गुरुवार, 9 जनवरी 2014

नमो-नमो कहीं केजरी की भेंट ना चढ़ जाय

अजी बस हर ओर एक ही हल्ला है केजरीवाल और "आम आदमी पार्टी". पिछले एक साल से देश में प्रधानमंत्री पद के लिए भाजपा मोदी को आगे कर रही थी और सारा देश नमो-नमो का जाप कर रहा था. लेकिन दिल्ली में केजरीवाल क्या आये? सब कुछ बदलने लगा. मोदी का ग्राफ भाजपा के साथ नीचे आने लगा है कई बीजेपी के नेता जो कि गुजरात से सम्बंधित हैं अब "आप" का जाप कर रहें हैं. मोदी तो प्रधानमंत्री के रूप में पहली पसंद जरूर हैं लेकिन सांसद के लिए वोट का सवाल है तो आप काफी आगे है. जब वोट आप को पड़े तो फिर भाजपा के नमो की प्रसिद्धि का क्या फायदा होगा? शहरों में केजरीवाल जिस तरीके से पकड़ बना रहें है उससे तो ये साफ़ दिख रहा है एक बार फिर आम आदमी के साथ केजरीवाल देश की राजनीति की दिशा को अपने साथ मोड़ने के लिए तैयार हैं. आज आई.बी.एन. 7 से इस्तीफा दे आशुतोष भी आम आदमी पार्टी में  शामिल होने की बात कर रहें हैं. ना सिर्फ शहरों में बल्कि गावों और कस्बों में भी केजरीवाल का जादू सर चढ़ बोल रहा है. ना सिर्फ युवाओं में बल्कि सभी आयु वर्ग में केजरीवाल के चाहने वाले हैं. देश भर में आम आदमी पार्टी की लगातार बढ़ती पॉप्युलैरटी से न सिर्फ बीजेपी, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भी डरा हुआ है. आरएसएस ने दिल्ली में आप की कामयाबी को बीजेपी के लिए बड़ा संकट बताया है. संघ ने कहा है कि राज्यों में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में जीत से बीजेपी को ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है. पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की, वहीं दिल्ली में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आने के बावजूद आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को सरकार बनाने से रोक दिया. असल में आरएसएस की ये चिंता जायज भी है क्योंकि इस समय एक मौक़ा है जब भाजपा केंद्र में सरकार बना सकती है और अभी ये ना हो पाया तो भाजपा को लंबा इन्तजार करना पड़ सकता है. 

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