शुक्रवार, 19 दिसंबर 2014

पहले ओबामा फिर देश: वाह क्या कहने?

पाकिस्तान में पेशावर में आतंकी हमलों के बाद भारत में भी हाई अलर्ट जारी किया गया है. लेकिन ये हाईअलर्ट सिर्फ कुछ वी. आई. पी इलाकों या फिर बड़े होटलों तक दिख रहा है. सरकार की फ़िक्र ओबामा हैं जो गणतन्त्र दिवस पर मुख्य-अतिथि होंगें किसी को आम आदमी की सुरक्षा से क्या लेना? आम आदमी की सुरक्षा में तो रोज सेंध लगती है, कभी उसके साथ लूट होती है, कभी रेप और कभी हत्या! कितने लूट, हत्या या रेप को रोक पाई है सरकार इसका जवाब किसी के पास नहीं है. अब अपनी दिल्ली को ही लें आये दिन लूट, रेप और हत्याएं होती हैं और तमाम दोषी खुले आम घूम रहें हैं और आम आदमी सिर्फ शिकार ही बन रहा है. ऐसे में सरकार और उसका ये तन्त्र किस सुरक्षा की बात कहता है? जिन्होंने आपको चुना है उनको तो सुरक्षा दे दो, ओबामा की बाद में सोचना. लेकिन हमारे प्रधानमंत्री जी हैं उनकी उपलब्धि देश की जनता नहीं अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा हैं, अमेरिका को कर दिखाना है, अमेरिकी पैसे वालों को खुश रखना है.
अब देश की जनता के पास खुद की सुरक्षा का कोई विकल्प है? सारी पुलिस तो गणतन्त्र दिवस की तैयारी में होगी और हम पाकेटमारों और रेपिस्ट की जद में, वैसे जब पुलिस वहां होती भी
पहले ओबामा: फिर देश की जनता 
है तो करती क्या है? बस इतना होता है, अपराध हो जाने के बाद मौक़ा-मुयाना जरूर करती है, कुछ लोगों को हड़काती है, कुछ से कमाती है और कुछ को भगाती है. लेकिन अब कुछ दिन मौक़ा-मुयाना कम होगा वैसे ही थाने में पुलिस स्टाफ का रोना हर एस.एच.ओ का एक बड़ा बहाना है और अब तो ओबामा आने वाले हैं और ओसामा के शागिर्द धमका रहें हैं तो पहले ओबामा फिर देश... क्या यही होगा? हमारे राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री मोदी जी? तो बदला क्या? कम से पहले जो लोग थे उन्होंने राष्ट्रवाद को तो बदनाम नहीं किया था.. और आप तो...?

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