शनिवार, 4 जून 2011

एक नया शगूफा है रामदेव का अनशन

भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचार .... ये इस देश की नियति बन गया लगता है... सब इसकी अंगीठी पर अपने हाथ सेक रहें हैं, कोई लोकपाल की मांग करता है तो दूसरा ये पूछ लेता है की क्या गारंटी है की लोकपाल ईमानदार ही होगा? कोई काले धन को लेकर आंदोलित है. ख़ास बात है की ये सब जनता का साथ मांग रहें हैं. अन्ना हजारे के अनशन के बाद लोकपाल पर एक समिति का गठन तो कर दिया गया लेकिन गठन के समय से ही ये एक विवाद का कारण बन गयी थी, पहले भूषण परिवार को लेकर फिर प्रधानमंत्री और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को इस के प्रभाव से बाहर रखने के कारण खासा विवाद है, सरकार और अन्ना के समर्थकों के बीच एक मल्ल युद्ध जारी है, जून को इसका जिन्न बाहर आने वाला है, खैर आज का बड़ा मुद्दा किसी समय योग गुरु रहे रामदेव बाबा का आज जून से शुरू होने वाला अनशन है, रामदेव की मांगें तो बहुत हैं लेकिन सबसे बड़ी मांग में शामिल है, विदेशी बैंकों में रखा काला धन की वापसी. सरकार के मंत्री तो बाकायदा एयर पोर्ट पर भी रामदेव की वन्दना कर चुकें हैं, पर रामदेव हैं की मान ही नहीं रहें हैं, अब एक करोड़ लोगों के साथ अनशन में बैठने की चेतावनी दें, उन्होंने सरकार की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. अब एक नया मोड़ देखें कल केन्द्रीय मंत्रियों के साथ हुयी एक बैठक का हवाला  देते हुए रामदेव ने कहा था "काफी मुद्दों पर सहमति हो गयी है है, सरकार काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने पर राजी तो हो गयी है, लेकिन ऐसा कोई विधेयक लाने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं है". रामदेव जी ये क्या आपका ये बयान आपके समझ में आया, सरकार क्या करेगी क्या नहीं ये तो बाद में पता चलेगा लेकिन एक सवाल ये काला धन कहाँ है, कितना है, इस पर भी आप के पास सिवाय कयास के कुछ नहीं है, और क्या ये इतना आसान होगा, जिन देशों के बैंकों में ये पैसा है क्या वो इसे आसानी से वापस कर देंगे? और क्या अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों में ये प्राविधान हैं? क्या दुनिया भर के पैसों को जमा करने वाले इसकी जानकारियाँ देकर अपनी साख गिरायेंगें ऐसा तो लगता नहीं हैं. हाँ सरकार इसके लिए प्रयास भर जरुर कर सकती है और करने भी चाहिए. दरअसल अगर सच कहा जाए, आम आदमी भी इस मुहिम में मात्र साथ भर देने को जुड़ा है. इस देश में कितने लोग हैं जो अपना असल टैक्स जमा करतें हैं, कितने हैं जो सरकारी सुविधाओं की धज्जियां नहीं उडातें हैं, कितने प्रतिशत लोग हैं जो अपराधियों को वोट नहीं देतें है, आज अगर ख़ास लोगों पर शिकंजा कसेगा तो उनका कानूनी पलटवार आम जनता पर ही होगा... फिर तो सब भ्रष्टाचारियों को सजा मिले जो ख़ास है आम हैं, जो संसद के चुने नुमायंदे हैं या फर्जी बी पी एल कार्ड बनवाने वाले तथाकथित गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोग, मान लिया राजनेता अनैतिक हैं, तो जनता उन्हें वोट क्यों दे रही है? तमिलनाडु में जयललिता के दामन पर तमाम दाग रहें हैं, पश्चिमी बंगाल में  ममता की ताजपोशी जो की अब तक की दुनिया की सबसे भ्रष्ट सरकार का हिस्सा है,को बहुमत क्या है? क्या रामदेव या अन्ना जनता की इस मंशा को नहीं जानतें हैं, इतने बड़े आन्दोलन खड़े करने की कुव्वत रखने वाले ये समाजसेवी (इस शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए या नहीं? ) इतने मासूम तो नहीं हैं? पहले उन एक करोड़ की गारंटी दो बाबा जो आपके साथ अनशन में बैठे हैं, की वे सब ईमानदार हैं. अब भी कुछ बुद्धिजीवी अपनी फोटो खिचवाने जरुर जायेंगें, फिर अखबारों की कटिंग, टी वी बाइट्स सब का रिकार्ड रखेंगें. कुछ अन्ना के साथ चमके, कुछ बाबा के साथ भी चमक जायेंगें.... कुछ तो दो तीन दिन पहले से ही सुपर रिन की चमकार से सराबोर हैं,  लेकिन ये मुआ भ्रष्टाचार बढ़ता ही जाएगा जब तक इस देश का आम आदमी ना सुधर जाए और वो ना सुधरने वाला. अगर वास्तव में इस देश से भ्रष्टाचार मिटाना है तो एक क़ानून बने की है व्यक्ति प्रतिदिन देश के लिए एक घंटे से तीन घंटा अनिवार्य शारिरीक, मानसिक योगदान करे इसमें आम से लेकर प्रधानमंत्री तक को शामिल किया जाय, हर व्यक्ति को आर्मी में सेवा करना अनिवार्य कर दिया जाय कितने समाज सेवी इसके लिए तैयार हैं? ये सवाल है उन लोगों से जो देश को अनशन, धरनों, जलूसों से अस्थिर कर रहें हैं. इतनी देर देश के विकास के लिए काम करो फिर देखो ६ माह में इस देश की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल जायेगी.

(आशुतोष पाण्डेय)