गुरुवार, 11 दिसंबर 2014

चोर भाई भाग लो नहीं तो पकड़ना पडेगा: दिल्ली पुलिस

दिल्ली, सड़कें, मेट्रो स्टेशन; दिन या फिर रात कहीं कोई सुरक्षित नहीं दिखता है. कब और कहाँ कोई रेप हो जाए कहाँ आपको लूट लिया जाय इसका कोई अंदाजा किसी को नहीं। दिल्ली किसी भी एंगेल से सुरक्षित नहीं दिखती है. पुलिस तब तक सोती है जब तक कोई बड़ी वारदात ना हो जाय और अपराधी को तब तक मौक़ा देती है जब तक वह खुद को सुरक्षित ना कर लें. इसके लिए उनके पास तमाम बहाने हैं, लेकिन हर बार बहाने काम नहीं आते हैं कई बार भारी जनदबाव के चलते कुछ अपराधियों को पकड़ना भी पड़ता है. इसके बाद पुलिस अफसर खूब गुणगान करते हैं खुद की सफलताओं का, कुछ बिना बारी प्रमोशन भी पा जाते हैं लेकिन ज्यादातर केसों में उनकी ये चपलता नहीं दिखती है.
फोटो साभार: गूगल सर्च 

घटना की सूचना मिलने के बाद मौक़ा-ये-वारदात पर पहुँचनें तक इनके कई एक्सक्यूज़ बनते हैं और उसके बाद अपराधी को खोजने के बजाय कई प्रकार की कागजी कार्रवाई में पीड़ित को उलझाया जाता है फिर ज्यादातर मामलों को वहीं समाप्त करने के लिए तमाम बहानों का सहारा लिया जाता है. मोबाइल या पर्स लुटे जाने पर तो ये कहा जाता है लूट की रिपोर्ट न लिखवाएं और मात्र मोबाइल खो जाने की रिपोर्ट लिखवा लें जिससे नया नंबर एक्टिवेट किया जा सके. ज्यादा जोर पड़ने पर मोबाइल को सर्वलांस में लगाने की बात की जाती है और फिर इस बात के लिए कई अधिकारियों के परमिशन का बहाना होता है. ये सब सिर्फ अपराधी को खुद को सुरक्षित करने का खुला मौक़ा देने का एक तरीका नहीं तो क्या है? चोर भाई भाग लो नहीं तो पकड़ना पडेगा शायद इसी स्ट्रेटेजी पर काम करती है हमारी सबसे काबिल पुलिस।

यहां देखें क्या आपका मोबाइल सर्वलांस पर लगा है या नहीं?
 

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