शुक्रवार, 27 मई 2011

वो घिनौना चेहरा आपका ही ना हो:फर्जी प्रमाणपत्रों का सच

जहां इस देश के नेता घोटालों में व्यस्त हैं, वहीं आम आदमी भी कहीं पीछे नहीं है, टैक्स की चोरी से लेकर फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिये सरकारी नौकरी पा लेने का खुला खेल भी देश में चल रहा है, अभी एक ताजा मामला उत्तराखंड के नैनीताल जिले का सामने आया है, यहाँ एक अध्यापक ने फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिये पांच साल सरकारी नौकरी कर ली, अब किसी व्यक्ति के द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सूचना मागने पर ये सच सामने आया है की उसकी एम. ए. और बी. एड. की मार्कशीट ही फर्जी थी जिसका कोई रिकार्ड सम्बंधित विश्वविद्यालय के पास था ही नहीं, ये तो वह मामला है जो पकड़ में आ गया, ऐसे हजारों मामले हर साल होतें हैं जिसमें एक संगठित माफिया काफी सधे तरीके से काम करता है, बाकायदा एजेंटों और आफिस बनाकर काम करने वाले इन माफियाओं के  तार विभिन्न बोर्डों के अधिकारियों से लेकर राजनेताओं और पुलिस तक से जुड़ें रहतें हैं, ये माफिया भी दो तरह के हैं एक वो जो पूरे कायदे -कानूनों के अनुसार काम करतें हैं इनकी प्रवेश से लेकर परीक्षाफल आने तक की सारी जिम्मेवारी होती है, इनके पास नक़ल कराने और दुसरे छात्र को बिठा परीक्षा दिलाने तक की व्यस्था होती है. ये हाल किसी एक शहर या बोर्ड का नहीं है, सारे देश इस प्रकार के माफिया खुले आम अपनी बिसात बिछाए घूम रहें हैं, १० वीं से लेकर बी. एड तक कोई भी डिग्री या कोर्स हो ये करवा देतें हैं, इसके लिए ग्राहकों की कोई कमी भी नहीं होती है, दुसरे प्रकार का माफिया वो है जो फर्जी मार्कशीट खुद तैयार करता है और बेचता है इनके द्वारा दिए गए सभी प्रमाण पात्र नकली होतें हैं, फिर भी हजारों लोग हर साल इनकी सेवा लेतें हैं. इस प्रकार के माफिया बोर्ड के लोगो और मुहर की नक़ल कर फर्जी दस्तावेज तैयार करने में माहिर होतें हैं. समय समय पर इन लोगों की गिरफ्तारियां भी होती हैं लेकिन किसी पुख्ता क़ानून के ना होते ये जल्द ही  बरी हो जातें या जमानत पर आ जातें हैं, सवाल ये नहीं है की ये इतना बड़ा फर्जीवाड़ा करते कैसे हैं असल सवाल तो ये है की आखिर इन्हें काम करवाने वाले मिलते कहाँ से हैं, अभी कुछ दिन पूर्व एक एयर लाइंस के पायलट के पास फर्जी लाइसेंस मिला था. इसके अतिरिक्त फर्जी डोमिसाइल, बी पी एल कार्ड बनाने और बनवाने वालों की कमी नहीं हैं, हर साल फर्जी डोमिसाइल के चलते सैकड़ों छात्रों का प्रवेश निरस्त हो जाता है. फर्जी डाक्टर, फर्जी इंजीनियर से लेकर फर्जी नेता सभी पाए जातें हैं इस दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में. आगे हम आपको सुनायेंगें कुछ दास्तान जिसके चलते आप देखेंगे इस दुनिया का घिनौना चेहरा, लेकिन ध्यान रहे कहीं हमारी अगली मुहिम आपकी दास्तान ना कह रही हो. वो घिनौना चेहरा आपका ही ना हो. 
पड़ताल: (इनसाईट स्टोरी टीम) 
आलेख: आशुतोष पाण्डेय 

अमेरिका पाकिस्तान का समधियाना

हिलेरी क्लिंटन
अमेरिका और पाक का समधियाना किसी के समझ नहीं आता है, एक और जहां अमेरिका कभी खुल कर इस बात को स्वीकार करता है की पाकिस्तान आंतक की शरणस्थली है, वहीं दूसरी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति से लेकर विदेश मंत्री तक चाटुकारिता करते नजर आतें हैं, २७ मई २०११ को अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन एक विशेष अनुरोध को लेकर इस्लामाबाद पहुचीं हैं. दो मई को लादेन के मारे जाने के बाद से पाकिस्तान सरकार अमेरिकी कार्रवाई के तौर- तरीकों की निंदा करता रहा है, इसके साथ ही चरमपंथी मुसलमानों का एक गुट भी अमेरिका को परिणाम भुगतने की चेतावनी दे चुका है. अमेरिकी विदेश मंत्री के साथ पाकिस्तान आये ज्वाइंट चीफ आफ स्टाफ एडमिरल माइक मुलेन और अन्य अधिकारी भी इस बात की हामी भर रहें हैं अमेरिका अल-कायदा और अन्य चरमपंथियों से लड़ने को पाकिस्तान की मदद चाहता है. हिलेरी का विशेष अनुरोध क्या होगा पता नहीं, लेकिन अगर विश्लेषकों की मानें तो हिलेरी वहीं पुराना राग अलापेंगी की अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान  का सहयोग चाहता है, इसके अलावा अमेरिका पाकिस्तान से उच्च वर्ग से कर वसूली की दिशा में विशेष कदम  उठाने के लिए कहता रहा है गौरतलब है की अमेरिका हर साल पाकिस्तान को तीन अरब डालर से ज्यादा की वित्तीय मदद देता है. 
हिलेरी की यात्रा से ठीक एक दिन पहले पेंटागन पाकिस्तान में अपने सैनिकों की संख्या में कमी करने को राजी हो गया था, अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार इस समय पाकिस्तान में २०० से ज्यादा अमेरिकी सैनिक हैं जो पाकिस्तानी सेना को प्रशिक्षित कर रहें हैं, लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों के हस्तक्षेप के तुरंत बाद जिस तरीके से पाकिस्तान में अपने सैनिकों की संख्या कम करने को मान जाना और फिर हिलेरी की यात्रा कोई बड़ा समधियाना ही लगता है. 
(ये आलेख विभिन्न समाचार माध्यमों के द्वारा प्रदत्त जानकारियों पर एक विश्लेषण है)
आलेख: आशुतोष पाण्डेय