शुक्रवार, 27 मई 2011

वो घिनौना चेहरा आपका ही ना हो:फर्जी प्रमाणपत्रों का सच

जहां इस देश के नेता घोटालों में व्यस्त हैं, वहीं आम आदमी भी कहीं पीछे नहीं है, टैक्स की चोरी से लेकर फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिये सरकारी नौकरी पा लेने का खुला खेल भी देश में चल रहा है, अभी एक ताजा मामला उत्तराखंड के नैनीताल जिले का सामने आया है, यहाँ एक अध्यापक ने फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिये पांच साल सरकारी नौकरी कर ली, अब किसी व्यक्ति के द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सूचना मागने पर ये सच सामने आया है की उसकी एम. ए. और बी. एड. की मार्कशीट ही फर्जी थी जिसका कोई रिकार्ड सम्बंधित विश्वविद्यालय के पास था ही नहीं, ये तो वह मामला है जो पकड़ में आ गया, ऐसे हजारों मामले हर साल होतें हैं जिसमें एक संगठित माफिया काफी सधे तरीके से काम करता है, बाकायदा एजेंटों और आफिस बनाकर काम करने वाले इन माफियाओं के  तार विभिन्न बोर्डों के अधिकारियों से लेकर राजनेताओं और पुलिस तक से जुड़ें रहतें हैं, ये माफिया भी दो तरह के हैं एक वो जो पूरे कायदे -कानूनों के अनुसार काम करतें हैं इनकी प्रवेश से लेकर परीक्षाफल आने तक की सारी जिम्मेवारी होती है, इनके पास नक़ल कराने और दुसरे छात्र को बिठा परीक्षा दिलाने तक की व्यस्था होती है. ये हाल किसी एक शहर या बोर्ड का नहीं है, सारे देश इस प्रकार के माफिया खुले आम अपनी बिसात बिछाए घूम रहें हैं, १० वीं से लेकर बी. एड तक कोई भी डिग्री या कोर्स हो ये करवा देतें हैं, इसके लिए ग्राहकों की कोई कमी भी नहीं होती है, दुसरे प्रकार का माफिया वो है जो फर्जी मार्कशीट खुद तैयार करता है और बेचता है इनके द्वारा दिए गए सभी प्रमाण पात्र नकली होतें हैं, फिर भी हजारों लोग हर साल इनकी सेवा लेतें हैं. इस प्रकार के माफिया बोर्ड के लोगो और मुहर की नक़ल कर फर्जी दस्तावेज तैयार करने में माहिर होतें हैं. समय समय पर इन लोगों की गिरफ्तारियां भी होती हैं लेकिन किसी पुख्ता क़ानून के ना होते ये जल्द ही  बरी हो जातें या जमानत पर आ जातें हैं, सवाल ये नहीं है की ये इतना बड़ा फर्जीवाड़ा करते कैसे हैं असल सवाल तो ये है की आखिर इन्हें काम करवाने वाले मिलते कहाँ से हैं, अभी कुछ दिन पूर्व एक एयर लाइंस के पायलट के पास फर्जी लाइसेंस मिला था. इसके अतिरिक्त फर्जी डोमिसाइल, बी पी एल कार्ड बनाने और बनवाने वालों की कमी नहीं हैं, हर साल फर्जी डोमिसाइल के चलते सैकड़ों छात्रों का प्रवेश निरस्त हो जाता है. फर्जी डाक्टर, फर्जी इंजीनियर से लेकर फर्जी नेता सभी पाए जातें हैं इस दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में. आगे हम आपको सुनायेंगें कुछ दास्तान जिसके चलते आप देखेंगे इस दुनिया का घिनौना चेहरा, लेकिन ध्यान रहे कहीं हमारी अगली मुहिम आपकी दास्तान ना कह रही हो. वो घिनौना चेहरा आपका ही ना हो. 
पड़ताल: (इनसाईट स्टोरी टीम) 
आलेख: आशुतोष पाण्डेय 

अमेरिका पाकिस्तान का समधियाना

हिलेरी क्लिंटन
अमेरिका और पाक का समधियाना किसी के समझ नहीं आता है, एक और जहां अमेरिका कभी खुल कर इस बात को स्वीकार करता है की पाकिस्तान आंतक की शरणस्थली है, वहीं दूसरी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति से लेकर विदेश मंत्री तक चाटुकारिता करते नजर आतें हैं, २७ मई २०११ को अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन एक विशेष अनुरोध को लेकर इस्लामाबाद पहुचीं हैं. दो मई को लादेन के मारे जाने के बाद से पाकिस्तान सरकार अमेरिकी कार्रवाई के तौर- तरीकों की निंदा करता रहा है, इसके साथ ही चरमपंथी मुसलमानों का एक गुट भी अमेरिका को परिणाम भुगतने की चेतावनी दे चुका है. अमेरिकी विदेश मंत्री के साथ पाकिस्तान आये ज्वाइंट चीफ आफ स्टाफ एडमिरल माइक मुलेन और अन्य अधिकारी भी इस बात की हामी भर रहें हैं अमेरिका अल-कायदा और अन्य चरमपंथियों से लड़ने को पाकिस्तान की मदद चाहता है. हिलेरी का विशेष अनुरोध क्या होगा पता नहीं, लेकिन अगर विश्लेषकों की मानें तो हिलेरी वहीं पुराना राग अलापेंगी की अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान  का सहयोग चाहता है, इसके अलावा अमेरिका पाकिस्तान से उच्च वर्ग से कर वसूली की दिशा में विशेष कदम  उठाने के लिए कहता रहा है गौरतलब है की अमेरिका हर साल पाकिस्तान को तीन अरब डालर से ज्यादा की वित्तीय मदद देता है. 
हिलेरी की यात्रा से ठीक एक दिन पहले पेंटागन पाकिस्तान में अपने सैनिकों की संख्या में कमी करने को राजी हो गया था, अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार इस समय पाकिस्तान में २०० से ज्यादा अमेरिकी सैनिक हैं जो पाकिस्तानी सेना को प्रशिक्षित कर रहें हैं, लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों के हस्तक्षेप के तुरंत बाद जिस तरीके से पाकिस्तान में अपने सैनिकों की संख्या कम करने को मान जाना और फिर हिलेरी की यात्रा कोई बड़ा समधियाना ही लगता है. 
(ये आलेख विभिन्न समाचार माध्यमों के द्वारा प्रदत्त जानकारियों पर एक विश्लेषण है)
आलेख: आशुतोष पाण्डेय 



शुक्रवार, 20 मई 2011

अभी तो काव्य का सोता फूटा ही है: वन्दना गुप्ता

"जो मन में आता है लिख देती हूँ भाषा और शैली के पाश में कविता को बाधना नहीं चाहती, जो देखती हूँ महसूस होता है उसके लिए अनायास ही शब्द बन जातें हैं", ये उदगार हैं .... श्रीमती वन्दना गुप्ता के. वन्दना पिछले कई सालों से कविता और साहित्य की अन्य विधाओं में लिख रही हैं, लेकिन उनके काव्य की मोहकता मन को बरबस आकृष्ट कर लेती है.... भाषा और शैली के पाश में न बधने के कारण ही उनके काव्य में रहस्यवाद की गूढता, भक्तिकाल की शालीनता, श्रृंगार की मोहकता और प्रगतिशील काव्य की प्रगतिवादी रोमांचकता की झलक खुल कर दिखती है, उनके काव्य की विशेषता मानवीय मनोभावों में उनकी गहरी पकड़ है. प्रकृति और मानवीय मनोभावों का सामंजस्य किसी भी समीक्षक के लिए परेशानी पैदा कर देता है.. कई बार लगता है की वन्दना सूफी विचारधार से प्रेरित लगती हैं तो कई बार खुल कर वर्तमान उपादान का दोहन करती भी प्रतीत होती हैं . लिखने के लिए उन्होंने सोशियल नेटवर्किंग का सहारा लिया, काफी नाम भी कमाया है, आज हिंदी में लगातार ब्लोगिंग करती हैं, एक ही ब्लाग में उनकी २५० से ज्यादा कवितायें हैं, दिन दुनिया और साहित्यिक सरोकारों से बेखबर लगने वाली वन्दना दिल्ली के आदर्श नगर में रहती हैं, पेशा गृहणी, शौक लेखन, शिक्षा स्नातक बस इतना सा परिचय है, काव्य की इस चितेरी का. ये पूछने पर की उनकी रचनाएं किससे प्रभावित हैं' एक सपाट सा जवाब आता है जो दिल में आया लिख दिया, सोचती नहीं हूँ, क्या लिखना है? शायद यही कारण है उनकी रोज एक दो नयी कविता पढने को मिलती हैं. अगर उनकी सारी कविताओं को एक साथ रख दिया जाय तो एक महाकाव्य तैयार हो जाए लेकिन अभी तक साहित्य की कसौटी पर कविताओं की समीक्षा ना हो पाने के कारण ही उपेक्षित हैं. कविता के वर्त्तमान उपादानों पर कविता की व्याख्या करें तो उन्मुक्त भाषा का प्रयोग उनकी कविताओं आम आदमी की पसंद बनाता है, लेकिन जो कवितायेँ रहस्यवाद के पुट में हैं उनका सौंदर्य तो देखने के लायक है, हाँ हो सकता है की आम पाठक को वो समझ ना आयें या फिर वह उसे कसौटी पर कस न पाए. कुछ कवितायेँ जरूर निरन्तरता के अभाव में रची प्रतीत होती हैं लेकिन मनोभावों के चित्रण में लेखन की निरंतरता अक्सर बाधित हो ही जाती है. मनुष्य जीवन के लगभग सभी पहलूँ पर कवितायें लिख चुकी वन्दना मानती हैं की अभी तो काव्य का सोता फूटा ही है बस. प्रकाशन के सवाल पर मुस्कराते हुए जवाब देती हैं, "कोई छाप देता है तो ठीक है, मेरा काम है लिखना शेष मेरा कान्हा जाने". कृष्ण भक्तिधारा की कुछ कविताओं में वन्दना मीरा बन जाती हैं. बस बिंदास वन्दना लिखती जाएँ तो अच्छा लगता है.

(ये आलेख हमारी वन्दना जी से हुयी बातचीत और उनकी कविताओं की समीक्षा पर आधारित है. जल्द ही ही हम मूल साक्षात्कार को प्रकाशित करेंगें .)
आलेख: आशुतोष पाण्डेय

भारत फिर से विदेशी उपनिवेश न बन जाए

फिरोज अब्दुल रशीद खान
पी. चिदम्बरम
यूपीए सरकार का बुरा वक्त ख़त्म होता नजर नहीं आ रहा है... एक -आध राज्यों राज्यों में विधान सभा चुनावों के नतीजों पर इतरा रही सरकार आज फिर सी बी आई और आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय के आला अधिकारियों की कारगुजारियों से शर्मसार हो गई है, पाकिस्तान को भेजे ५० मोस्ट वांटेड की सूची का एक आतंकी तो मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद है, १९९३ में मुंबई बम काण्ड में संलिपत्ता के चलते फिरोज अब्दुल रशीद खान उर्फ़ 'हमजा' के खिलाफ १९९४ में इंटरपोल के द्वारा रेड कार्नर नोटिस जारी किया गया था. उसके बाद पिछले साल २०१० फरवरी में इसे नवी मुंबई से सी बी आई द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था और तभी से ये आर्थर रोड जेल में बंद है, लेकिन एक साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद ही सीबीआई के द्वारा अभी तक रेड कार्नर नोटिस वापस नहीं लिया गया. अब हद तो तब हो गई जब इस आतंकी का नाम ५० मोस्ट वांटेड की सूची में पाकिस्तान को भेज दिया गया, किसने ये सूची तैयार की? उसकी जाँच क्यों नहीं की गयी? गृहमंत्रालय ने भी इसे भेजने से पहले जांच करना जरूरी क्यों नहीं समझा? अब एक सीबीआई इन्स्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया है और एक डी एस पी का ट्रांसफर कर दिया गया, अब गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने सीबीआई और आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय के आला अधिकारियों को झाड़ लगाईं है, लेकिन इतने बड़े मुद्दे पर चिदम्बरम साहब की पूर्व अनभिज्ञता समझ से परे है, इससे पहले भी एक आतंकी बजुहल खान को को लेकर सीबीआई की लापरवाही सामने आयी थी जिसे पाकिस्तान में कहा जा रहा था वह मुंबई थाणे में था. अब तमाम प्रकार की सफाई मंत्रालय के द्वारा और सीबीआई के द्वारा डी जायेगी, लेकिन इस देश में आज कोई भी सुरक्षित नहीं है, जब हमारी सुरक्षा एजेंसियों को जेल में बंद अपराधियों की जानकारी नहीं है तो खुले घूम रहे आतंकवादियों की जानकारियाँ क्या ख़ाक होंगी? आज जब हम इस देश के हालात देखें तो सच सामने आ जाता है, पहले घोटाले दर घोटाले अब सुरक्षा एजेंसियों की ये लापरवाही, कहीं इस देश को बेचने की साजिश तो नहीं चल रही है, इस देश के आंतरिक हालात इतने खराब कर दियें जाएँ की अमेरिका जैसे किसी देश को हस्तक्षेप करना पड़े और भारत फिर से विदेशी उपनिवेश न बन जाए. 
 आलेख: आशुतोष पाण्डेय

नेत्र दान, महादान

नेत्र दान महादान, आपकी एक प्रतिज्ञा दो लोगों की जिन्दगी में रंग भर सकता है। आपकी नेत्रदान की इच्छा दुनिया को एक नई राह दिखायेगी। आइये मिलकर एक शपथ लें दो लोगों की जिन्दगी में रंग भरने की। इनसाईट स्टोरी नेत्रदान को एक अभियान के रूप में चलाना चाहता है। हमारी सारी टीम के सदस्य एक साथ नेत्रदान की घोषणा कर रहें हैं अन्धता-निवारण के लिए कार्य कर रहे कई संगठनों  और इनसाईट स्टोरी टीम की जागरूकता के साथ आप भी किन्ही दो लोगों को रोशनी प्रदान करने की शपथ लें। इस संदर्भ में आपकी सहायता के लिए इनसाईट स्टोरी टीम हर समय तैयार हैं। आप अधिक जानकारी के लिए इमेल के जरिये जानकारी ले सकतें हैं।
हमारा ईमेल पता: editor.insight@hotmail.com 
आप नेत्र दान का प्रतिज्ञा फार्म यहाँ से डाऊनलोड कर सकते हैं।

सोमवार, 16 मई 2011

अंधेर नगरी चौपट राजा

हाल में कुछ राज्यों में हुए उपचुनावों ने देश की राजनीतिक तस्वीर को किसी हद तक साफ़ कर दिया है, देश की जनता भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा मानने को तैयार नहीं है, कांग्रेस समर्थित तृणमूल कांग्रेस का पश्चिमी बंगाल में अभूतपूर्व बहुमत और जयललिता की तमिलनाडु में वापसी इस दावे को सच ठहराती है, और कही ना कही आज अन्ना और रामदेव के भ्रष्टाचार की हवा निकाल रहें हैं. अब बड़ा सवाल यह है की अन्ना और रामदेव सही हैं या फिर जनता? क्या हुआ भ्रष्टाचार के खिलाफ खादी जनता एकाएक भ्रष्टाचारियों की समर्थक कैसे बन गयी, दरअसल सच कहें तो ये पब्लिक है सब जानती है.... आज सेलिब्रेटी बनने का शौक अन्ना या नेताओं को है उतना ही आम जनता को भी है.... इस लिए अन्ना को समर्थन देने वाले भी, ज़रा बताएं वोट किसको दिया. 
जनता ने जो किया उसका अपना मापदंड है, अगर वह गुजरात में नरेन्द्र मोदी को जिताती है तो, वही बुद्धदेव अपनी सीट भी नहीं बचा पते हैं, जनता का वोट लोकपाल या विदेश नीति को नहीं मिलता उसका वोट तो खालिश विकास को जाता है, वो भले मोदी करें या नितीश कुमार. अब बात करें उत्तराखंड की जहां इस समय बीजेपी की सबसे अलोकप्रिय सरकार काबिज है, बीजेपी सत्ता की कमान खंडूरी से छीन कविवर निशंक को दे चुकी है लेकिन यहाँ तो अंधेर नगरी चौपट राजा वाली बात हुई, राज्य का विकास तो छोडिये, विनाश करने में कसार नहीं छोडी है इस सरकार ने, ये दावा हमारा नहीं हैं, ये जनता की ही आवाज है, जिसमें वो पूछ रही है कितने बेरोजगारों को नौकरी मिली, वो आपकी एक योजना थी अनाज मिल रहा था... कहाँ लागू है वो, एक यूनिट पर २५० ग्राम चीनी, बिजली की १० घंटे कटौती, निरंकुश नौकरशाही, ये सब क्या है? ये नतीजे हैं हमारी इनसाईट स्टोरी टीम के द्वारा किये गए एक रेंडम सेम्पल सर्वे का, जिसके सभी नतीजे एक दो दिन में आपको मिल जायेंगे, जनता ने जहा पूरे कार्यकाल के लिए पूर्व कांग्रेस सरकार को १० में से ६.८ दिए हैं वहीं वर्तमान भाजपा सरकार को मात्र ३.७ अंक दिए हैं. 
(आशुतोष पाण्डेय और टीम)

शनिवार, 14 मई 2011

इनसाईट स्टोरी: देश की खबर कानों कान ....

इनसाईट स्टोरी: देश की खबर कानों कान ....: "(रोना आता है... ये हालत देख) ये चंद महीने भारतीय राजनिती में जबरदस्त बदलाव के लिए जाने जायेंगे, पहले घोटाले- २ जी, कामनवैल्थ और तमाम उसके..."

देश की खबर कानों कान ....

(रोना आता है... ये हालत देख)
ये चंद महीने भारतीय राजनिती में जबरदस्त बदलाव के लिए जाने जायेंगे, पहले घोटाले- २ जी, कामनवैल्थ और तमाम उसके बाद अन्ना का आन्दोलन.....फिर अन्ना का मोदी की तारीफ़, भूषण परिवार को लेकर लोकपाल समिति पर हंगामा, उसके बाद लादेन का संहार और अब पश्चिमी बंगाल में लाल झंडे का सफाया. इस बीच में नोयडा में किसान आन्दोलन और पुलिस वालों की मौत. इसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण क्या है? जिसकी चर्चा करें, ममता की ताजपोशी या फिर कलमाडी और राजा की जेल यात्रा, देखिये हमें ना अपनी टी आर पी बढ़ानी या विज्ञापनों का लोचा, तो सुनिए जो घोटाले हुए मुझे कुछ नहीं मिला, अन्ना का आन्दोलन एक दिन मैंने भी मिस काल मार कर समर्थन किया था, फिर अन्ना साहब ने कहा मोदी साहब सर्वश्रेष्ठ हैं....... भाई अन्ना कहिन...... तो होगा मोदी. अच्छा.... बाद में पता चला ये मोदी अपने गुजरात के ...... नरेन्द्र मोदी हैं (अरे वो ही गोधरा कहीं ...नाम आया था)...... फिर मालूम हुआ की देश में एक भूषण परिवार रहता है जिसके पास इस देश के दो इकलौते कानूनविद हैं तभी तो दोनों को लोकपाल समिति  में लेना मजबूरी थी...... अब लादेन को मार डाला अमेरिका ने लाश कहीं डूबा दी सुनने में आया था, ना मैंने देखा ना अमेरिकी सीनेट ने... खैर यहाँ ओबामा जी बोले तो मानना पड़ा..... लेकिन अपने देश मैं देखो....आतंकवादी तो धरोहर हैं...... अफजल गुरू को कितना संभाल कर रखा है इस देश ने... लादेन पागल था पाकिस्तान में जा छिपा इंडिया में आ जाता बासमती मिलते खाने को...... फासी तो दूर कुछ समय बाद संत बन जाता. अब बारी नोयडा के किसान आन्दोलन की..... दो पुलिस वालों की मौत..... जिला अधिकारी और पुलिस अफसर गोली खा गए, फिर युवराज (क्रिकेट वाला नहीं, राजनिती वाला) राहुल गांधी धरने पर बैठ गए, मीडिया बोली सारी सुरक्षा व्यवस्था को धता बता कर राहुल गाँव पहुचें, हंसी आयी मीडिया की अक्ल पर, यार.. यूपी में सुरक्षा व्यवस्था जैसी कोई चीज होती तो किसान यूं अवैध हथियारों से फायर  नहीं झोकते, और राहुल जी कह गए उन्हें भारतीय होने पर शर्म आती है..... हम कहतें हैं भाई अगर ऐसा है... तो इटली चले जाओ ... ननिहाल.... 
आज फिर ममता जी की ताज पोशी, ३४ साल पुराना कम्युनिस्ट गढ़ ढह गया..... और ममता की सादगी.... सारा श्रेय सोनिया जी को दे डाला...... क्योंकि अभी रेल मंत्रालय का सवाल भी है.... सोनिया जी को खुश रखना जरूरी है...... अभी आने वाले चंद महीनों में बहुत कुछ होना बाकी है..... लेकिन क्या होगा..... अभी एक बात अपने वो समाजवादी वाले थे अमर बाबू ...... उनके कुछ टेप सार्वजनिक होने हैं......
सुनने में आ रहा है.. उत्तराखंड के कवि ह्रदय निशंक जी का विकल्प भी तलाशा जा रहा है...... क्योंकि सड़कें.... स्कूल, अस्पताल, विभाग सब निरंकुश हो गए हैं. 
अंत में जो हुआ या होगा, हमें तो भारत माँ को नमन करना ही है...... माँ तुझे सलाम........
 (आशुतोष पाण्डेय)


सोमवार, 9 मई 2011

हमारी उच्च शिक्षा का काला सच

एक मई २०११ को सम्पन ए आई ईईई की परीक्षा में पेपर लीक होने के बाद उसी दिन फिर परीक्षा करवाई गयी थी, पेपर कैसे लीक हुए या कराये गए, ये सवाल के बारे में बाद में बात करेंगे, अभी जो प्रमुख सवाल है वह एक योग्यता मेरिट लिस्ट के लिए दो परीक्षाएं करवाने का है, ए आई ईईई प्रबंधन ११ मई को फिर से उन छत्रों को परीक्षा देने का मौका दे रहा, जो १ मई को इससे वंचित रह गए थे, लेकिन एक मेरिट के लिए दो परीक्षाएं, ये कहीं ना कहीं छात्रों के समानता के हक़ को प्रभावित कर रहा है, इस फैसले पर रोक लगाने के लिए एनआईटी जमशेदपुर के पूर्व प्रोफेसर ए. पी. सिन्हा ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस निर्णय के विरोध में दायर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर , की है जिसमें हाईकोर्ट ने सरकार को मामले में नोटिस तो जारी किया था, लेकिन ११ मई को उसके दोबारा परीक्षा कराने के फैसले को रोकने से इंकार कर दिया था।  याचिका में मांग की गयी है कि १ मई को कराई  गयी परीक्षा को निरस्त कर नए सिरे से सभी विद्यार्थियों को सामान रूप से प्रदर्शन का मौका मिलना चाहिए, पर कई बार पेपर लीक होने के बाद ऐसी स्थितियां अक्सर पैदा होती हैं, लेकिन कोई ठोस कदम इस बाबत नहीं उठाये जातें हैं जिसके चलते, पेपर लीक होने से रोका जा सके, और बिना उच्च अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत के ये सब संभव कैसे हो सकता है, ये यक्ष प्रश्न है? 
इस समय देश में कोचिंग माफियाओं की बाढ़ सी आ गयी है, इसमें से कई तो १०० फीसदी सफलता की गारंटी देतें हैं, और कई बार प्रवेश परीक्षाओं की मेरिट देखकर लगता भी है की, दाल में कुछ काला है, इतना ही नहीं इस हद तक फिक्सिंग देखने को मिलती है की मनचाहे कालेज में एडमीशन की गारंटी तक ये कालेज दे देतें हैं. 
शिक्षा के नाम पर हो रही तमाम फिक्सिंग हर स्तर पर हर जगह मिलती है, फर्जी मार्कशीट, प्रमाण पत्र, डिग्री, क्या नहीं मिलता है, शिक्षा के इन माल्स में. इसके अलावा आज तमाम प्राइवेट कालेज भी कोई कम प्रदूषण नहीं फैला रहें हैं, पैसा दो मन चाहे कोर्स में एडमीशन लो, लाखों रूपया ऐठने वाले ये कालेज मानकों की खुले आम धज्जियां उड़ा रहें हैं, क्या ये ही है, हमारी उच्च शिक्षा का काला सच? 

(आशुतोष पाण्डेय )

गुरुवार, 5 मई 2011

जनता को भ्रष्ट मत कहना ......

ब्लाग, अपनी मर्जी से कुछ भी लिखने का एक मंच। यहाँ कोई अपनी भडास निकालता है तो कोई अपनी अभिव्यक्ति को आवाज देता है। कोई और मेरी सुने या ना सुने अब में कह सकता हूँ। भले ही में एक स्टार न बन सका फ़िर भी स्टार ब्लागर बनने का ख्वाब तो पूरा कर ही लूँ। खैर जाने भी दो यारों दो -चार गिले शिकवे तो कर लें। आजकल हमारे देश में दो मुद्दे बेहद गर्म हैं......... पहला तो जनता की कमर तोड़ रहा है दूसरा यू पी ए सरकार की चूलें हिला रहा है। महंगाई क्या कहने इसका विकास सबसे ज्यादा हुआ........ दूसरा भ्रष्टाचार........ इसका हल्ला सबसे ज्यादा हुआ...... दोनों में से कम क्या हुआ? तो एक ही जवाब है गरीब की रोटी, वैसे भी हमारी सरकार की अध्यक्ष महोदया तो पिज्जे वाली हैं....... और देश के प्रधानमंत्री महोदय को पेंशन मिलती ही होगी, इन के लिए तो रोटी कोई बात नहीं, हर कह रहा है में चोर नहीं, वो चोर है.......... जय-जय इन चोरों की. कुछ चोर खुश हैं की ओसामा मारा गया ......... कुछ पवन हंस से कमीशन खाने में. इनकी भी जय हो. कुछ काले  धन पर नजर गड़ाएं हैं की कब आये और कब दान मांगे एसी काटेज बनाने है, बड़े योग करने वालों के लिए, जय हो बाबा रामदेव की उन्होंने हमारे भ्रष्ट नेताओं को योग सिखा दिया, अब नेता चंगे हैं और जोरों से लूट रहें है....... राजा हो या अपने कलमाडी जी, सब मस्त हैं, जानते हैं योग में काफी ताकत है...... ये योग ही तो था जिसके चलते इतना कमा लिया, ऐसे योग सब को नहीं मिलते क्योंकि कामनवैल्थ गेम रोज नहीं होते.......... और देखिये .......... योग संयोग ......... जनता को मिल गई फेशबुक वो उसमें खुश ......... बुद्धिजीवी वाल, पोस्ट, कमेन्ट के जंजाल में, जय जय जय हो भाग्य विधाता जनता की, अरे ये क्या कर दिया जनता के ऊपर टिप्पणी, इस देश की जनता पर टिपण्णी ना बाबा ना! ........... ? अब सोच लो ...... ये लोक तंत्र है केवल जनता सरकार को भ्रष्ट कहेगी, जनता को कोई कुछ मत कहना ......... ये है जनता योग!

रविवार, 1 मई 2011

2 जी घोटाले: नया घमासान शुरू



भाजपा और कांग्रेस के बीच 2 जी घोटाले पर लोक लेखा समिति कि रिपोर्ट को लेकर नया घमासान शुरू: 
मुरली मनोहर जोशी ने रिपोर्ट को लोक सभा अध्यक्ष के पास भिजवा दिया है और अध्यक्ष से ये आग्रह किया है कि इस रिपोर्ट को मंज़ूर करें. रिपोर्ट लोक सभा अध्यक्ष के पास भिजवाने के बाद जोशी ने पत्रकारों से बात करते हुए आरोप लगाया कि समिति में कांग्रेस सदस्यों ने केंद्रीय मंत्रियों के दिशा निर्देशों पर काम करते हुए हंगामा किया. उन्होंने कहा, "समिति में रिपोर्ट का विरोध करने वाले यूपीए से संबंधित संसद सदस्यों के पास पर्चियाँ आ रही थीं." जोशी ने चिदम्बरम के बयानों से जुड़े एक प्रश्न के उत्तर में उन्ही की और संकेत कर कहा, "जो मंत्रिगण समिति के सदस्यों को कठपुतलियों की तरह नचा रहे थे उनका नेतृत्व कौन कर रहा था?".
समिति के सदस्यों के रिपोर्ट को खारिज करने के प्रश्न पर उन्होंने कहा ये असंवैधानिक है. मत विभाजन पर उन्होंने कहा ये किसकी अनुमति से हुआ? उन्होंने कहा, "मामले का राजनीतिकरण न करें. रिपोर्ट का विरोध करने का सबको अधिकार है लेकिन दलगत आधारों पर पीएसी का कामकाज नहीं चल सकता. भ्रष्टाचार का समर्थन करने वाली सरकार ज़्यादा दिन नहीं टिकेगी. हमारी अपेक्षा है कि ये रिपोर्ट संसद में पेश हो." इस रिपोर्ट को लेकर हाल के दिनों में पीएस की बैठक में जमकर हंगामा हुआ है.  दरअसल मीडिया में इस रिपोर्ट के मसौदे के लीक होने की ख़बर पर विवाद खड़ा हो गया था. लीक रिपोर्ट में 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय, कैबिनेट सचिवालय और ख़ुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भी कई सवाल उठाए गए हैं.
(आशुतोष पाण्डेय)