बुधवार, 29 अक्तूबर 2008

प्राइवेसी मानवाधिकार है

दुनिया की तीन दिग्गज सॉफ्टवेयर कंपनियों माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और याहू ने विभिन्न आधिकारिक हस्तक्षेप रोकने और ऑनलाइन पर बोलने की आज़ादी की सुरक्षा के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इन तीनों कंपनियों ने ऐसे समय में ये समझौता किया है जब इन कंपनियों पर चीन जैसे देशों में इंटरनेट पर पाबंदी लगाने में सरकार का सहयोग करने के आरोप लग रहे हैं। इस समझौते के निर्देशों के तहत जब बोलने की आज़ादी का मामला सामने आएगा तो ये कंपनियां आपस में तय करेंगी कि कितने आकड़े अधिकारियों को उपलब्ध कराए जाएं। ह्यूमन राइट्स फर्स्ट के अधिकारी माइक पोस्नर का कहना था कि ये ऑनलाइन से जुड़े मामलों की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम है। उनका कहना था, ''कंपनियों को थोड़ा आक्रामक होना होगा और अनचाहे सरकारी हस्तक्षेप के ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी होगी। '' इस समझौते में कहा गया है कि प्राइवेसी ''मानवाधिकार है और मानव सम्मान का गारंटीकर्ता है।'' इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फाउंडेशन के डैनी ओ ब्रायन का कहना था, ''पारदर्शिता अपनाने के लिए ये सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज है।'' गूगल की ग्लोबल पब्लिक पॉलीसी के निदेशक एंड्रयू मैकलॉलिन का कहना हैं कि हम कोशिश कर रहे हैं और कई लोगों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं क्योंकि अकेले कंपनियां वो नहीं पा सकती जो कई लोग मिलकर कर सकते हैं। गूगल पर पूर्व में आरोप लगे थे कि उन्होंने चीनी सरकार की मदद की थी। असल में चीन की सरकार उन लोगों पर नज़र रखती है जो इंटरनेट पर थिआनमन चौराहा या लोकतंत्र के नाम पर सर्च करते हैं और गूगल लोगों पर नज़र रखने में चीन सरकार की मदद कर रहा था। उधर माइक्रोसॉफ्ट पर चीनी सरकार का विरोध करने वाले एक रिसर्चर का ब्लॉग रोकने का आरोप भी लगे हैं। उल्लेखनीय है कि चीन में अभी भी मीडिया की स्वतंत्रता पर पाबंदियां हैं और सर्च इंजनों पर सरकार की मदद करने के आरोप यदा कदा लगते रहे हैं। इन तीन बड़ी कंपनियों के बीच जो समझौता हूआ है उसकी शुरुआत ग्लोबल नेटवर्क इनिशिएटिव के तहत हुई है जिसमें इंटरनेट कंपनियों के अलावा मानवाधिकार संगठन, निवेशक और बुद्धिजीवी भी शामिल हैं।
संपादन

(आशुतोष पाण्डेय)