शनिवार, 14 मई 2011

देश की खबर कानों कान ....

(रोना आता है... ये हालत देख)
ये चंद महीने भारतीय राजनिती में जबरदस्त बदलाव के लिए जाने जायेंगे, पहले घोटाले- २ जी, कामनवैल्थ और तमाम उसके बाद अन्ना का आन्दोलन.....फिर अन्ना का मोदी की तारीफ़, भूषण परिवार को लेकर लोकपाल समिति पर हंगामा, उसके बाद लादेन का संहार और अब पश्चिमी बंगाल में लाल झंडे का सफाया. इस बीच में नोयडा में किसान आन्दोलन और पुलिस वालों की मौत. इसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण क्या है? जिसकी चर्चा करें, ममता की ताजपोशी या फिर कलमाडी और राजा की जेल यात्रा, देखिये हमें ना अपनी टी आर पी बढ़ानी या विज्ञापनों का लोचा, तो सुनिए जो घोटाले हुए मुझे कुछ नहीं मिला, अन्ना का आन्दोलन एक दिन मैंने भी मिस काल मार कर समर्थन किया था, फिर अन्ना साहब ने कहा मोदी साहब सर्वश्रेष्ठ हैं....... भाई अन्ना कहिन...... तो होगा मोदी. अच्छा.... बाद में पता चला ये मोदी अपने गुजरात के ...... नरेन्द्र मोदी हैं (अरे वो ही गोधरा कहीं ...नाम आया था)...... फिर मालूम हुआ की देश में एक भूषण परिवार रहता है जिसके पास इस देश के दो इकलौते कानूनविद हैं तभी तो दोनों को लोकपाल समिति  में लेना मजबूरी थी...... अब लादेन को मार डाला अमेरिका ने लाश कहीं डूबा दी सुनने में आया था, ना मैंने देखा ना अमेरिकी सीनेट ने... खैर यहाँ ओबामा जी बोले तो मानना पड़ा..... लेकिन अपने देश मैं देखो....आतंकवादी तो धरोहर हैं...... अफजल गुरू को कितना संभाल कर रखा है इस देश ने... लादेन पागल था पाकिस्तान में जा छिपा इंडिया में आ जाता बासमती मिलते खाने को...... फासी तो दूर कुछ समय बाद संत बन जाता. अब बारी नोयडा के किसान आन्दोलन की..... दो पुलिस वालों की मौत..... जिला अधिकारी और पुलिस अफसर गोली खा गए, फिर युवराज (क्रिकेट वाला नहीं, राजनिती वाला) राहुल गांधी धरने पर बैठ गए, मीडिया बोली सारी सुरक्षा व्यवस्था को धता बता कर राहुल गाँव पहुचें, हंसी आयी मीडिया की अक्ल पर, यार.. यूपी में सुरक्षा व्यवस्था जैसी कोई चीज होती तो किसान यूं अवैध हथियारों से फायर  नहीं झोकते, और राहुल जी कह गए उन्हें भारतीय होने पर शर्म आती है..... हम कहतें हैं भाई अगर ऐसा है... तो इटली चले जाओ ... ननिहाल.... 
आज फिर ममता जी की ताज पोशी, ३४ साल पुराना कम्युनिस्ट गढ़ ढह गया..... और ममता की सादगी.... सारा श्रेय सोनिया जी को दे डाला...... क्योंकि अभी रेल मंत्रालय का सवाल भी है.... सोनिया जी को खुश रखना जरूरी है...... अभी आने वाले चंद महीनों में बहुत कुछ होना बाकी है..... लेकिन क्या होगा..... अभी एक बात अपने वो समाजवादी वाले थे अमर बाबू ...... उनके कुछ टेप सार्वजनिक होने हैं......
सुनने में आ रहा है.. उत्तराखंड के कवि ह्रदय निशंक जी का विकल्प भी तलाशा जा रहा है...... क्योंकि सड़कें.... स्कूल, अस्पताल, विभाग सब निरंकुश हो गए हैं. 
अंत में जो हुआ या होगा, हमें तो भारत माँ को नमन करना ही है...... माँ तुझे सलाम........
 (आशुतोष पाण्डेय)


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