मंगलवार, 27 अक्तूबर 2009

गर्भावस्था में होने वाली मौतों को रोका जा सकता है

दुनिया भर के स्वास्थ्य मंत्री इस बात पर सहमत हुए हैं कि हर साल गर्भावस्था और प्रसव के दौरान होने वाली महिलाओं की मौत को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए.
इथियोपिया की राजधानी आदिस अबाबा में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष यानी यूएनपीएफ़ की बैठक में इस बात पर चिंता जताई गई कि कई देशों में इस वजह से होने वाली महिलाओं की मौतों में हाल के दिनों में काफ़ी बढ़ोत्तरी हुई है। सम्मेलन में इस बात पर सहमति बनी कि इस समस्या के निदान के लिए परिवार नियोजन सबसे सस्ता माध्यम है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष ने साल 2015 तक दुनिया भर में गर्भावस्था और प्रसव के दौरान मृत्यु दर में दो तिहाई कमी लाने का लक्ष्य रखा है। लेकिन इस लक्ष्य में विभिन्न देशों की सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताएं कई बार आड़े आ जाती हैं। सम्मेलन में इस बात पर भी चिंता जताई गई।
उल्लेखनीय है कि बहुत सी महिलाएँ मानती हैं कि प्रसव के दौरान महिलाओं की मौत ईश्वर की इच्छा पर निर्भर होती है लेकिन उन्हें यह जानकारी नहीं है कि इनमें से बहुत सी मौतें रोकी जा सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन इस समस्या को 'मानवीय आपात स्थिति' बता रहा है। सहस्त्राब्दी विकास के जो लक्ष्य तय किए गए थे, उनमें प्रजनन के दौरान गर्भवती महिलाओं की मौत की दर को कम करना भी था लेकिन इस मामले में सबसे कम प्रगति हुई है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष का कहना है कि इसकी वजह राजनीतिक इच्छाशक्ति का कम होना है।

इनसाईट स्टोरी

आशुतोष पाण्डेय