बुधवार, 26 दिसंबर 2007

मिल सकता है माइग्रेन का इलाज

माइग्रेन यानी आधी सीसी का दर्द कुछ अंतराल पर या फिर नियमित रूप से हो सकता है। इसके कारणों पर अभी तक खोज नहीं हो पायीं हैं। वैज्ञानिक शायद जल्द ही कुछ ख़ास तरह के ‘माइग्रेन’ के कारणों का पता लगाने में सफल हो जाएं. फ़्रेंच डॉक्टरों की एक टीम ने लोगों पर माइग्रेन के दौरे के वक्त की गए जाचों में मस्तिष्क के हाइपोथेलेमस में प्रतिक्रिया देखी। बहुत दिनों से यह समझा जा रहा था कि हाइपोथेलेमस ही सिरदर्द बढ़ाने वाले कारकों को संचालित करता है। उम्मीद जताई जा रही है कि ‘हैडेक’ पत्रिका में छपी यह नया शोध माइग्रेन के इलाज को जन्म दे सकता है. रैंग्वेल अस्पताल के कुछ शोधार्थियों ने साधारण माइग्रेन से पीड़ित सात मरीज़ों पर मस्तिष्क की प्रक्रियाओं में अंतर बताने वाली ‘पोज़ीट्रॉन इमिशन टोमोग्राफ़ी’ (पीईटी) तकनीक का इस्तेमाल किया। इस शोध में प्रमुख भूमिका निभानेवाली डॉक्टर मारी डेनुएल कहती हैं,'' जब दौरे को अप्राकृतिक रूप से करवाया जाता है तो आप हाइपोथेलेमस प्रतिक्रियाओं को खो देते हैं.'' वो कहती हैं कि हमे संदेह है कि माइग्रेन के दौरे में हाइपोथेलेमस की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। लेकिन इसे साबित करने के लिए हमें माइग्रेन के शुरू होने से पहले ही ऐसे अध्ययन करने की ज़रूरत है। हमें शक है कि माइग्रेन के दौरे में हाइपोथेलेमस की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है. लेकिन इसे साबित करने के लिए हमें माइग्रेन के शुरू होने से पहले ही ऐसे अध्ययन करने की ज़रूरत है
लंदन के किंग्स कॉलेज अस्पताल में सिरदर्द संबंधी रोगों के निदेशक डॉक्टर एंड्रयू डॉसन कहते हैं,'' बहुत वर्षों से संकेत मिल रहे हैं कि माइग्रेन की शुरूआती अवस्थाओं में हाइपोथेलेमस की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है.'' उनका कहना है कि लेकिन सरदर्द की शुरूआत में कुछ दूसरे कारक भी शामिल होते हैं. इससे पहले भी हाइपोथेलेमस की सक्रियता ‘क्लस्टर हैडेक’ यानि गंभीर सिरदर्द में देखी गई थी.
इसके मरीज़ो को ऐसा सिरदर्द कुछ महीनों या सालों के अंतराल पर नियमित रूप से होता है। यह इतना परेशान करने वाला होता है कि कुछ मरीज़ तो तंग आकर आत्म्य तक कर लेते हैं इसलिए इसे आत्मघाती सरदर्द भी कहा जाता है। माइग्रेन में हाइपोथेलेमस की सक्रियता के मिले तथ्य बता सकते हैं कि ट्रिपटॉन जैसी दवा ऐसे सिरदर्द के निवारण में कई बार क्यों प्रभावी साबित होती है.
लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज में इंस्टीट्यूट ऑफ़ न्यूरोलॉजी के प्रोफ़ेसर पीटर गोड्सबी कहते हैं, '' हाइपोथेलेमस और कुछ नहीं बल्कि खंडित न्यूरॉन का संग्रह होता है.'' उनके अनुसार, '' यह सोचना ज़्यादा आसान है कि माइग्रेन मस्तिष्क की विशेष अव्यवस्था है। इसमें गड़बड़ी एक नहीं बल्कि श्रृंखलाबद्ध तरीके से पूरी व्यवस्था में होती है.”


इनसाईट स्टोरी (मेडिकल टीम)