रविवार, 8 फ़रवरी 2015

दिल्ली चुनाव तीन भाजपा सांसद अब बगावत के मूड में

दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद एग्जिट पोल के नतीजों के साथ भाजपा में बगावत और नाराजगी का दौर शुरू हो गया है, अगर एग्जिट पोल के ये नतीजे ऐसे ही आये मतलब "आप" की सरकार बनी तो दिल्ली भाजपा में बड़ी टूट तय है. पहली बार भाजपा के बड़े नेता मोदी और अमित शाह के खिलाफ दिल्ली भाजपा के साथ धोखे का आरोप लगाते दिखे. ज्यादातर भाजपा नेता इन परिणामों को सहज मान रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि पार्टी लाइन से अलग हट कर बेदी, शाजिया और कृष्णा तीरथ के हाथ भाजपा का भरोसा मोदी ने कैसे बेच दिया, और सतीश उपाध्याय, हर्षवर्धन, विजय गोयल जैसे बड़े पार्टी के वफादारों से क्यों किनारे किया गया? पूरी केजरी टीम के हाथ भाजपा के बड़े नेताओं को कठपुतली बनाया गया. खुद मोदी ने अपनी इज्जत बचाने के लिए किरण बेदी को आगे कर जो दांव खेला वो सब उलटा ही पड़ा और भाजपा को अपने ही लोगों से बेवफाई मिली. आर. एस. एस. का बूथ मैनेजमेंट भी पहली बार बुरी तरह से पिट गया था, दिन में दो बजे के बाद से ही ज्यादातर आर.एस.एस के कार्यकर्ता खिसकते नजर आ रहे थे. अभी भी खिसयानी बिल्ली की तरह कुछ भाजपाई खम्भा तो नोच रहें हैं लेकिन मोदी की लहर का राजधानी में यूं पिटना जबकि कम से कम 80 लोकसभा सांसदों और कूद मोदी और अमित शाह की नाक के नीचे ये सब यूं घटेगा भाजपा को उम्मीद नहीं थी, लेकिन वोटर का मानना कुछ और था त्रिलोकपुरी में हुए साम्प्रदायिक दंगो और उसके बाद मुहर्रम के मौके पर एक भाजपा विधायक द्वारा बवाना में साम्प्रदायिक सन्देश से दिल्ली की कामकाजी जनता काफी विचलित थी. इसके अलावा पिछले आठ महीनों में भाजपा के सांसदों का अपने क्षेत्र में ना दिखना भी एक बड़ी शिकायत थी, रही सही कसर बेदी के मुख्यमंत्री के रूप में सामने आने के बाद पूरी हो गयी और सांसद मनोज तिवारी, सतीश उपाध्याय, जय भगवान जैसे कद्दावर नेताओं के नेताओं के वक्तव्य ने पहले ही ये स्पष्ट कर दिया था कि भाजपा की मुश्किल बढ़ सकती हैं. अब दिल्ली के तीन भाजपा सांसद चुनाव परिणाम के बाद खुल कर बगावत कर सकते हैं.

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