शुक्रवार, 20 मई 2011

भारत फिर से विदेशी उपनिवेश न बन जाए

फिरोज अब्दुल रशीद खान
पी. चिदम्बरम
यूपीए सरकार का बुरा वक्त ख़त्म होता नजर नहीं आ रहा है... एक -आध राज्यों राज्यों में विधान सभा चुनावों के नतीजों पर इतरा रही सरकार आज फिर सी बी आई और आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय के आला अधिकारियों की कारगुजारियों से शर्मसार हो गई है, पाकिस्तान को भेजे ५० मोस्ट वांटेड की सूची का एक आतंकी तो मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद है, १९९३ में मुंबई बम काण्ड में संलिपत्ता के चलते फिरोज अब्दुल रशीद खान उर्फ़ 'हमजा' के खिलाफ १९९४ में इंटरपोल के द्वारा रेड कार्नर नोटिस जारी किया गया था. उसके बाद पिछले साल २०१० फरवरी में इसे नवी मुंबई से सी बी आई द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था और तभी से ये आर्थर रोड जेल में बंद है, लेकिन एक साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद ही सीबीआई के द्वारा अभी तक रेड कार्नर नोटिस वापस नहीं लिया गया. अब हद तो तब हो गई जब इस आतंकी का नाम ५० मोस्ट वांटेड की सूची में पाकिस्तान को भेज दिया गया, किसने ये सूची तैयार की? उसकी जाँच क्यों नहीं की गयी? गृहमंत्रालय ने भी इसे भेजने से पहले जांच करना जरूरी क्यों नहीं समझा? अब एक सीबीआई इन्स्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया है और एक डी एस पी का ट्रांसफर कर दिया गया, अब गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने सीबीआई और आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय के आला अधिकारियों को झाड़ लगाईं है, लेकिन इतने बड़े मुद्दे पर चिदम्बरम साहब की पूर्व अनभिज्ञता समझ से परे है, इससे पहले भी एक आतंकी बजुहल खान को को लेकर सीबीआई की लापरवाही सामने आयी थी जिसे पाकिस्तान में कहा जा रहा था वह मुंबई थाणे में था. अब तमाम प्रकार की सफाई मंत्रालय के द्वारा और सीबीआई के द्वारा डी जायेगी, लेकिन इस देश में आज कोई भी सुरक्षित नहीं है, जब हमारी सुरक्षा एजेंसियों को जेल में बंद अपराधियों की जानकारी नहीं है तो खुले घूम रहे आतंकवादियों की जानकारियाँ क्या ख़ाक होंगी? आज जब हम इस देश के हालात देखें तो सच सामने आ जाता है, पहले घोटाले दर घोटाले अब सुरक्षा एजेंसियों की ये लापरवाही, कहीं इस देश को बेचने की साजिश तो नहीं चल रही है, इस देश के आंतरिक हालात इतने खराब कर दियें जाएँ की अमेरिका जैसे किसी देश को हस्तक्षेप करना पड़े और भारत फिर से विदेशी उपनिवेश न बन जाए. 
 आलेख: आशुतोष पाण्डेय

1 टिप्पणी:

vandana gupta ने कहा…

अभी कौन से गुलाम से कम है……………जब तक आँख बन्द करके चले जायेंगे हम तब तक हम ही ठोकर खाते रहेंगे।