मंगलवार, 1 जुलाई 2008

मंगल पर बर्फ


अमरीका की अंतरिक्ष एजेंसी - नासा का मानना है कि उसके अंतरिक्ष यान फ़ीनिक्स ने मंगल ग्रह पर बर्फ़ होने का ठोस दिया है। यान को मंगल पर एक गड्ढ़े की सतह खोदने पर कोई चमकीली चीज़ मिली जो मंगल ग्रह के हिसाब से चार दिन बाद ग़ायब हो गई। नासा का अनुमान है कि चमकीली चीज़ बर्फ़ थी जो चार दिनों में भाप बनकर उड़ गई। एक दूसरे गड्ढ़े को खोदने के बाद यान को उसी गहराई पर कुछ ठोस सतह मिली। इससे इस बात को बल मिलता है कि मंगल ग्रह की सतह के नीचे स्थायी रूप से जमा हुआ पानी है।
टस्कन के एरिज़ोना विश्वविद्यालय में आ रही सूचनाओं का अध्ययन कर रहे फ़ीनिक्स यान के प्रमुख शोधकर्ता डा0 पीटर स्मिथ कहते हैं, "इसे बर्फ़ ही होना चाहिए। कुछ दिन बीतने के बाद ही ये छोटे-छोटे टुकड़े पूरी तरह से गायब हो जा रहे हैं। यह ठोस सबूत है कि ये बर्फ हैं"। उनका कहना है, "कुछ सवाल हैं कि क्या यह चमकीली चीज़ नमक हो सकती है लेकिन नमक ऐसा नहीं कर सकता।"
फ़ीनिक्स ने मंगल पर उतरने के बीसवें दिन एक गड्ढ़े को खोदकर बर्फ़ के इन टुकड़ों को खोजा और उनकी तस्वीरें ली। चार दिन बाद यान ने दोबारा उसी जगह की तस्वीर ली लेकिन तब तक कुछ टुकड़ें ग़ायब हो चुके थे। इससे पहले बर्फ़ के मिलने की उम्मीदें कम होती जा रही थीं क्योंकि मंगल की सतह पर से ली गई मिट्टी में पानी का कोई नामो-निशान तक नहीं मिला था। मंगल पर बर्फ़ होने के सबूत इससे पहले भी जुटाए गए थे। लेकिन फ़ीनिक्स के इस अभियान का असल मक़सद उन साक्ष्यों का पता लगाना है जिससे इस ग्रह के ध्रुवीय इलाक़ों में बसने के विचारों को ताक़त मिले। देखना यह है की आख़िर कब तक मंगल ग्रह का रहस्य खुलकर सामने
आएगा।


आशुतोष पाण्डेय
संपादक इंसाईट स्टोरी

1 टिप्पणी:

sam ने कहा…

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