की बात यहाँ कौन नहीं करता... और कौन इसको स्थापित करने के लिए कोशिश करता है ये सवाल भारतीय राजनिती में काफी बड़े हो जाते हैं.


बुधवार, 25 दिसंबर 2013

केजरीवाल आयेंगें कांग्रेसी जेल जायेंगें?

इस समय दिल्ली में सबसे ज्यादा बैचेन कोई है तो वो हैं कांग्रेसी नेता, जिनके कई मामले ऐसे हैं जिनकी जांच केजरीवाल करा सकते हैं. इसमें कामनवेल्थ घोटाला, शीला सरकार के मंत्रियों के द्वारा पद के दुरूपयोग का मामला और विधायक निधि के साथ कई योजनाओं की जांच की जा सकती है. इसी कारण कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा कांग्रेस के आप को समर्थन का विरोध कर रहा लेकिन कांग्रेस पर इस समय डैमेज कंट्रोल का दवाब ज्यादा है, इस लिए कुछ नेताओं की बलि भी कांग्रेस देने को तैयार है. 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान निर्माण कार्यों में की गई भारी गड़बड़ी की खबरें देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बनी थी. सुरेश कलमाड़ी तो इस मामले में जेल भी जा चुके हैं. आम आदमी पार्टी इस घोटाले को जोर-शोर से उठाती रही है. अगर आम आदमी पार्टी की सरकार कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले की जांच शुरू करवाती है, तो शीला सरकार के कई मंत्री इसके फंदे में आ सकते हैं. इसके अलावा कई अन्य फाइलें भी खोली जा सकती हैं, कांग्रेस ही नहीं बीजेपी के विधायकों की भी जांच करवाई जा सकती है. इसकी ओर केजरीवाल एक 2 मिनट का विडियो जारी कर इशारा भी कर चुके हैं. इन मामलों में कई मामले तो केंद्र सरकार से भी जुड़े हैं और अगर कोई जांच करवाई जाती है और करवाई ही जायेगी तो गाज केंद्र सरकार पर भी गिर सकती है और कुछ मामलों में तो पीएमओ सीधे लपेटे में आ सकता है. लोकसभा चुनाव से पहले यदि कोई नया मामला खुलता है और उसमें कोई कांग्रेसी नेता लपेटे में आता है तो कांग्रेस के लिए जवाबदेही मुश्किल हो सकती है. यही बैचेनी कांग्रेस को खाए जा रही है जिस तरीके से दिल्ली के कांग्रेस नेताओं को बलि का बकरा बनाया जा रहा है उनमें गुस्सा जायज है और इसका परिणाम भी जल्द सामने आ सकता है. बस केजरीवाल अपनी टीम को अनुशासित रख लें जो काम कल बिन्नी ने किया उसकी पुनरावृति ना हो तो शायद केजरीवाल स्वराज के पहले अध्याय को सच कर सकें. 

केजरीवाल का लोकपाल : केजरीवाल कहीं ना हो जायें फेल

मैं क्या करूं ये कानून ही ऐसा था, कांग्रेस ने छिपा कर रखा था.
क्या सरकार बनाने के 15 दिन के अन्दर लोकपाल बिल पास करना केजरीवाल के बस की बात है? भले ही केजरीवाल कितनी भी कसमें खाएं लेकिन उनका पूर्व चरित्र भी बातों को उलझा कर छोड़ देना रहा है. ये एक बड़ा सवाल है दरअसल दिल्ली के पास एक केंद्र शासित राज्य का दर्जा है. केजरीवाल खुद कहा कि केंद्र ने एक ऑर्डर पास किया है, जिसकी वजह से कानून बनाने के लिए केंद्र की मंजूरी जरूरी है लेकिन जानकार बताते हैं कि केंद्र शासित प्रदेश होने की वजह से दिल्ली में यह व्यवस्था शुरू से है. दिल्‍ली के पूर्व मुख्‍य सचिव उमेश सहगल ने हैरानी जताई है कि केजरीवाल को इन नियमों की जानकारी पहले क्‍यों नहीं थी?  उन्‍होंने कहा, 'केजरीवाल ने कहा है कि उन्‍हें अब पता चला है कि दिल्‍ली सरकार केंद्र की मंजूरी के बिना कोई कानून पारित नहीं कर सकती है. एक ओर जो केजरीवाल सभी नियमों को जानने की दुहाई देते रहे हैं इस मुख्य नियम को क्यों नहीं जान पाए. ये सब उनकी मंशा पर सवाल उठाते हैं.  केजरीवाल नए मसले पर कानून ला सकते हैं लेकिन ऐसे मसलों पर कानून लाने के लिए केंद्र की मंजूरी की जरूरत तो पड़ेगी ही जिन मसलों पर पहले ही कानून बने हैं. दिल्‍ली में तो पहले ही लोकायुक्‍त है और अब हाल में लोकपाल बिल भी संसद में पारित हुआ है. दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एस के शर्मा ने कहा, 'बिना केंद्र की मंजूरी के दिल्ली में लोकपाल बिल विधानसभा में पेश नहीं किया जा सकता है. दरअसल, दिल्ली में केंद्रशासित प्रदेश की तरह ही कानून लागू होता है, इसलिए लोकायुक्त का कानून तैयार करके दिल्ली कैबिनेट की मंजूरी के बाद उसे पहले उपराज्यपाल के जरिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को मंजूरी के लिए भेजना जरूरी होगा. गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय और बाकी संबंधित मंत्रालयों से मशविरा करने के बाद लोकायुक्त बिल जरूरी संशोधनों के साथ वापस उपराज्यपाल के जरिए दिल्ली सरकार को भेजेगी, जिसके बाद ही उसे विधानसभा की मंजूरी के लिए लाया जाएगा. जाहिर है इस पूरी प्रक्रिया में कई महीनों का वक्त लग सकता है. इन कानूनी बारीकियों के सामने आने के बाद विरोधियों को केजरीवाल पर फिर निशाना साधने का मौका मिल सकता है, और केजरीवाल को बचने का बड़ा बहाना.  कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफजल ने कहा कि अरविंद केजरीवाल जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संसद में बिल पास हो चुका है, इसलिए केजरीवाल को कानून के दायरे में रहकर ही बिल पास करना होगा.