सोमवार, 20 जून 2011

मुंबई पुलिस की कहानी

इस देश की पुलिस कारगुजारियों की एक मिशाल देखिये, महाराष्ट्र पुलिस के दाउद के अँगुलियों की छाप मौजूद नहीं हैं, जबकि ये शातिर अपराधी कई बार मुंबई पुलिस की गिरफ्त में आ चुका है. ये पुलिस की किस छवि को दिखाता है. मिड डे के रिपोर्टर की ह्त्या में दाउद का हाथ होने की खबर के बाद एक बार फिर पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां दाउद के रिकार्ड खगालने में जुट गयी हैं. नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के महानिदेशक एनके त्रिपाठी के अनुसार दाउद कई बार मुंबई पुलिस की गिरफ्त में रहा है, लेकिन उसके पास दाउद के फिंगर प्रिंट उपलब्ध नहीं हैं. अगर दाउद के फिंगर प्रिंट लिए गए होते तो आज उसके खिलाफ कार्रवाई करने में सहूलियत होती, एन के त्रिपाठी का ये खुलासा चौंका देने वाला तो है ही साथ ही पुलिस की छवि पर भी सवाल उठा रहें हैं. ये एक दाउद का ही मामला नहीं है बल्कि ऐसे हजारों मामले इस देश की पुलिस से जुड़े हैं जहां ये अपराधियों की सहायता करते नजर आते हैं. अब देखना ये है मुंबई पुलिस इस बारे में क्या सफाई पेश करती है, या फिर गृह मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसिया क्या रूख अख्तियार करती हैं?
(आशुतोष पाण्डेय) 

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