गुजरात के चुनाव सम्पन्न तो हो गये और साथ ही साथ मोदी की वापसी के संकेत भी मीडिया ने देने शुरू कर दिए हैं. इस बार मीडिया मोदी को लेकर ज्यादा उत्साहित दिखता है. मोदी की वापसी कई मायनों में एतिहासिक होगी इसका सबसे बड़ा असर खुद बीजेपी पर पड़ना तय है. बीजेपी के पुराने दिग्गज नेताओं की पूरी जमात मोदी के लौट आने के बाद अपना वजूद खो देगी और पार्टी के बड़ा हिस्सा कई भागों में बंट जाएगा. इससे मोदी को उस सफ़र में नुकसान होगा जिसका ख्वाब उन्होंने देखा है. केशुभाई, आडवानी जैसे नेता मोदी के साथ आ जाएँ लगता नहीं है और अन्य सेक्यूलर दलों का समर्थन भी मिलना मोदी को संभव नहीं होगा जिसमें बिहार के नितीश कुमार भी शामिल हैं. ऐसे में फिर मोदी को गुजरात में ही अपनी ताकत को खोना पड़ सकता है. बीजेपी का इतिहास रहा है की इस पार्टी ने लम्बे समय तक किसी व्यक्ति विशेष में अपनी आस्था नहीं दिखाई है. ऐसे में मोदी के संग पार्टी के सिपहसालार कितने दिन टिक पायेंगें कहा नहीं जा सकता है. एक समय में दिल्ली को याद करें तो मदन लाल खुराना, साहिब सिंह और सुषमा स्वराज इन तीनों को लड़ा कर बीजेपी लंबे वनवास में चली गयी थी. इस बार फिर यही मोदी के साथ दोहराया जाय तो कोई नई बात तो नहीं होगी. देखना तो ये है की मोदी कब तक बीजेपी के लिए ख़ास बने रहते हैं.
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