आज सारी दुनिया में जहां महिला अधिकारों और कन्या भ्रूण हत्या पर बहस शुरू हो रही है, वहीं दूसरी ओर महिलाओं और बच्चियों के प्रति अत्याचार कम नहीं हो रहें हैं। क्या कारण है इस सब का, आखिर कौन जिम्मेदार है इसके लिए. अल्ट्रासाउंड कराने वाले सेंटर या गर्भपात करवाने वाले डाक्टर, अगर सही मायनों में देखें तो एक माँ ही आज कातिल की भूमिका में दिख रही है. बिना माँ की सहमति के शत-प्रतिशत केसों में भ्रूण हत्या नहीं करवाई जा सकती है. आधुनिकता की कसमें खाने वाली आज की माएँ खुद एक कन्या को गर्भ में खत्म करने को तैयार रहती है, समाज में चाहे वह खुद को लड़के और लडकी में कोई अंतर ना करने वाली दिखाने की कितनी भी कोशिश करे लेकिन सच तो ये है कि वह खुद ऐसा नहीं कर पाती है.
इस देश में जहाँ नारी को नवदुर्गा और ना जाने कितने रूपों में पूजा जाता है लेकिन वास्तव में वही नारी एक बेटी को जन्म नहीं देना चाहती है ऐसा क्यों? क्या वास्तव में नारी खुद ऐसा करती है? यह एक बड़ा सवाल है? आज जब महिलाओं को काफी अधिकार मिलें हैं तब भी कन्या भ्रूण हत्या रूक क्यों नहीं रही है? दरअसल महिलाओं के लिए बने सारे क़ानून और अधिकार ना तो उसकी रक्षा कर पायें हैं और ना ही उसे समाज में समान अधिकार दें पायें हैं. एक महिला जब खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करेगी तो कैसे एक कन्या को जन्म देना मंजूर कर पायेगी. आज भी धर्म और समाज एक बेटे के बिना परिवार को अधूरा मानता है. बिना बेटे के वंश कैसे चलेगा? ये एक सवाल हर समय समाज पूछता है, अगर विज्ञान की कसौटी पर इसे कसे तो ये एक बिलकुल ही बेहूदा तथ्य है, जिस तरह से माता-पिता के डीएनए बेटे को मिलते हैं बिल्कुल वैसे ही बेटी को भी तो फिर ये अंतर क्यों? हमारा ये बेहूदा राग अलापना कहाँ तक ठीक है। अगला सवाल ये है कि अब और कितना समय लगेगा हमारी मानसिकता बदलने में?
आइये बदलें और एक बिटिया को जन्म दें उसे पालें और अपना वंश आगे ले जाएँ क्योंकि चाहे बेटा हो बेटी वह नौ माह तो पलेगा एक नारी के गर्भ में ही.
जो आकड़े उपलब्ध हैं उनके अनुसार पिछले बीस सालों में १ करोड़ लडकियों को भारत देश में पैदा होने से पहले ही मार दिया गया है? ये है मेरा भारत जो नवदुर्गा की पूजा तो करता है लेकिन.....
(सुलेखा)
लेखिका Institute of Generation Education and Empowerment से जुड़ी हैं।
जो आकड़े उपलब्ध हैं उनके अनुसार पिछले बीस सालों में १ करोड़ लडकियों को भारत देश में पैदा होने से पहले ही मार दिया गया है? ये है मेरा भारत जो नवदुर्गा की पूजा तो करता है लेकिन.....
(सुलेखा)
लेखिका Institute of Generation Education and Empowerment से जुड़ी हैं।
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