बुधवार, 5 नवंबर 2008

इतिहास बदलाव और बदलने का नाम है

इतिहास बदलाव और बदलने का नाम है। अमरीका के राष्ट्रपति चुनावों में इतिहास को धता देते हुए डेमोक्रेटिक पार्टी के बराक ओबामा अमरीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति चुने गए हैं। उन्हें 52 प्रतिशत वोट मिले जबकि रिपब्लिकन जॉन मैक्केन को 47 प्रतिशत मत मिले हैं। मतदान में लगभग 11 करोड़ अमरीकियों ने भाग लिया है। जातीय संघर्ष के इतिहास के गवाह रहे अमेरिका के वह पहले अश्वेत राष्ट्रपति है जो कभी बहुत कम आमदनी में एक सामुदायिक कार्यकर्ता के रूप में काम किया करते थे। आख़िरकार ओबामा ने वो कर दिखाया जो वे अक्सर खा करते थे की एक दिन युगांतरकारी परिवर्तन होगा। उनकी जीत इस मायने में महत्वपूर्ण है कि 45 साल पहले मानवाधिकार आंदोलन के प्रणेता मार्टिन लूथर किंग ने समानता का जो सपना देखा था वह आज सच हो गया। आमतौर पर भारत समर्थक माने जाने वाले 47 वर्षीय ओबामा अपने नाम और जाति के कारण जानते थे कि व्हाइट हाउस तक पहुंचने का उनका सफर कितना मुश्किल होगा। उन्होंने एक बार कहा भी था कि यह एक युगांतकारी परिवर्तन होगा। केन्याई पिता और श्वेत अमेरिकी माता की संतान ओबामा ने यह कर दिखाया। अमेरिकी जनता को उनमें वह सब नजर आया जिसकी उसे इस कठिन वक्त में दरकार है। हारवर्ड में पढे़ ओबामा ने 21 माह के कठिन प्रचार अभियान के बाद दुनिया का सबसे ताकतवर ओहदा हासिल किया। पार्टी का उम्मीदवार बनने के लिए उन्होंने पहले अपनी ही पार्टी की हिलेरी क्लिंटन और फिर वियतनाम युद्ध के सेना नायक जान मैक्केन को पीछे छोड़ते हुए अमेरिका में एक बडे़ बदलाव के संकेत के साथ व्हाइट हाउस की दौड़ में बाजी मार ली। ओबामा की जीत ने अमेरिकी इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। देश सदियों जातीय वैमनस्यता का कोपभाजन बना रहा। आज से 200 साल पहले जिस सामाजिक बुराई का अंत हुआ उसकी सुखद अनुभूति का भी यह जीत प्रतीक है। शिकागो केएक सामुदायिक कार्यकर्ता ओबामा के लिए व्हाइट हाउस की पहली पायदान इलिओनिस की सीनेट रही। सन् 1996 में इस जीत से लोकप्रिय हुए ओबामा सन् 2004 में संघीय सीनेट तक जा पहुंचे। अपने सहज व्यक्तित्व से ओबामा जल्द मीडिया की सुर्खियां बनने लगे। उन्होंने इसे बहुआयामी स्वरूप दिया और लेखन में जल्द बुलंदी हासिल की। उनकी दो पुस्तकें द आडेसिटी ऑफ होप तथा ड्रीम फ्राम माई फादर बेहद सराही गई। आठ साल से सत्ता के शीर्ष पद से दूर डेमोक्रेट पार्टी में ओबामा ने एक नई जान फूंक दी। उनका नामांकन वाकई पार्टी के लिए जादुई साबित हुआ।

महत्वपूर्ण अमरीकी प्रांतों - फ़्लोरिडा, ओहायो और पेन्नसिलवेनिया में जीत के बाद ओबामा ने आसानी से 538 इलेक्टॉरल कॉलेज मतों में से 270 का आँकड़ा पार कर लिया। अभी चुनावी नतीजों के रुझान आ ही रहे थे कि मैक्केन ने हार स्वीकार कर ली। इसके बाद अपने भावुक समर्थकों को संबोधित करते हुए ओबामा ने कहा, "अमरीकी लोगों ने घोषणा की है कि बदलाव का समय आ गया है। अमरीका एक शताब्दी में सबसे गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है मैं सभी अमरीकियों को साथ लेकर चलना चाहता हूँ - उनकों भी जिन्होंने मेरे लिए वोट नहीं डाला....". ओबामा ने कहा, "ये नेतृत्व का एक नया सवेरा है. जो लोग दुनिया को ध्वस्त करना चाहते हैं, उन्हें मैं कहना चाहता हूँ कि हम तुम्हें हराएँगे. जो लोग सुरक्षा और शांति चाहते हैं, हम उनकी मदद करेंगे..."

इनसाईट स्टोरी के लिए ये विशेष आलेख सम्पादक आशुतोष पाण्डेय ने अपने तमाम सहयोगियों के साथ मिलकर तैयार किया है।