शुक्रवार, 29 जुलाई 2011

देश रंगा हिना के रंग

पाक विदेश मंत्री हिना रब्बानी 
आजकल देश का मीडिया और नेता हिनामय हो गए हैं, हिना रब्बानी खर पाकिस्तान की पहली महिला विदेश मंत्री हैं और पहली बार बतौर विदेश मंत्री यहाँ आयीं हैं. क्या कहने विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवानी से लेकर समूची सरकार हिना, हिना का ही उद्घोष कर रही है. ये इस देश की आदत है, हर किसी को सिर चढ़ाना. सब भूल जातें हैं हम अगला पिछ्ला. बस हिना के साथ एक फोटो खिचवाने के लिए नेता बेताब दिख रहें हैं. लेकिन पाकिस्तान की कारगुजारियों पर कोई खफा दिख ही नहीं रहा है, बीजेपी जो सरकार से आंतकवाद पर रोज सवाल पूछती थी, आज उनके वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवानी भी एक बुके लेकर हिना के इर्द गिर्द नजर आतें हैं, काफी खुश हैं हिना को देख, सब भूल गए अगला पिछ्ला. हमारे विदेश मंत्री और सरकार के नुमाइंदे तो क्या कहने किस मुँह से कहें की आंतकवाद पाकिस्तान की देन है. क्योंकि कांग्रेस के कई बड़े नेता तो हिन्दू आतंकवादियों का ढिंढोरा पिटते नहीं थक रहें हैं उन्हें तो अजमल कसाब और लादेन से बड़े आतंकवादी आरएसएस में दिखते हैं, और पाकिस्तान को एक आतंकियों की लिस्ट भेजी थी उसका क्या हस्र हुआ जग जाहिर ही था.
*देश रंगा हिना के रंग* *कहीं कारगिल २ का आगाज तो नहीं* * अपनों से लड़ते हैं और विदेशी के सामने नत मस्तक* *सोनिया जानती है भारत का चरित्र*
हिना हमारी मेहमान हैं उनके साथ बदसलूकी ना की जाए लेकिन कम से ये तो कह दो की बस अब बर्दाश्त नहीं होता है. अगर अब भी तुम्हारी कारगुजारियां नहीं रुकेंगी तो हम भी नहीं रुकेंगे. लेकिन कौन कहे? सत्ता में जो बैठे हैं उनके होश तो पहले ही उड़ें हैं और विपक्ष इतना कमजोर है की अपने ही एक मुख्यमंत्री को हटाने के लिए उसे पापड बेलने पड़ रहें हैं. ऐसे में तो ये देश लगता ही हिना के हवाले हैं. कहीं ये हिना की चमक कारगिल-२ का आगाज ना हो. दुल्हन के हाथ में महेंदी तो अच्छी रची लेकिन अगले दिन ही रातों रात अगर दुल्हन घर को लूट प्रेमी के साथ चम्पत हो गई तो कोई क्या कर लेगा? अब बानगी इस देश की जनता की अपनों से तो लडती है, अन्ना की टीम, रामदेव की टीम, शिव सेना, विश्व हिन्दू परिषद् और अपने मोदी भाई ये सब यहाँ तो लड़ लेते हैं लेकिन विदेशी के आगाज को नजरअंदाज कर देते हैं. इसी कारण भारत पहले भी गुलाम रहा है और सोनिया गांधी जानती हैं भारत के इस चरित्र को इसीलिये बिंदास राज किये जा रहीं हैं.
(आशुतोष पाण्डेय)
सम्पादक इनसाईट स्टोरी