सोमवार, 23 दिसंबर 2013

आप के साथ दिल्ली की जनता भी ईमानदार हो जायेगी

आप रिश्वत ना भी मांगें तो भी ऑफर की जाती है, यदि रिश्वत लेकर कोई काम करने से मना कर दे तो उसके खिलाफ जनता की भृकुटी भी तन जाती है, कई ईमानदार अधिकारियों को रोज इन समस्याओं से दो चार होना ही पड़ता है, पोस्टिंग के लिए रिश्वत, तबादले के लिए रिश्वत और तो और 100 रूपये के बिल को पास कराने के लिए भी रिश्वत देनी पड़ती है. "लोग खुद आकर रिश्वत ऑफर करते हैं, ले लो तो ठीक भगा दो तो आन्दोलन. अब बताएं क्या ठीक है"? दिल्ली सरकार के एक अफसर ने ये बात काफी खेद के साथ कही जब उनसे पूछा गया की आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद भ्रष्टाचार पर कितनी रोक लगेगी, उनका कहना था एक सरकारी स्कूल में जहां मुफ्त शिक्षा मिलती है हम में से कितने लोग वहां बच्चों को भेज रहे हैं, भारी डोनेशन लेने वाले स्कूल अच्छे माने जाते हैं, क्योंकि ज्यादा बड़ा डोनेशन स्टेट्स सिम्बल बन गया है. जिस स्कूल में बिना डोनेशन एडमिशन मिल जाए उसमें कौन अपने बच्चे भेजना पसंद करता है, उसे तो दोयम दर्जे का स्कूल कहा जाता है. क्या आप लोगों को इस मानसिकता से बाहर निकाल लेंगें? घर बैठे काम कराने की परिपाटी ने ही दलाल संस्कृति को जन्म दिया है. यदि नियमानुसार ड्राइविंग लाइसेंस बनने लगें तो दिल्ली में आधे लोग ही लाइसेंस प्राप्त कर पायें. आप खुद देखिये कितने लोग ऐसे हैं जो समाचार पत्रों का प्रकाशन सही नियमों के अनुसार कर रहें है. देश में बी पी एल की लिस्ट उठा लो कितने ऐसे लोग हैं जो करोड़पति हैं और बीपीएल की सुविधा ले रहें हैं. सब झूठ में चल रहा है उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करना भी एक अपराध है. तमाम दवाब ग्रुप हल्ला शुरू कर देते हैं. वास्तव में इन महानुभाव की ये बात काबिलेगौर है. जिस देश में बहुतायत लोग रेडलाईट को तोड़ चालान कटवाने के बजाय ले दे कर या धौंसबाजी से बचने का रास्ता निकालते हैं. सरकार रहने को मकान दे दे तो सामने की सड़क को  अपने बाप की जायजाद मानते हैं, उनसे क्या ईमानदारी की उम्मीद की जा सकती है. अब देखना है "आप" का भ्रष्टाचार विरोध इन्हें कितना सुधार सकता है या फिर आप भी इन्हीं के रंग में रंग जाती है. देखते रहिये ये देश है जिसके कई रंग हैं कई रूप.