मंगलवार, 1 दिसंबर 2009

हम कहाँ हैं.

कई बार ये सोच कर सोच कर आश्चर्य होता है की हम सभ्यता की दौड़ में दौड़ने वाले लोग कई बार कितने असभ्य हो जातें हैं। धोखा छल आज हमारे लिए एक आम बात हो गई है। रिश्तों की भीड़ तो हम जोड़ लेतें हैं पर जब निभाने की बात आती है तो हम सिर्फ़ औपचारिकता तक सीमित हो जाते हैं। आज दांपत्य जीवन से लेकर व्यावसायिक जीवन सभी जगह सुचिता का पूर्ण अभाव मिलता है। पति और पत्नी से लेकर व्यापार में साझीदार सभी एक दूसरे के साथ धोखा करने में उफ़ तक नहीं करतें हैं। हम ऐसा क्यों करते हैं? इसका जवाब मिलता है की अपने भले के लिए कुछ भी किया जाय ठीक ही है। शायद किसी हद तक ये बात मान भी ली जाय तो भी ये एक ऐसा सवाल सदा बना रहेगा जिसका जवाब किसी के पास न हो आख़िर अपने चंद फायदों के लिए हम कब तक रिश्तों के साथ खेलते रहेंगे। एक बात याद रखें की रिश्तें कभी एक ओर से नहीं बनतें हैं। एक रिश्तें में कई रिश्तें और जीवित प्राणी शामिल होतें हैं। अगर हम किसी रिश्ते को निभा नही पा रहें तो मान लीजिये की हम कहीं गलत हैं। हर इंसान अगर अपने वजूद को देखे तो समझ में आएगा की हमारा वजूद भी चंद रिश्तों की अदायगी का ही परिणाम है। जरा गौर कीजिये क्या रिश्तों को हम (रिसते ) तो नहीं बना रहें हैं। अगर आपका भी कोई रिश्ता सिसक रहा है तो देखिये आप कहाँ गलत हैं। जिन लोगों को अपने रिश्तों को लेकर किसी भी प्रकार का दर्द हो वो सम्पर्क करे। हम रिश्तों की पुनर्स्थापना में आपकी मदद करेंगे।
(आशुतोष पाण्डेय)

जरा देखिये ये क्या हो रहा है.

१३ दिसम्बर २००८ को हमने बैंक आफ बडोदा हल्द्वानी के द्वारा किए गए फर्जी ऋण घोटाले के बाबत लिखा था ईस घटनाक्रम में निम्न तथ्य सामने आए हैं। पढ़े पहली स्टोरी का ये भाग:
( इस हेतु हमने श्रीमती ग्रेस से यथा स्थिति जाननी चाही तो उन्होंने बताया कि डेढ़ साल पहले बैंक आफ बडोदा की पटेल चौक शाखा ने एक कर्मचारी की मिलीभगत से उनके मकान कि रजिस्ट्री पर किसी अन्य व्यक्ति को लोन दे दिया। जिसकी सूचना भी उन्हें नही दी गयी बैंक के कर्मचारियों ने उनसे यह कहकर ५ लाख का लोन किसी व्यक्ति को दे दिया श्रीमती ग्रेस को ६० हजार का लोन मंजूर किया गया है। और बैंक के एक कर्मचारी ने उन्हें घर बुलाकर मात्र ३५ हजार रूपये थमा दिए और कहा कि फाइल चार्ज और कागज तैयार करने में २५ हजार रूपये लग गए हैं। ये सब क्या हुआ और किसे हुआ इस बारे में ग्रेस कुछ भी नहीं जानती हैं। अब जब बैंक वाले मेरे घर पर पैसें जमा करने का तकाजा करने आयें तो पता चला कि मेरी घर कि रजिस्ट्री पर ५ लाख जैसा कि बैंक वालों का कहना है कि किसी अन्य व्यक्ति को लोन दिया गया है। ) ग्रेस को जो पैसे संजय बिष्ट से प्राप्त हुए उस हेतु एक स्टाम्प लिखवाया गया है ये स्टाम्प हल्द्वानी तहसील में बैठने वाली एक महिला अरज्निवेश द्वारा बकायदा अपने हस्ताक्षर से प्रमाणित किया गया है। लेकिन देखने वाली बात यह है की इसमे एक पक्ष्य के जब हमने श्रीमती ग्रेस से यथा स्थिति जाननी चाही तो उन्होंने बताया कि डेढ़ साल पहले बैंक आफ बडोदा की पटेल चौक शाखा ने एक कर्मचारी की मिलीभगत से उनके मकान कि रजिस्ट्री पर किसी अन्य व्यक्ति को लोन दे दिया। जिसकी सूचना भी उन्हें नही दी गयी बैंक के कर्मचारियों ने उनसे यह कहकर ५ लाख का लोन किसी व्यक्ति को दे दिया श्रीमती ग्रेस को ६० हजार का लोन मंजूर किया गया है। और बैंक के एक कर्मचारी ने उन्हें घर बुलाकर मात्र ३५ हजार रूपये थमा दिए और कहा कि फाइल चार्ज और कागज तैयार करने में २५ हजार रूपये लग गए हैं। ये सब क्या हुआ और किसे हुआ इस बारे में ग्रेस कुछ भी नहीं जानती हैं। अब जब बैंक वाले मेरे घर पर पैसें जमा करने का तकाजा करने आयें तो पता चला कि मेरी घर कि रजिस्ट्री पर ५ लाख जैसा कि बैंक वालों का कहना है कि किसी अन्य व्यक्ति को लोन दिया गया है। )
इस बावत जो वाकया सामने आया है एक संगठित अपराध की कहानी बयाँ कर रहा है। संजय बिष्ट से लिए पैसों के सबूत के तौर पर एक दस रूपये का स्टाम्प भी लिखा गया है। ये स्टाम्प हल्द्वानी तहसील में स्टाम्प बेचने वाली एक महिला के द्वारा प्रमाणित किया गया है। लेकिन विशेष बात ये है की इस स्टाम्प में कहीं भी संजय बिष्ट या उसके किसी प्रतिनिधि के हस्ताक्षर नहीं करवाए गए हैं। इस स्टाम्प की फोटो स्टेट प्रति श्रीमती ग्रेस को दी गयी है। इसमें जिन दो गवाहों का उल्लेख किया गया है उन का अता पता मालूम नहीं है। जब इस ब्लॉग के प्रतिनिधि आशुतोष पाण्डेय ने उस महिला से जाना ये कैसे हुआ तो वह महिला पहले तो मुकर गई। लेकिन बाद में उसने ये स्वीकार किया की ये स्टाम्प उसके द्वारा प्रमाणित किया गया है। ग्रेस इस बात को कहती है की ये महिला उनकी भतीजी है। एक जिम्मेदार महिला के द्वारा किया गया ये कृत्य क्या है? आज जब ग्रेस एक १० रूपये का स्टाम्प लेने गयी तो उन्हें इस महिला के द्वारा २७ नवम्बर २००९ की तारिख में बेचा १० रूपये का स्टाम्प थमा दिया। इस बारे में जब इनसाईट स्टोरी की टीम को पता चला तो उन्होंने इस हेतू इस महिला से बात करनी चाही तो इस महिला ने दो आदमी भेजकर हमें बकायदा धमकी दे डाली। लेकिन हमारा प्रयास जारी रहेगा हम आपको ऐसी तमाम घटनाओं से रूबरू करवाते रहेंगे जो कही न कही संगठित अपराध को संगठन बनाकर रोकेंगे हमारे साथ सुधी पाठकों का साथ सदा बना रहेगा। श्रीमती ग्रेस को आपके मानसिक साथ की आवश्यकता है। हमारा सहयोग उन्हें न्याय दिला सकता है। कृपया उनके सहयोग के लिए आगे आयें। हमें फोन करें। फोन 9258758804.
(आशुतोष पाण्डेय )