बुधवार, 3 दिसंबर 2008

जागे लेकिन काफी देर बाद

आख़िरकार अन्तर्राष्ट्रीय किरकिरी होने के बाद मुंबई में आतंक की गूँज हमारे प्रधानमंत्री जी को सुनाई दी। मंत्रिमंडल में फेरबदल किए गए। कई नए आये, पुरानो की छुट्टी कर दी गई। शिवराज साहब की छूट्टी इस सरकार का एतिहासिक कदम माना जा रहा है। लेकिन काफी देर के बाद सरकार जागी। कही शुक्र है जागी तो सही। लेकिन अभी भी जो किया गया क्या वो सब काफी ? हमारी सेना, खुफिया एजेंसियां क्या करती हैं इसका जवाब भी सरकार को देना चाहिए, बेखौफ आतंकी घूम रहें हैं, और हमारे नौकरशाह और हुक्मरान अपने घर भरने में मस्त हैं। वोट, कुर्सी, सत्ता और ताकत के लिए मासूम देशवासियों का खून बहाया जा रहा हैं। हमारी इनसाईट स्टोरी टीम ने बात की १०० से अधिक लोगों से हर एक ने कहा हमारा देश आज हमारी सरकारों और राजनीती की नाकामी के चलते बारूद के ढेर पर खडा है। प्रधानमंत्री को अफसोस नही होता होगा शायद नहीं होता होगा। हर धमाके के साथ शियासत जो चलती है। अगर प्रधानमंत्री मानते हैं ऐसा नहीं है तो 'अफजल' को संभाल कर क्यों रखतें हैं? देश मात्र आर्थिक नियमों से नही चलता इसे चलाने के लिए राष्ट्रीयता की भावना की आवश्यकता होती है, चमचागिरी की नहीं। जरा ध्यान दीजिये प्रधानमंत्री महोदय इतिहास लिखा जा रहा है।
आशुतोष पाण्डेय
संपादक 'इनसाईट स्टोरी'