शनिवार, 19 जनवरी 2008

कंट्टरपंथ सार्क देशों में भी महिलाओं के लिए बड़ा खतरा

दुनिया भर में बढ़ रहा कंट्टरपंथ सार्क देशों में भी महिलाओं के लिए बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है। खासकर बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान जैसे देशों में यह बड़ी समस्या के रूप में सामने है। लिहाजा दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन [सार्क] के सभी देशों ने इसके खिलाफ लड़ने के लिए एक साझा नेटवर्क खड़ा करने का फैसला किया है।
महिला समानता और लैंगिक न्याय पर 1995 में बीजिंग में हुए सम्मेलन की अगली कड़ी के रूप में सार्क देशों की महिलाओं के विभिन्न मुद्दों पर छठे दक्षिण एशिया मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में शनिवार को सर्वसम्मति से यह फैसला किया गया। यूनीफेम के दक्षिण एशिया सबरीजनल आफिस और भारत के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से आयोजित इस सम्मेलन में सार्क देशों के सभी सदस्यों ने 'इंडिया फारवर्ड मूविंग स्ट्रेटजीज जेंडर इक्वलिटी-2008' घोषणापत्र पर हस्ताक्षर भी किए हैं। जिसके तहत सार्क देशों की महिलाओं के लिए बनी कार्ययोजना पर अगले दो वर्र्षो में अमली कार्रवाई की जाएगी।
सम्मेलन के बाद यूनीफेम की क्षेत्रीय प्रमुख चांदनी जोशी ने कहा कि सार्क देशों की महिलाओं के लिए भी कंट्टरपंथ बड़े खतरे के रूप में उभरा है। उन्हें भी इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। बांग्लादेश, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल व दक्षिण एशिया के दूसरे देश भी इससे अछूते नहीं हैं। इसलिए सार्क देशों के बीच साझा नेटवर्क बनाने का निर्णय लिया गया है, जो खास तौर से महिलाओं को उनके अधिकार सुनिश्चित कराएगा। इसके साथ ही समानता के अधिकार के मद्देनजर सार्क देशों की महिलाओं की नागरिकता के अधिकार पर उनके बच्चों व पतियों को भी नागरिकता दिए जाने पर सहमति बनी है। सम्मेलन में यह सवाल इसलिए उठा कि अभी सिर्फ पति की नागरिकता के आधार पर उसकी पत्नी व बच्चों को नागरिकता मिलने की बात होती है। सम्मेलन में सार्क देशों के बीच जेंडर डाटाबेस भी बनाने पर भी सहमति बनी है।
इसके अलावा महिलाओं के साथ भेदभाव को खत्म करने के लिए कानून बनाने, घरेलू हिंसा रोकने के कानून को प्रभावी बनाने, महिलाओं-बच्चों की तस्करी रोकने व प्रभावितों के पुनर्वास, संपत्तिव भूमि को नियंत्रित करने का अधिकार देने, नीतिगत मामलों व निर्णयों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने जैसे कई मामलों में भी सभी सदस्य देशों के बीच सहमति बनी है। सम्मेलन में भारत, बांग्लादेश, भूटान, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, अफगानिस्तान और मालद्वीव के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

प्रस्तुति: आशुतोष पाण्डेय

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