गुरुवार, 4 दिसंबर 2008

इनसाईट स्टोरी: जागे लेकिन काफी देर बाद

इनसाईट स्टोरी: जागे लेकिन काफी देर बाद

मूल्यपरक शिक्षा का अभाव

अपराध, आतंक, हत्या, बलात्कार, लूट ये सब अब हमारे देश की नियति बन चुकी है। आर्थिक विकास औरबौद्धिक विकास का दावा करने वाले भारतीय समाज का ये वीभत्स रूप आख़िर क्यों दिख रहा है? मोबाइल औरतमाम अन्य सुविधाओं से लबरेज इस समाज की मत्ती मारी जा चुकी है। इसका मुख्य कारण मूलय्परक शिक्षा का पूर्णतया अभाव है। बच्चे के लिए प्रायमरी शिक्षा के साथ मीड - डे मील देने की व्यवस्था तो कर दी गई लेकिन जीवन मूल्यों की स्थापना के लिए प्रयास करने की सुध किसी को नही रही। आतंकी कौन बनते हैं? कौन करता है अपराध? इन सवालों की तह तक जायें तो एक बात साफ़ सामने आती है की बिना जीवन आदर्शों ओर संवेदनशीलता के साथ जवान होने वाला बचपन आसानी से गुमराह किया जा सकता है। न ही सरकारी ओर न ही पब्लिक स्कूल इस बात की परवाह कर रहें हैं की वे बच्चों को किस प्रकार की शिक्षा दे रहें हैं। हर एक सिर्फ़ पैसा कमाना चाहता है। शिक्षा को बेचने और खरीदने वालों की भरमार है। लेकिन आख़िर कब तक ये देश बिना मूल्यों के चल पायेगा। ये बात शर्म की है कि एक समय दुनिया को नैतिकता कि शिक्षा देने वाला ये देश आज अपने नैतिक पतन के चरम पर है। आख़िर हम क्यों नहीं सोच रहें हैं इस बारे में? क्या नैतिक शिक्षा और जीवन आदर्शों कि स्थापना के लिए भी मीड - डे मील की तरह का कोई कार्यक्रम विश्व बैंक के सहयोग से चलाना होगा। जो भीं पाठक इस लेख को पढे इस पर अपने विचार अवश्य भेजे। हम आप सभी के विचार इनसाईट स्टोरी के माध्यम से दुनिया तक पहुचायेंगे।

अपने विचार geetedu@gmail.com पर भेजें।

आशुतोष पाण्डेय

बुधवार, 3 दिसंबर 2008

जागे लेकिन काफी देर बाद

आख़िरकार अन्तर्राष्ट्रीय किरकिरी होने के बाद मुंबई में आतंक की गूँज हमारे प्रधानमंत्री जी को सुनाई दी। मंत्रिमंडल में फेरबदल किए गए। कई नए आये, पुरानो की छुट्टी कर दी गई। शिवराज साहब की छूट्टी इस सरकार का एतिहासिक कदम माना जा रहा है। लेकिन काफी देर के बाद सरकार जागी। कही शुक्र है जागी तो सही। लेकिन अभी भी जो किया गया क्या वो सब काफी ? हमारी सेना, खुफिया एजेंसियां क्या करती हैं इसका जवाब भी सरकार को देना चाहिए, बेखौफ आतंकी घूम रहें हैं, और हमारे नौकरशाह और हुक्मरान अपने घर भरने में मस्त हैं। वोट, कुर्सी, सत्ता और ताकत के लिए मासूम देशवासियों का खून बहाया जा रहा हैं। हमारी इनसाईट स्टोरी टीम ने बात की १०० से अधिक लोगों से हर एक ने कहा हमारा देश आज हमारी सरकारों और राजनीती की नाकामी के चलते बारूद के ढेर पर खडा है। प्रधानमंत्री को अफसोस नही होता होगा शायद नहीं होता होगा। हर धमाके के साथ शियासत जो चलती है। अगर प्रधानमंत्री मानते हैं ऐसा नहीं है तो 'अफजल' को संभाल कर क्यों रखतें हैं? देश मात्र आर्थिक नियमों से नही चलता इसे चलाने के लिए राष्ट्रीयता की भावना की आवश्यकता होती है, चमचागिरी की नहीं। जरा ध्यान दीजिये प्रधानमंत्री महोदय इतिहास लिखा जा रहा है।
आशुतोष पाण्डेय
संपादक 'इनसाईट स्टोरी'