रविवार, 27 मई 2012

अधिकारी और कर्मचारी ही लगा रहें हैं विभाग का पलीता

इस साल भीषण गर्मी और देशव्यापी बिजली कटौती से जीना दूभर हो रहा है. लेकिन बिजली चोरी भी खुलेआम चल रही है. उत्तराखंड के रुद्रपुर शहर में बिजली चोरी का अपना एक रिकार्ड है. यहाँ विद्युत वितरण की जिम्मेदारी उत्तराखंड पावर कार्पोरेशन के पास है. जिन्हें जिम्मेदार बनाया गया है वे ही इस चोरी में शामिल हो विभाग को चूना लगा रहें हैं. यहाँ आलम ये है कि बड़ी संख्या में उपभोक्ता किसी ना किसी रूप में चोरी में शामिल हैं. इसमें पोल से सीधे कटिया डालकर, मीटर के साथ छेड़खानी कर, बाईपास करवा या कनेक्शन लेने के तीन सालों बाद भी बिना मीटर के बिजली जला रहें हैं. ये सब व्यापक स्तर पर हो रहा है, एक ही कालोनी में कई घर ऐसे हैं जहां ये सब चल रहा है. अधिकारी और कर्मचारी इस बारे में कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं... जब भी इस बाबत कुछ पूछा जाता है तो सब ठीक किया जा रहा कहकर पल्ला झाड़ लिया जाता है। वास्तविकता तो यह है की कर्मचारियों और अधिकारियों मिलीभगत के बिना इतने व्यापक स्तर पर चोरी नहीं की जा सकती है। यदि कहीं किसी व्यक्ति के द्वारा ऐसी शिकायत की भी जाती है तो अधिकारी कहीं कोई कार्रवाई नहीं करते दिखते हैं. इस प्रकार घाटे में चल रहे यूपीसीएल को प्रति माह करोड़ों के राजस्व की हानि हो रही है. अब यूपीसीएल चोरी पकडवाने वाले व्यक्ति या संस्था को प्रोत्साहन राशि देने की बात भी कह रहा है (पढ़िए कार्यालय ज्ञाप, प्रबंध निदेशक, उत्तराखंड पावर कारर्पोरेशन), लेकिन जब हमाम में सभी नंगे हों तो इस प्रकार की योजनायें महज खानापूर्ति ही कही जा सकती हैं. ये कहानी कमोबेश सारे उत्तराखंड की है. हमारी टीम ने कई उपभोक्ताओं से बात की जो अवैध तरीके से बिजली जला रहे थे. तो उनका जवाब था कि हम बकायदा हर महीने पैसा दे रहें हैं तो फिर चोरी कैसी? जब उनसे पूछा गया कि आप मीटर क्यों नहीं लगवा लेते हैं तो उनका जवाब था हम कई बार कर्मचारियों को पैसा दे चुके हैं वो मीटर लगा ही नहीं रहें हैं. अगर ये सब सच है तो स्थिति काफी दयनीय है और यूपीसीएल को तुरंत कड़े कदम उठाने ही पड़ेंगें. यदि सही तरीके से विद्युत् वितरण किया जाय और चोरी को पूर्ण तया रोक दिया जाय तो निश्चित तौर पर यूपीसीएल को बड़ा राजस्व प्राप्त होगा और बिजली की कमी से जूझ रहे उपभोक्ताओं को भी राहत मिलेगी.

(इनसाईट स्टोरी टीम)
उधमसिंह नगर

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