सोमवार, 16 मई 2011

अंधेर नगरी चौपट राजा

हाल में कुछ राज्यों में हुए उपचुनावों ने देश की राजनीतिक तस्वीर को किसी हद तक साफ़ कर दिया है, देश की जनता भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा मानने को तैयार नहीं है, कांग्रेस समर्थित तृणमूल कांग्रेस का पश्चिमी बंगाल में अभूतपूर्व बहुमत और जयललिता की तमिलनाडु में वापसी इस दावे को सच ठहराती है, और कही ना कही आज अन्ना और रामदेव के भ्रष्टाचार की हवा निकाल रहें हैं. अब बड़ा सवाल यह है की अन्ना और रामदेव सही हैं या फिर जनता? क्या हुआ भ्रष्टाचार के खिलाफ खादी जनता एकाएक भ्रष्टाचारियों की समर्थक कैसे बन गयी, दरअसल सच कहें तो ये पब्लिक है सब जानती है.... आज सेलिब्रेटी बनने का शौक अन्ना या नेताओं को है उतना ही आम जनता को भी है.... इस लिए अन्ना को समर्थन देने वाले भी, ज़रा बताएं वोट किसको दिया. 
जनता ने जो किया उसका अपना मापदंड है, अगर वह गुजरात में नरेन्द्र मोदी को जिताती है तो, वही बुद्धदेव अपनी सीट भी नहीं बचा पते हैं, जनता का वोट लोकपाल या विदेश नीति को नहीं मिलता उसका वोट तो खालिश विकास को जाता है, वो भले मोदी करें या नितीश कुमार. अब बात करें उत्तराखंड की जहां इस समय बीजेपी की सबसे अलोकप्रिय सरकार काबिज है, बीजेपी सत्ता की कमान खंडूरी से छीन कविवर निशंक को दे चुकी है लेकिन यहाँ तो अंधेर नगरी चौपट राजा वाली बात हुई, राज्य का विकास तो छोडिये, विनाश करने में कसार नहीं छोडी है इस सरकार ने, ये दावा हमारा नहीं हैं, ये जनता की ही आवाज है, जिसमें वो पूछ रही है कितने बेरोजगारों को नौकरी मिली, वो आपकी एक योजना थी अनाज मिल रहा था... कहाँ लागू है वो, एक यूनिट पर २५० ग्राम चीनी, बिजली की १० घंटे कटौती, निरंकुश नौकरशाही, ये सब क्या है? ये नतीजे हैं हमारी इनसाईट स्टोरी टीम के द्वारा किये गए एक रेंडम सेम्पल सर्वे का, जिसके सभी नतीजे एक दो दिन में आपको मिल जायेंगे, जनता ने जहा पूरे कार्यकाल के लिए पूर्व कांग्रेस सरकार को १० में से ६.८ दिए हैं वहीं वर्तमान भाजपा सरकार को मात्र ३.७ अंक दिए हैं. 
(आशुतोष पाण्डेय और टीम)