बुधवार, 14 सितंबर 2011

पिता बने, सेक्स की इच्छा में आयी कमी

अमेरिका में किये गये एक शोध के अनुसार एक पुरुष के पिता बनने के बाद उसमें यौन उत्तेजना और आक्रामकता बढ़ाने वाले हार्मोन टेस्टोस्टेरोन में कमी आने लगती है. पाँच साल तक चले शोध में ये नतीजे सामने आए हैं. नॉर्थवेस्ट युनिवर्सिटी टीम के शोधकर्ताओं का कहना है कि पिता बनने के बाद पुरुष पारिवारिक हो जाते है, साथ ही उनका मानसिक भटकाव भी ख़त्म हो जाता है. टेस्टोस्टेरोन ही वो हार्मोन है जो न सिर्फ़ पुरूषों में काम भावना बढ़ाता है और उन्हें सहवास के लायक भी बनाता है. नेशनल ऐकेडमी ऑफ साइंस ने इस शोध के लिए 624 युवा पुरुषों पर परीक्षण किये. इन पर पिता बनने से पहले और पिता बनने के बाद दोनों ही स्थितियों का विश्लेषण किया गया. इसमें पता चला कि जैसे ही ये पिता बने इनके टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर में गिरावट आ गई. इनमें भी विशेष रूप से उन पुरुषों में इस हार्मोन का स्तर ज़्यादा कम पाया गया जिनके पास एक महीने से कम उम्र का या नवजात शिशु था. सोसोइटी फॉर एन्डोक्रॉनोलॉजी के प्रोफ़ेसर एशले ग्रॉसमैन का कहना है कि इस शोध से पुरुषों के यौन व्यवहार और पिता होने के नाते शिशु की देखभाल के व्यवहार में अंतर पता चलता है. पहले में अधिक और दूसरे में कम टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की ज़रूरत पड़ती है. फिलीपीन्स में मुख्य शोधकर्ता क्रिस्टोफर कुज़वा कहते हैं कि पितृत्व भाव और नवजात शिशु मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और भावनात्मक लगाव की मांग करता है और इसी के चलते पुरुष का शरीर इन माँगों के अनुरूप ख़ुद को ढाल लेता है. शोधकर्ताओं का ये भी मानना है कि टेस्टोस्टेरोन का कम स्तर संभवत: पुरूषों की गंभीर बीमारियों के ख़तरे से भी रक्षा करता है. इसीलिए शादीशुदा पुरुष व पिता की सेहत हमउम्र युवकों की अपेक्षा बेहतर होती है. 

मंगलवार, 13 सितंबर 2011

पीठ के दर्द का होगा इलाज

वैज्ञानिकों ने अब उस जीन की पहचान कर ली है जिसके कारण निरंतर पीठ में दर्द महसूस होता है. उनका कहना है कि अब पीठ दर्द से निजात पाने के लिए दवाएँ बनाई जा सकती हैं, जो लगातार होने वाले पीठ-दर्द का समाधान कर सकती हैं. 'साइंस' में छपे केंब्रिज विश्वविद्यालय के शोध के मुताबिक शोधकर्ताओं ने चूहों में दर्द के प्रति संवेदनशील नसों से एचसीएन-2 जीन को निकाल दिया गया. शोधकर्ताओं के अनुसार इससे ये संभावना पैदा हो गई है कि ऐसी नई दवाओं को विकसित किया जाए जो एचसीएन-2 जीन में बनने वाली प्रोटीन को बंद कर दे क्योंकि उसी से निरंतर उठने वाला दर्द नियंत्रित होता है. ये तो पहले से पता था कि एचसीएन-2 जीन से दर्द के प्रति संवेदनशील नसों के अंत में दर्द उठता है. लेकिन अब तक ये नहीं पता था कि एचसीएन-2 का दर्द नियंत्रित करने में क्या भूमिका है. इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने चूहों में दर्द के प्रति संवेदनशील नसों से एचसीएन-2 जीन को हटाया. फिर उन्होंने उन नसों की कोशिकाओं में बिजली के झटके दिए ताकि ये पता चल सके कि एचसीएन-2 हटाने से क्या बदलाव आए हैं. इसके बाद उन जीन संशोधित चूहों का अध्ययन किया और ये देखा कि बजली की झटका लगने से चूहे कितनी गति से पीछे हटते हैं. इससे उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि एचसीएन-2 जीन निकाल देने से नसों के ज़रिए होने वाला दर्द ख़त्म हो जाता है.लेकिन ये भी पाया गया कि इस जीन को निकालने से आम तीखे दर्द पर कोई असर नहीं होता - यानी वो दर्द जो आपको ग़लती से जीभ काटने पर होता है, उस पर कोई असर नहीं होता.इस अध्ययन का नेतृत्व करने वाले प्रोफ़ेसर पीटर मैक्कनौटन का कहना है, "जो लोग नसों के कारण दर्द से पीड़ित होते हैं, उन्हें दवाओं के अभाव के कारण कोई राहत नहीं मिलती है. हमारे अध्ययन से ये पता चला है कि यदि दवाओं के इस्तेमाल से एचसीएन-2 जीन को ब्लॉक किया जाए यानी रोका जाए तो दर्द निवारण संभव है. "उनका ये भी कहना था कि रोचक बात यह है कि एचसीएन-2 को ब्लॉक करने से नसों का दर्द ख़त्म होता है लेकिन आम दर्द का एहसास ख़त्म नहीं होता जिससे किसी भी दुर्घटना होने के स्थिति में व्यक्ति को उसका एहसास हो जाता है.
(इनसाईट स्टोरी मेडिकल टीम) 

शनिवार, 10 सितंबर 2011

इनसाईट स्टोरी नई साज सज्जा के साथ

इनसाईट स्टोरी को अब एक नये मल्टीमीडिया कलेवर में पेश करने जा रहें हैं. अब आपको मिलेगा दुनिया को जानने का मौक़ा और अधिक आकर्षक रंगों के साथ.  


बुधवार, 7 सितंबर 2011

फैक्ट्री में बनेंगे कृत्रिम अंग

अब वो दिन दूर नहीं जब मानव अंग फैक्ट्रियों में तैयार किये जायेंगें. इस हेतु वैज्ञानिक काफी प्रयास कर रहें हैं और अब इसमें सफलता भी मिलने लगी है. वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक खोज निकाली है जिसमें बताया गया है कि मानव अंग बनाने के 20 तरीके हैं। वैज्ञानिकों ने अब तक ब्लैडर, यूरीथ्रा और श्वासनली बना कर मानव अंग बनाने की कल्पना को साकार किया है। इन बनाए गए कृत्रिम अंगों को मरीजों में लगाया जा चुका है। अब वैज्ञानिकों का दिल, किडनी, लिवर, पेन्क्रियाज (पाचक तंत्र) और थाइमस जैसे शरीर के सबसे जटिल अंगों को बनाने की कोशिश है। यदि इन अंगों को बनाने में सफलता प्राप्त हो जाती है तो लोगों की उम्र बढ़ाई जा सकती है और ट्रांसप्लांट होने में लगने वाले अधिक समय, और उपलब्धता की कमी से भी बचा जा सकता है। वैज्ञानिकों ने इस कायाकल्प कर देने वाली तकनीक की जानकारी कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में आयोजित होने वाली कांफ्रेंस में दी थी। आयोजक ऑब्रे डी ग्रे ने बताया कि चिकित्सा जगत में यह आने वाला नया युग होगा, जो बीमारियों और उम्र को रोक देगा।
(इनसाईट स्टोरी )

शनिवार, 3 सितंबर 2011

जब आदमी ने सांप को काटा

साँप ने आदमी को काटा, ये ख़बर तो आम तौर पर सुनने में आती है लेकिन आदमी साँप को काट ले ये ख़बर शायद आपने कभी नहीं सुनी होगी. लेकिन अमेरिका में ऐसा हुआ है. कैलिफोर्निया के नज़दीक सैक्रामेंटो शहर में एक आदमी पर अपने पालतू पाइथन सांप को काटने और उसे घायल करने का आरोप लगा है.गुरुवार की शाम इस इलाके में पुलिस को एक फ़ोन मिला जिसमें एक साप पर हमले की सूचना दी गई. पुलिस जब मौके पर पहुंची तो 54 वर्षीय डेविड सेन्क को ज़मीन पर पड़ा हुआ पाया लेकिन पास ही खड़े एक चश्मदीद ने पुलिस को बताया कि इस व्यक्ति ने सांप को दो बार काटा. घटना के बाद पुलिस ने सेन्क को सांप को घायल करने और उसे अपाहिज बनाने की कोशिशों के आरोप में गिरफ़्तार किया. सेन्क ने स्थानीय मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्हें बिलकुल याद नहीं कि उन्होंने क्या किया? क्योंकि नशे में थे. पाइथन को आपात चिकित्सा दिए जाने के बाद उसकी हालत में अब सुधार है. एनिमल केयर सर्विस से जुड़ी जीना नेप्प ने कहा, ''सांप की सेहत अब पूरी तरह ठीक है हमने कल रात उसका आपरेशन किया और उसकी जान बच पाई.'' जांच में पता चला है कि सांप की पसली की कुछ हड्डियां टूट गई हैं. है ना ख़ास ख़बर!
(आशुतोष पाण्डेय)