मंगलवार, 19 अप्रैल 2011

हम सब चोर हैं.......

                असल में सरकारों को तो सब कोसते हैं, लेकिन हम ये भूल जातें हैं की ये हमारे द्वारा तैयार व्यवस्था का एक अंग हैं किसी आफिस में आकर देखिये घूस लेने वालों से देने वालों की लम्बी कतारें हैं. हर आदमी चाहता है की उसका काम पहले हो, वो रोड पर गलत  चले उसका चालन न हो, बिजली की चोरी करे उसे कोई पकडे नहीं, वोट के बदले नोट ले लेकिन उसका कुछ बिगड़े नहीं, नौकरी खरीदने के साथ, मेनेजमेंट कोटे से इंजीनियरिंग और मेडिकल की सीटें खरीदने वाले अनगिनत हैं. जिन गाँव को भोला भला कहा जाता है, वहा कुवारी लड़कियां विधवा पेंशन ले रहीं हैं, इन गाँव में बिना शराब के वोटर पोलिंग बूथ नहीं आता है. एक बार इन्हें ठीक करवा दीजिये, सब ठीक हो जाएगा, अन्यथा लोकपाल या सूचना का अधिकार कुछ नहीं हो सकता है, और हम और आप अपना नाम कमा रहें हैं सरकार को कोस कर, हमें Comments चाहिए बस, जितना समय हम फेसबुक पर बिताते हैं उसका १/४ भी देश को दें तो कायाकल्प हो जाएगा, ये सच है मैंने खुद करके देखा है, आप जानती हैं, जब मैंने जंतर मंतर पर जाकर फोटो खिचवा कर फेसबुक पर अपलोड करने वालों की खिचाई की तो मुझे ब्लाक कर दिया. क्योंकि मेरे पोस्ट उनके वाल पर उनकी पोल खोल रहे थे, लोगं कितने लोग है जो फेसबुक  भ्रष्टाचार के लिए सरकारों को कोसते हैं, और उन्होंने कभी कोई भ्रष्टाचार ना किया हो, करवाया हो, भ्रष्टाचार की लड़ाई में खड़े अन्ना अब ये कह रहें की अगर ये बिल संसद में पास नहीं होता है कोई बात नहीं, वे संसद की मर्यादा की रक्षा करेंगे और इसे स्वीकार करेंगे, वही अन्ना कल मोदी को सर्वश्रेष्ट का खिताब देतें हैं, तो किरकिरी होने के बाद स्वामी अग्निवेश से कहलावातें हैं की अन्ना को तथ्यों की जानकारी नहीं थी, और देखिएगा इस देश में परिवारवाद का हल्ला आम है...... लेकिन जब श्री शशि भूषन और उनके बेटे को एक साथ लोकपाल कमेटी में लिया गया तो किसी को कोई परेशानी नहीं हुई, सरकार तो चोर है...... जी हम आपकी बात मान लेते हैं ज़रा ध्यान दीजिये........ जंतर मंतर के नेताओं पर प्रशांत भूषन जी जो विगत   पांच सालों से अमर सिंह के खिलाफ एक केस में वकील हैं वो साफ़ कहते हैं की वो अमर सिंह को नहीं जानते हैं, वैसे भी इतने प्रख्यात  वकील होकर अगर उन्होंने अभी तक ये जानने की कोशिश नहीं की जिस शख्स के खिलाफ वो वकालत कर रहें, तो वो लोकपाल के बारे में क्या खाक जानेंगे? कहने का लब्बोलुआब ये है की सरकार के लोग ही नहीं सब भ्रष्टाचारी हैं, मैंने तो अपने ब्लॉग पर अन्ना को लिखा था अनशन नहीं.. लाठी उठाइए और इस देश की आत्मा को परिष्कृत कीजिये. अब बताइयेगा क्या योगदान दे रहें हैं हम? दोस्तों यही सवाल आप सब से?

आशुतोष पाण्डेय