बुधवार, 20 जनवरी 2010

क्या ऐसा कर पायेंगे आप.....................................?

         शादी का लड्डू जो खाए वो पछताए जो न खाए वो भी पछताए. ये शादी की एक ऐसी परिभाषा है जिसने शादी को महज एक कहावत बना दिया है. लेकिन अगर देखें तो शादी एक ऐसा रिश्ता है, जिसमें दुनिया के सभी रिश्ते खुद जुड़ जाते हैं. जीवन की शुरुआत से लेकर एक नयी सृष्टि का सृजन तक सभी इस रिश्ते में मिल जाता है. दो दिल, दो जिस्म, दो अंतरात्मा, दो सृजक और दो इंसानी रिश्तों की बानगी से बढ़ कर एक रिश्ता है शादी. शादी एक लडडू नहीं है जिसे खाया जा सके. विवाह एक दैवीय संयोग है जिसे इंसान के जन्म से पहले उसके लिए निर्धारित किया गया होता है.
         क्या करें उन लोगों के लिए जिन्होंने शादी को भोग से जोड़ दिया? मात्र चंद रिश्तों की अदायगी को शादी मानने वाले दरअसल इस के काबिल ही नहीं की वो शादी करें. लानत हैं उन लोगों पर जो शादी के बाद पति या पत्नी के रिश्ते को केवल स्वार्थों के लिए जिन्दा रखें हैं. रोटी, कपड़ा, मकान ये तीन जीवन की आवश्यकताएं हो सकती हैं, लेकिन इनकी पूर्ति मात्र को शादी का नाम नहीं दिया जा सकता है. शादी एक संस्थान है, जिसमें दो लोगों के अलावा, एक परिवार, एक समाज, एक दुनिया बसती है.
        कभी दिल की गहराई से इस रिश्ते को महसूस करने की कोशिश करें. तब शादी एक लड्डू से ज्यादा  आपकी  जीवन्तता की पहचान बन जायेगी.  पति या पत्नी तब एक दूसरे की चाहत बन जायेंगे, जरा महसूस कीजिए अगर जब आप का दिल धडके तो आपका जीवन-साथी उसे अपनी दिल की धड़कन मान ले. काश ऐसा हो, हर दिल ये चाहेगा, लेकिन कितने दिल खुद को ऐसा बना लेंगें की वे जीवन-साथी की धड़कन को अपने दिल से सुनने लगें. कोशिश कीजिये इसकी खूबसूरती को महसूस करने की, दिल को दिल के करीब ला हर धड़कन को अपनी समझने की. शादी को एक खुशनुमा हकीकत बना दें, दुनियावी रस्मों की अदायगी के साथ एक ऐसी सृष्टि का सृजन जिस पर खुदा भी फक्र कर सके. क्या ऐसा कर पायेंगे आप. ....................................?
आशुतोष पाण्डेय     

मंगलवार, 19 जनवरी 2010

Workshop on: "Creative Writing: Statistical Application and Significance".

19 जनवरी  2010, IGGET और Education Mantra के संयुक्त तत्वाधान में "Creative Writing: Statistical Application and Significance". विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन हल्द्वानी में किया गया. इस अवसर पर IGGET के निदेशक आशुतोष पाण्डेय ने प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया. उन्होंने लेखन में अधिक आकड़ों और उनके सही विश्लेषण पर जोर दिया. और कहा कि Sampling, Data Analysis, Reporting और Presentation के सही तरीकों का इस्तेमाल कर हम अपने लेखन को अधिक प्रभावशाली और दिलचस्प बना सकतें है. एक लेखक को एक अच्छा समीक्षक और विश्लेषक भी होना चाहिए.
Subject of Workshop: "Creative Writing: Statistical Application and Significance".
Venue: IGEET, Campus, Haldwani.
Resource Persons: Mr. Ashutosh Pandey.
Media Interection: Deepak Das, District Representative INSIGHT STORY, U.S. Nagar.
Reports Send to: Amar Ujala Haldwani.
Dainik Jagran, Haldwani.
Uttar Ujala, Haldwani.


 

शनिवार, 16 जनवरी 2010

उफ़ ये ठण्ड


उफ़ ये ठण्ड! इस बार कई सालों लोग ये कहते नजर आ रहे हैं. एक ओर दुनिया भूकंप से काँप रही है वहीं दूसरी ओर इस बार ठण्ड भी जानलेवा हो रही है. हमने जब इस ठण्ड पर कुछ लोगों की प्रतिक्रिया जाननी चाही तो  बुजुर्ग  सबसे ज्यादा चिंतित दिखे. उनका कहना है की एक ओर बुढ़ापा और दूसरी ओर ये ठण्ड, कई प्रकार की परेशानियां एक साथ शुरू. यही हाल स्कूल जाने वाले बच्चों का भी है. उनकी अपनी परेशानियां हैं लेकिन वो चाहतें हैं की ये ठंडा कायम रहे और कुछ छुट्टियाँ और मिलें. सबसे बुरा हाल मजदूरी करने वाले उन मजदूरों का है जो दिन भर कमा शाम को परिवार के गुजारे के लिए कमाते हैं. एक तो इस ठण्ड में काम ही नहीं मिलता है, अगर कहीं मिल भी जाय तो ये कम्बखत ठण्ड काम करना मुश्किल. मौसम वैज्ञानिक भी इस वर्ष की ठण्ड को काफी आश्चर्य-चकित करने वाली बता रहें हैं. खैर कुछ भी हो कई सालों बाद इस मौसम की वापसी हुई है. हमें इसका स्वागत करना छहिए बशर्ते की ये ग्लोबल वार्मिंग का परिणाम न हो.
इनसाईट स्टोरी टीम

उत्तराखंड: देवभूमि का पहला महाकुम्भ



माघ का महीना और महाकुम्भ आस्था का महापर्व आरम्भ हो चुका है. सदी का पहला महाकुम्भ वो भी देवभूमि उत्तराखंड में. हरिद्वार हिमालय से प्रस्फुटित गंगा के पावन जल से सिंचित परम धाम है. देव भूमि में देवत्व की यह पराकाष्ठा वास्तव में एक अद्भुत भारत के दर्शन करवाएगी.  देश के हर कोने से आयी आस्था की लौ इस कुम्भ भूमि को और पावन बनायेगी.  मौनी अमावस्या और सूर्य ग्रहण के साथ शुरू इस महाकुम्भ की मान्यता और बढ़ जाती है. 14 जनवरी प्रातः 11:28, वो घड़ी जब इस माहपर्व से हरिद्वार आलाह्दित हो गया,  मानो सारे देवता एक साथ धरा पर अवतरित हो गये हों.  हम भारत के आध्यात्मिक गुरू होने की कल्पना को साकार करना चाहते हैं. आप सभी को इस महापर्व की दैवी शुभकामनाएं.
इनसाईट स्टोरी टीम
उत्तराखंड

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