सोमवार, 1 सितंबर 2008

अपने आने वाले बच्चे का ख्याल रखें

अगर आप गर्भवती हैं तो परफ़्यूम या ख़ुशबूदार क्रीम का प्रयोग करना आपके पैदा होने वाले बच्चे के विकास के लिए ख़तरनाक हो सकता है। एडिनबरा विश्विद्यालय के एक शोध के मुताबिक ऐसे कॉस्मेटिक्स के प्रयोग से पैदा होने वाले बच्चे की प्रजनन क्षमता पर भविष्य में नकारात्मक असर पड़ सकता है। एडिनबरा विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने दावा किया है कि गर्भावस्था के आठवें और 12वें हफ़्ते के दौरान बच्चे के भविष्य की प्रजनन संबंधी समस्याओं का निर्धारण होता है।
उनके अनुसार गर्भावस्था के वक्त कॉस्मेटिक्स में पाए जाने वाले रसायनों की गंध भविष्य में बच्चे के शरीर में शुक्राणुओं के उत्पादन को प्रभावित कर सकती है।
खैर उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि हालाँकि इस बात को पुख्ता करने के लिए उनको अब तक अंतिम सबूत नहीं मिले हैं। शोधार्थियों की इस टीम का नेतृत्व एडिनबरा स्थित मेडिकल रिसर्च काउंसिल के ह्यूमन रिप्रोडक्टिव साइंस यूनिट के प्रोफ़ेसर रिचर्ड शार्प ने किया।
चूहों पर इसका परीक्षण करने के दौरान उन्होंने एंड्रोजन्स की कार्रवाई रोक दी जिसमें टेस्टेस्टेरॉन जैसे हॉरमोन शामिल होते हैं। इस परीक्षण ने यह निश्चित कर दिया कि अगर हॉरमोन का निकलना रोक दिया जाए तो पशु प्रजनन क्षमता की समस्याओं का सामना करते हैं। और कॉस्मेटिक्स, कुछ कपड़ों और प्लास्टिक बनाने में कुछ ऐसे रसायनों का प्रयोग किया जाता है जो हॉरमोनों का निकलना बंद कर देते हैं। जिससे प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। प्रोफ़ेसर शार्प कहते हैं कि यह रसायन पैदा होने वाले लड़कों के भविष्य में प्रजनन संबंधी दूसरी अवस्थाएं विकसित होने का ख़तरा भी बढ़ाते हैं, जिसमें टेस्टेकुलर कैंसर भी शामिल है। उन्होंने कहा कि जो महिलाएं गर्भधारण करने की योजना बना रही हैं उन्हें अपनी त्वचा पर कोई भी कॉस्मेटिक का प्रयोग करने से बचना चाहिए क्योंकि उनका शरीर सोख लेता इसे सोख लेता है। अगर आप गर्भधारण करने के बारे में सोच रही हैं तो आपको अपने जीने का तरीकों को बदलने की कोशिश करनी चाहिए। इन चीज़ों का प्रयोग करने का अर्थ निश्चित रूप से यही नहीं है कि आप अपने बच्चे को नुकसान पहुँचाएंगी ही लेकिन इनसे बचाव करने से निश्चित रूप से आपको सकारात्मक असर मिलेगा।
प्रो० शार्प के अनुसार, "हमारी सलाह है कि आप रसायनों वाले कॉस्मेटिक्स के इस्तेमाल से बचें। ऐसी कोई भी सामग्री जिसे आप अपनी त्वचा पर लगाएंगी, आपकी त्वचा से होते हुए आपके विकसित हो रहे बच्चे तक ज़रूर पहुँचेगी।"

(आशुतोष पाण्डेय)
सम्पादक